बेटे अपनी मां से मदद मांगते हैं या फिर मां के द्वारा ही पिता तक अपनी बात पहुंचाते है। यही सिलसिला काफी सालों तो चलता रहता है यही नतीजा होता है कि पिता और पुत्र में आपस में वो बॉडिंग नहीं हो पाती है। या फिर दूरियां बनी रहती है।
भारतीय परिवारों में पिता और पुत्र रिश्ता बहुत ही अजीब होता है। अधिकतर परिवारों में पिता और पुत्र में बीच में बहुत कम ही बातचीत होती है। अगर बेटे को कुछ चाहिए होता है या फिर कोई काम होता है तो बेटे अक्सर इसमें अपनी मां की मदद लेते है।
बेटे अपनी मां से मदद मांगते हैं या फिर मां के द्वारा ही पिता तक अपनी बात पहुंचाते है। यही सिलसिला काफी सालों तो चलता रहता है यही नतीजा होता है कि पिता और पुत्र में आपस में वो बॉडिंग नहीं हो पाती है। या फिर दूरियां बनी रहती है।
यही गलतियां आगे चलकर और बड़ा रुप ले लेती है। कभी कभी तो पिता के फैसलों की वजह से बेटे और पिता के रिश्तों में दूरी बन जाती है। क्योंकि परिवारों में बच्चों की पढ़ाई से लेकर करियर, शादी आदि के फैसले पिता ही लेते है।
कभी कभी इन वजहों के कारण भी दूरियां बनी रहती है। पिता और बेटे का रिश्ता खराब होने लगते है। खास कर पढ़ाई को लेकर बेटों पर थोड़ा सख्त होते है और करियर या कॉलेज को लेकर दोनों के बीच सहमति नहीं बनती है।
बेटा कोई और कॉलेज या कोर्स करना चाहता है लेकिन पिता की राय कुछ और होती है। लेकिन यहां पर आप अपने पिता को समझाने की कोशिश करें कि जिस कोर्स या कॉलेज में आप जाना चाहते है वो करियर और आपके फ्यूचर के लिए कितना बेहतर है।
जब आप अपने पिता को अच्छे से नहीं समझाते उनको अपनी ही बात सही लगेगी। आप अपने पिता के डर से अपने करियर को लेकर कोई गलत कदम ना उठाएं, जिसको लेकर बाद में पछतावा हो। हर फैमिली में पिता चाहते है कि बेटे की नौकरी लग जाए तो बेटा परिवार की जिम्मेदारी उठा लें। शुरुआत में सैलरी अधिक न हो या फिर सैलरी से अधिक खर्च आने जाने में या अन्य में हो जाता है तो ऐसे में बेटा घर का खर्च कैसे उठा पाएगा।
अपने पिता को ऐसा समझाना चाहिए। कभी कभी पिता औऱ पुत्र में दूरी की वजह लव मैरिज भी होती है। भारतीय परिवारों में पिता अपनी पसंद की बहू लाना चाहते है और बेटा अपनी पसंद की लड़की को जीवन साथी बनाना चाहता है ऐसे में दोनो की बहस और कब दूरियां आ जाती है पता नहीं चलता है।