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रिपोर्ट से खुलासा : SBI ने जनधन खाता वाले गरीबों से की 164 करोड़ रुपए की वसूली

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आम आदमी को बैंकिंग सुविधा से जोड़ने के लिए जनधन खाता (Jan Dhan Account) खोलने की योजना लांच की थी। इसके बाद देश के गरीबों ने धड़ल्ले से शून्य बैलेंस अपना खाता खुलवाया भी। ये अलग बात है कि कोरोना महामारी (Corona Pandemic) के दौरान गरीबों के पास खाते में पैसा डालने के लिए कमाई का कोई जरिया नहीं था। इस दौरन SBI बैंक गरीबों के जनधन खाते (Jan Dhan Accounts) से भी उगाही करता रहा।

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने आम आदमी को बैंकिंग सुविधा से जोड़ने के लिए जनधन खाता (Jan Dhan Account) खोलने की योजना लांच की थी। इसके बाद देश के गरीबों ने धड़ल्ले से शून्य बैलेंस अपना खाता खुलवाया भी। ये अलग बात है कि कोरोना महामारी (Corona Pandemic) के दौरान गरीबों के पास खाते में पैसा डालने के लिए कमाई का कोई जरिया नहीं था। इस दौरन SBI बैंक गरीबों के जनधन खाते (Jan Dhan Accounts) से भी उगाही करता रहा। बैंक ने साल 2017 से 2019 तक चार महीने से अधिक डिजिटल लेन-देन पर हर बार 17.70 रुपए वसूलता रहा। यह खुलासा IIT बॉम्बे की रिपोर्ट (IIT Bombay Report) से हुआ है। रिपोर्ट में ये मामला सामने आया है इस दौरान 12 करोड़ जनधन खतों से SBI ने 164 करोड़ रुपए की उगाही की।

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आईआईटी बॉम्बे की रिपोर्ट (IIT Bombay Report) में यह खुलासा हुआ है कि बैंक ने शुल्क वसूलते समय जनधन खातों (Jan Dhan Accounts)  से जुड़ी शर्त का उल्लंघन किया है। यही नहीं, भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) के उन मानकों को भी तोड़ा जिनमें अकाउंट के साथ नई सेवाएं जोड़ने के लिए वसूले जाने वाले शुल्क को रिजनेबल यानी न्यायसंगत रखने की ताकीद की गई थी।

रिपोर्ट के अनुसार, शुरुआत में जनधन खाताधारकों को महीने में 4 से अधिक ट्रांजेक्शन की अनुमति नहीं थी। नियमों में बदलाव कर एसबीआई (SBI) ने दूसरे बैंकों से उलट 4 से अधिक डिजिटल लेन-देन (Digital Transactions) की अनुमति दी, लेकिन, हर ट्रांजेक्शन पर 17.70 रुपए वसूले। यानी कोई जनधन खाताधारक यूपीआई (Jan Dhan account Holder UPI) से महीने में चार ट्रांजेक्शन के बाद 15 रुपए की खरीदी भी कर रहा था तो उसके खाते से 17.70 रुपए कट रहे थे।

90 करोड़ रुपए लौटाए, लेकिन ब्याज अब भी बाकी

सरकार ने जब यूपीआई पेमेंट्स (UPI Payments) को शुल्क मुक्त कर दिया, तब पता चला कि 1 जनवरी 2020 से 6 अप्रैल 2020 और 1 जुलाई 2020 से 14 सितंबर 2020 के बीच भी एसबीआई में 222 करोड़ यूपीआई ट्रांसजेक्शन (UPI Transaction) हुए। इनमें से 5.1 करोड़ ट्रांजेक्शन (Transaction)पर प्रति ट्रांजेक्शन  (Transaction) 17.70 रुपए चार्ज लगा था। इस तरह बैंक ने इस अवधि में 90 करोड़ रुपए से अधिक काटे।

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बैंक ने यह पैसा फरवरी-मार्च 2021 में लौटाया, लेकिन इतनी राशि पर खाताधारकों को मिलने वाला करीब 2.1 करोड़ रुपये ब्याज का घाटा हुआ। इतना ही नहीं, बैंक ने 90 करोड़ रुपये निवेश कर करीब 2.6 करोड़ रुपये कमाए। रिपोर्ट के अनुसार इस रकम पर भी जनधन खाताधारकों (Jan Dhan Account Holders)  का हक बनता है। रिपोर्ट के अनुसार यह भी सच्चाई सामने आ चुकी है कि जीरो बैलेंस सुविधा होने के बावजूद जनधन खातों में मार्च 2020 के अंत तक औसत बैलेंस 2,457 रुपए अधिक ही रहा।

वित्त मंत्रालय से शिकायत, CBDT ने दिया आदेश

रिपोर्ट में अनुमान है कि बैंक ने इस तरह अप्रैल 2017 से दिसंबर 2019 के बीच 12 करोड़ जनधन खाताधारकों (Jan Dhan Account Holders)  से करीब 164 करोड़ रुपए वसूले। यह रकम अब भी एसबीआई (SBI) के पास है। रिपोर्ट में स्टेट बैंक (State bank) के इस तर्क को खारिज किया गया है कि यह शुल्क न्यायसंगत था, क्योंकि आरबीआई (RBI) ने बैंक को ‘न्यायसंगत’ शुल्क लगाने का अधिकार दिया था। आरबीआई (RBI) के 2013 के सिद्धांतों के हवाले से रिपार्ट में कहा गया है कि एसबीआई (SBI) को जनधन खाताधारकों (Jan Dhan Account Holders) से कोई अतिरिक्त शुल्क की छूट नहीं थी।

बैंक ने गरीबों को जोड़ने की योजना में भेदभाव भी किया

आईआईटी बॉम्बे की रिपोर्ट (IIT Bombay Report) में दावा है कि एसबीआई ने प्रधानमंत्री की गरीब लोगों को बैंकिंग व्यवस्था से जोड़ने की योजना के लाभार्थियों के साथ भेदभाव किया। एसबीआई के इस रवैये की अगस्त 2020 में वित्त मंत्रालय से शिकायत की गई थी। इसके बाद सीबीडीटी (CBDT) ने 30 अगस्त 2020 को बैंकों के लिए परामर्श जारी किया कि 1 जनवरी 2020 से जनधन खाताधारकों (Jan Dhan Account Holders)  से लिए गए शुल्क को वापस कर दिया जाए। एसबीआई ने 17 फरवरी, 2021 को राशि लौटाना शुरू की, लेकिन अब भी 164 करोड़ लौटाए जाने बाकी हैं।

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