एक के बाद एक उसके शूटरों और करीबियों की हत्याएं हो रही हैं। लखनऊ कोर्ट में हुई संजीव जीवा की हत्या मुख्तार के गैंग को बड़ा झटका दिया है। दरअसल, बीते कई वर्षों तक संजीव जीवा और मुन्ना बजरंगी जैसे शार्प शूटरों प्रदेश में बड़ी वारदात करते रहे।
Sanjeev Jeeva Case: जरायम की दुनिया में अब माफिया मुख्तार गैंग लगातार कमजोर होता जा रहा है। एक के बाद एक उसके शूटरों और करीबियों की हत्याएं हो रही हैं। लखनऊ कोर्ट में हुई संजीव जीवा की हत्या मुख्तार के गैंग को बड़ा झटका दिया है। दरअसल, बीते कई वर्षों तक संजीव जीवा और मुन्ना बजरंगी जैसे शार्प शूटरों प्रदेश में बड़ी वारदात करते रहे। इसके पीछे मुख्तार अंसारी का हाथ माना जाता था लेकिन मुन्ना बजरंगी के बाद संजीव जीवा की हत्या ने इस गैंग को पूरी तरह से नेस्तनाबूद कर दिया है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि मुख्तार अंसारी की चिंताएं अब और ज्यादा बढ़ गई होंगी।
पुष्पराज की हत्या के बाद कमजोर पड़ने की हुई शुरुआत
बताया जाता है कि, मुख्तार अंसारी के शार्प शूटर और दाहिना हाथ माना जाने वाला मुन्ना बजरंगी के साले पुष्पराज और उसके साथी विजय की हत्या के बाद इस गैंग के कमजोर होने की शुरूआत हुई। इसके बाद 9 जुलाई 2018 को बागपत जेल में मुख्तार के शूटर मुन्ना बजरंगी की हत्या कर दी गयी। मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद मुख्तार अंसारी को बड़ा झटका लगा था। दरअसल, जेल में रहने के बाद भी मुन्ना बजरंगी मुख्तार अंसारी के लिए अपने और अंसारी के काले साम्राज्य को बढ़ाने का काम करता रहता था।
मुख्तार के करीबी अजीत सिंह की भी हत्या
बता दें कि, इसके बाद सबसे बड़ा झटका मुख्तार गैंग को तब लगा जब उसके करीबी अजीत सिंह की राजधानी लखनऊ के विभिूतिखंड क्षेत्र में हत्या कर दी गयी। अजीत की हत्या के बाद मुख्तार अंसारी गैंग का वर्चस्व कम होने के साथ लगातार इस गैंग से जुड़े अन्य शूटरों का सफाया होना शुरू हो गया।
अब संजीव जीवा की हत्या ने तोड़ दी गैंग की कमर
लगातार कमजोर होते जा रहे इस गैंग को तब और बड़ा झटका लगा जब संजीव जीवा की हत्या कर दी गयी। संजीव जीवा इस गैंग में अभी सक्रिय था। ऐसे में अब उसकी हत्या ने गैंग की पूरी तरह से कमर तोड़ दी है। बताया जाता है कि, संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा मुख्तार अंसारी के साथ उन दिनों से जुड़ा रहा जब मुख्तार अंसारी की उत्तर प्रदेश में तूती बोला करती थी। 10 जनवरी 1997 को उत्तर प्रदेश के मंत्री रहे ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या के बाद जीवा का नाम उत्तर प्रदेश के जरायम की दुनिया में सबसे आगे चलने लगा। इस हत्या के साथ ही जीवा उत्तर प्रदेश के तत्कालीन माफियाओं की पहली पसंद बन गया। लेकिन जीवा को उनमें मुख्तार अंसारी का ही साथ पसंद आया।