भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की प्रमुख माधवी पुरी बुच ने गुरुवार को कहा कि सहारा समूह के संस्थापक (Founder of Sahara Group) सुब्रत राय (Subrata Roy) के निधन के बाद भी सहारा का मामला पूंजी बाजार नियामक के समक्ष जारी रहेगा। उद्योग मंडल फिक्की (FICCI) के एक कार्यक्रम से इतर बुच ने संवाददाताओं से कहा कि सेबी (SEBI) के लिए यह मामला एक इकाई के आचरण से जुड़ा है और यह जारी रहेगा, भले ही कोई व्यक्ति जीवित हो या नहीं।
नई दिल्ली। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की प्रमुख माधवी पुरी बुच ने गुरुवार को कहा कि सहारा समूह के संस्थापक (Founder of Sahara Group) सुब्रत राय (Subrata Roy) के निधन के बाद भी सहारा का मामला पूंजी बाजार नियामक के समक्ष जारी रहेगा। उद्योग मंडल फिक्की (FICCI) के एक कार्यक्रम से इतर बुच ने संवाददाताओं से कहा कि सेबी (SEBI) के लिए यह मामला एक इकाई के आचरण से जुड़ा है और यह जारी रहेगा, भले ही कोई व्यक्ति जीवित हो या नहीं।
समूह के विवादास्पद संस्थापक रॉय का लंबी बीमारी के बाद मंगलवार को निधन हो गया था। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच (Chairman Madhabi Puri Buch) से जब सहारा समूह (Sahara Group) के अवितरित धन को निवेशकों को लौटाने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के तहत एक समिति है और हम सभी कार्रवाई उसी समिति के तहत करते हैं। विज्ञापनों के कई दौरान के बाद जिसके पास (Sahara) में निवेश के सबूत थे, उन्हें अपना पैसा मिल गया।”
सेबी के पास पड़ी है 25 हजार करोड़ की धनराशि
दूसरी ओर, सहारा समूह (Sahara Group) के प्रमुख सुब्रत रॉय (Subrata Roy) के निधन के बाद पूंजी बाजार नियामक सेबी के खाते में पड़ी 25,000 करोड़ रुपये से अधिक की गैरवितरित धनराशि भी एक बार फिर से चर्चा में है। रॉय समूह की कंपनियों के संबंध में कई विनियामक तथा कानूनी लड़ाइयों का सामना कर रहे थे। उन पर पोंजी योजनाओं में नियमों को दरकिनार करने का भी आरोप था। हालांकि सहारा समूह (Sahara Group) ने अपने ऊपर लगे आरोपों को हमेशा खारिज किया।
पूंजी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने 2011 में सहारा समूह की दो कंपनियों सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (SIREL) और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (SHICL) को वैकल्पिक रूप से पूर्ण परिवर्तनीय बांड (OFCD) के रूप में पहचाने जाने वाले कुछ बांडों के जरिए करीब तीन करोड़ निवेशकों से जुटाए गए धन को वापस करने का आदेश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने निवेशकों को 15 प्रतिशत ब्याज के साथ राशि लौटाने को कहा था
नियामक ने आदेश में कहा था कि दोनों कंपनियों ने उसके नियमों और विनियमों का उल्लंघन करके धन जुटाया था। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 31 अगस्त 2012 को सेबी के निर्देशों को बरकरार रखा और दोनों कंपनियों को निवेशकों से एकत्र धन 15 प्रतिशत ब्याज के साथ वापस करने को कहा था। इसके बाद सहारा को निवेशकों को धन लौटाने के लिए सेबी (SEBI) के पास अनुमानित 24,000 करोड़ रुपये जमा करने को कहा गया। हालांकि समूह लगातार यह कहता रहा कि उसने पहले ही 95 प्रतिशत से अधिक निवेशकों को प्रत्यक्ष रूप से भुगतान कर दिया है।
सेबी ने 11 साल में दो कंपनियों के निवेशकों को 138.07 करोड़ रुपये लौटाए
पूंजी बाजार नियामक (Capital Markets Regulator) की नवीनतम वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने सहारा समूह (Sahara Group) की दो कंपनियों के निवेशकों को 11 वर्षों में 138.07 करोड़ रुपये वापस किए। इस बीच पुनर्भुगतान के लिए विशेष रूप से खोले गए बैंक खातों में जमा राशि बढ़कर 25,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गई है। सहारा की दो कंपनियों के अधिकतर बांडधारकों ने इसको लेकर कोई दावा नहीं किया और कुल राशि पिछले वित्त वर्ष 2022-23 में करीब सात लाख रुपये बढ़ गई, जबकि सेबी-सहारा पुनर्भुगतान खातों (SEBI-SAHARA Repayment Accounts) में इस दौरान शेष राशि 1,087 करोड़ रुपये बढ़ गई।
वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, सेबी (SEBI) को 31 मार्च, 2023 तक 53,687 खातों से जुड़े 19,650 आवेदन प्राप्त हुए। इनमें से “48,326 खातों से जुड़े 17,526 आवेदनों के लिए 138.07 करोड़ रुपये की कुल राशि लौटाई गई, जिसमें 67.98 करोड़ रुपये की ब्याज राशि भी शामिल है।’’ शेष आवेदन सहारा समूह (Sahara Group) की दोनों कंपनियों द्वारा उपलब्ध कराई जानकारी के जरिए उनका कोई पता नहीं लग पाने के कारण बंद कर दिए गए। सेबी (SEBI) ने आखिरी अद्यतन जानकारी में 31 मार्च 2022 तक 17,526 आवेदनों से संबंधित कुल राशि 138 करोड़ रुपये बताई थी। सेबी (SEBI) ने कहा कि 31 मार्च 2023 तक राष्ट्रीयकृत बैंकों में जमा कुल राशि करीब 25,163 करोड़ रुपये है।