प्रदोष व्रत शिव उपासना के उत्तम माना जाता है। यह व्रत तब अत्यन्त फलदायी हो जाता है जब शनिवार का दिन हो। जब त्रयोदशी तिथि के साथ शनिवार का दिन भी हो तो इसे शनि प्रदोष व्रत कहते हैं।
शनि प्रदोष व्रत: प्रदोष व्रत शिव उपासना के उत्तम माना जाता है। यह व्रत तब अत्यन्त फलदायी हो जाता है जब शनिवार का दिन हो। जब त्रयोदशी तिथि के साथ शनिवार का दिन भी हो तो इसे शनि प्रदोष व्रत कहते हैं। भाद्रपद मास का अंतिम प्रदोष व्रत 18 सितंबर को है। इस दिन शनिवार होने के कारण शनि प्रदोष व्रत है।मास के हर त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है और प्रदोष काल में भगवान शिव की विधि पूर्वक उपासना की जाती है।
हिंदू पंचाग के अनुसार हर माह में दो प्रदोष व्रत होता है। संयोग से भाद्रपद मास का दोनों प्रदोष व्रत शनि प्रदोष है। भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत भी 4 सितंबर शनिवार को पड़ा था। तथा इसका दूसरा या अंतिम प्रदोष व्रत 18 सितंबर दिन शनिवार को पड़ेगा।
शनि शुक्ल प्रदोष व्रत- 18 सितंबर 2021 शनिवार को
जिस दिन त्रयोदशी तिथि प्रदोष काल के समय व्याप्त होती है, उसी दिन प्रदोष का व्रत किया जाता है. प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में करना उत्तम होता है। प्रदोष काल सूर्यास्त से प्रारम्भ हो जाता है।