2017 में कश्मीर में देश की रक्षा करते हुए एक बहादुर जवान ने अपना सर्वाेच्च बलिदान दिया था। सरकार ने बहादुर जवान की इस वीरता पर मरणोपरांत शौर्य चक्र (Shaurya Chakra) देने का फैसला किया, लेकिन यह शौर्य चक्र (Shaurya Chakra) शहीद के माता-पिता को कुरियर से भेजा गया। इससे आहत माता-पिता ने शौर्य चक्र (Shaurya Chakra) वापस कर दिया और केंद्र सरकार से राष्ट्रपति भवन (President's House) में अलंकरण की मांग की।
नई दिल्ली। 2017 में कश्मीर में देश की रक्षा करते हुए एक बहादुर जवान ने अपना सर्वाेच्च बलिदान दिया था। सरकार ने बहादुर जवान की इस वीरता पर मरणोपरांत शौर्य चक्र (Shaurya Chakra) देने का फैसला किया, लेकिन यह शौर्य चक्र (Shaurya Chakra) शहीद के माता-पिता को कुरियर से भेजा गया। इससे आहत माता-पिता ने शौर्य चक्र (Shaurya Chakra) वापस कर दिया और केंद्र सरकार से राष्ट्रपति भवन (President’s House) में अलंकरण की मांग की।
बता दें कि यह मामला गुजरात के अहमदाबाद का है। शहीद के पिता मुकीम सिंह भदौरिया (Mukeem Singh Bhadauria) ने बेटे को मरणोपरांत दिए गए शौर्य चक्र को लेने से इनकार कर दिया है। मुकीम सिंह भदौरिया (Mukeem Singh Bhadauria) के पुत्र गोपाल सिंह (Gopal Singh2017) में कश्मीर में ड्यूटी के दौरान शहीद हो गए थे। मीडिया के खबर के मुताबिक गोपाल सिंह की पत्नी हेमवती ने उनके सभी लाभों और पुरस्कार पर दावा करते हुए अदालत में मामला दर्ज कर दिया था। हेमवती गोपाल से अलग रह रही थीं। इस अदालती लड़ाई में माता-पिता की जीत हुई।
इसके बाद मुकीम सिंह भदौरिया (Mukeem Singh Bhadauria) के बापूनगर स्थित आवास पर शौर्य चक्र (Shaurya Chakra) कुरियर से भेजा गया था। हेमवती 2011 से ही गोपाल से अलग रह रही थीं। हालांकि तलाक की डिक्री अभी पारित नहीं हुई थी। पत्नी और माता-पिता के बीच विवाद के कारण शौर्य चक्र (Shaurya Chakra) प्रदान नहीं किया जा रहा था। अंततः उन्हें कुरियर से शौर्य चक्र (Shaurya Chakra) भेज दिया गया। लांस नायक शहीद गोपाल बहादुर जवान थे। 26/11 मुंबई आतंकी हमले के दौरान विशिष्ट भूमिका के लिए उन्हें विशिष्ट सेवा मेडल से भी सम्मानित किया जा चुका था।
इस मामले में 2021 में कोर्ट ने आदेश दिया कि गैलेंटरी अवार्ड और सभी तरह के लाभ शहीद के माता-पिता को दिये जाए। मुकीम सिंह भदौरिया (Mukeem Singh Bhadauria) ने बताया कि उन्होंने रक्षा मंत्रालय (Ministry of Defence) और अधिकारियों को 3 फरवरी को ही सूचित कर दिया था कि उन्हें स्वतंत्रता दिवस या गणतंत्र दिवस के दिन अवार्ड प्रदान करे, लेकिन रक्षा मंत्रालय (Ministry of Defence) के डीजी ने सिग्नल को इसकी जिम्मेदारी सौंपी। सोमवार को सर्टिफिकेट और मेडल वाला एक पैकेट मिला। भदौरिया ने कहा कि मैंने इसे नहीं खोला और इसे वापस कर दिया। उन्होंने कहा कि मुझे बहुत दुख हुआ। यह मेरे लिए महज एक पार्सल नहीं था। यह मेरा दिल था, मेरे बच्चे की उपलब्धि। मैंने इसके लिए कड़ा संघर्ष किया है और काफी खर्च भी किया है।