सनातन धर्म में तीर्थ दर्शन का बहुत महत्व है। आज से श्री अमरनाथ तीर्थ की पवित्र गुफा में हिम शिवलिंग के दर्शन की यात्रा प्रारंभ हो गई । पूरी दुनिया से श्रद्धालु बाबा बर्फानी के दर्शन हेतु श्री अमरनाथ तीर्थ की पवित्र गुफा की में माथा टेकने आते है।
Shri Amarnath Yatra 2024 : सनातन धर्म में तीर्थ दर्शन का बहुत महत्व है। आज से श्री अमरनाथ तीर्थ की पवित्र गुफा में हिम शिवलिंग के दर्शन की यात्रा प्रारंभ हो गई । पूरी दुनिया से श्रद्धालु बाबा बर्फानी के दर्शन हेतु श्री अमरनाथ तीर्थ की पवित्र गुफा की में माथा टेकने आते है। इस तीर्थ की प्रमुख विशेषता पवित्र गुफा में बर्फ से प्राकृतिक शिवलिंग का निर्मित होना है। प्राकृतिक हिम से निर्मित होने के कारण इसे स्वयंभू हिमानी शिवलिंग भी कहते हैं। पवित्र गुफा समुद्र तल से 13,600 फुट की ऊंचाई पर स्थित है जिसकी भीतर की ओर गहराई 19 मीटर व चौड़ाई 16 मीटर है। अमरनाथ गुफा भगवान शिव के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। श्री अमरनाथ को तीर्थों का तीर्थ कहा जाता है क्योंकि यहीं पर भगवान शिव ने मां पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताया था। इसलिए इसे अमरत्व के नाम से भी जाना जाता है। अमरनाथ यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं द्वारा मार्ग में कई स्थलों पर तीर्थयात्रियों के लिए शुद्ध भोजन, रात्रि विश्राम की व्यवस्था की जाती है। अमरनाथ यात्रा 2024 29 जून 2024 को शुरू होकर 19 अगस्त 2024 को समाप्त होगी। श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड के अनुसार , यह यात्रा 51 दिनों तक चलेगी।
दर्शनों के लिए लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं
श्री अमरनाथ यात्रा- 2024, 29 जून 2024 को शुरू से शुरू होकर श्रावण माह की पूर्णिमा, रक्षाबंधन तक तक जारी रहती है। पूरे सावन महीने में पवित्र हिमलिंग के दर्शनों के लिए लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं। पवित्र गुफा की छत से पानी की बूंदें जगह-जगह टपकती रहती हैं।
हिम शिवलिंग बनता है
गुफा में एक स्थान ऐसा है जहां हिम बूंदों से लगभग 10 से 12 फुट ऊंचा हिम शिवलिंग बनता है। चंद्रमा के घटने-बढ़ने से शिवलिंग का आकार भी घटता-बढ़ता रहता है। श्रावण पूर्णिमा को यह अपने पूरे आकार में आ जाता है और अमावस्या तक धीरे-धीरे छोटा होता जाता है।
अमरपक्षी
आश्चर्य की बात है कि शिवलिंग ठोस बर्फ का होता है जबकि गुफा में आमतौर पर कच्ची बर्फ ही होती है जो हाथ में लेते ही भुरभुरा जाती है। हिम शिवलिंग से कुछ फुट दूर गणेश, भैरव और पार्वती जी के वैसे ही अलग-अलग हिमखंड होते हैं। गुफा में आज भी श्रद्धालुओं को कबूतरों का एक जोड़ा दिखाई देता है जिन्हें धर्म ग्रथों में ‘अमरपक्षी’ बताया गया है। मान्यता है कि कबूतरों का जोड़ा भी अमर कथा सुनकर अमर हुए थे और जिन श्रद्धालुओं को कबूतरों का जोड़ा दिखाई देता है, उन्हें शिव-पार्वती मुक्ति प्रदान करते हैं।
अमर कथा
माना जाता है कि भगवान शिव भोले भंडारी ने पार्वती माता को इसी गुफा में वह कथा सुनाई जिसमें अमरनाथ यात्रा और उसके मार्ग में आने वाले अनेक स्थलों का वर्णन है। यह कथा कालांतर में अमर कथा नाम से विख्यात हुई।
रास्ते में बर्फ जमी रहती है
16वीं शताब्दी में एक मुसलमान गडरिए को सबसे पहले इस गुफा का पता एक चला था। आज भी चढ़ावे का चौथा हिस्सा उसके परिवार को जाता है। अमरनाथ यात्रा पर जाने के लिए दो रास्ते हैं- एक पहलगाम होकर और दूसरा सोनमर्ग बालटाल से। पहलगाम से जाने वाले रास्ते को सरल एवं सुविधाजनक समझा जाता है। बालटाल से पवित्र गुफा 14 किलोमीटर दूर है। पहलगाम से पहला पड़ाव चंदनबाड़ी है जो 8 किलोमीटर दूर है फिर चंदनवाड़ी से 14 किलोमीटर दूर शेषनाग झील है। झील में शेषनाग का वास बताया जाता है। शेषनाग से आगे पंचतरणी है। मार्ग में महागुणास दर्रे को पार करना पड़ता है। पंचतरणी से पवित्र गुफा 8 किलोमीटर दूर है। रास्ते में बर्फ जमी रहती है।