कोरोना संकट के दौरान प्रदेश सरकार के कुछ अधिकारी भी बेअंदाज हो गए। आम जनता की छोड़ दें तो वह मंत्रियों का भी फोन नहीं उठा रहे हैं। कई विधायक और सांसदों ने सीएम योगी को पत्र लिखकर इसकी शिकायत की है। वहीं, इस बीच केंद्रीय मंत्री और बरेली से सांसद संतोष गंगवार, आंवला के सांसद समेत कई लोगों ने पत्र लिखकर एक फिर कोरोना के दौरान सिस्टम की पोल खोल दी है। केंद्रीय मंत्री का लेटर रविवार सोशल मीडिया पर वायरल हुआ।
लखनऊ। कोरोना संकट के दौरान प्रदेश सरकार के कुछ अधिकारी भी बेअंदाज हो गए। आम जनता की छोड़ दें तो वह मंत्रियों का भी फोन नहीं उठा रहे हैं। कई विधायक और सांसदों ने सीएम योगी को पत्र लिखकर इसकी शिकायत की है। वहीं, इस बीच केंद्रीय मंत्री और बरेली से सांसद संतोष गंगवार, आंवला के सांसद समेत कई लोगों ने पत्र लिखकर एक फिर कोरोना के दौरान सिस्टम की पोल खोल दी है। केंद्रीय मंत्री का लेटर रविवार सोशल मीडिया पर वायरल हुआ।
इसमें उन्होंने कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों की अस्पतालों में भर्ती को लेकर व्याप्त अव्यवस्था और अधिकारियों द्वारा फोन नहीं उठाये जाने की शिकायत की है। सांसद ने शनिवार को बरेली में आयोजित बैठक में मुख्यमंत्री को सौंपे गए पत्र में कहा ऐसे मामले सामने आ रहे हैं कि रेफर किए जाने के बाद भी मरीज जब सरकारी अस्पताल में जाता है, तो उससे कहा जाता है कि जिला अस्पताल से दोबारा रेफर करवाकर लाएं। इससे मरीज की हालत और बिगड़ती जाती है।
यह चिंता का विषय है। ऐसे में बहुत जरूरी है कि संक्रमित मरीज को कम से कम समय में रेफरल अस्पतालों में तुरंत भर्ती किया जाए। इसके साथ ही उन्होंने मल्टी पैरा मॉनिटर, बायोपैक मशीन, वेंटिलेटर तथा अन्य जरूरी उपकरणों को बाजार में डेढ़ गुना दाम पर बेचे जाने की भी शिकायत करते हुए अनुरोध किया कि सरकार इन चीजों का दाम निर्धारित करे। सीएम योगी को लिखे इस पत्र में केंद्रीय मंत्री ने बरेली के कुछ चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े महत्वपूर्ण अधिकारियों द्वारा फोन नहीं उठाये जाने की भी शिकायत की है। अपने पत्र में केंद्रीय मंत्री ने कई और महत्वपूर्ण प्रश्न उठाया है।