गुजरात के पालनपुर से बड़ी खबर सामने आई है यहां तीन सहेलियां भगवान भक्ति में इतनी लीन हो गयी कि मथुरा में रहकर उन्होंने साध्वी बनाने का निर्णय लिया। इसलिए वो अपना घर छोड़ ट्रेन पकड़कर तीर्थ धाम आ गयी। समय रहते कंट्रोल की सूचना पर उन्हें पकड़कर उनके घरवालों के सुपुर्द कर दिया गया। घरवालों ने बताया कि राजगौर विधि (21) पुत्री नरेश भाई, जिगना (21) पुत्री मेहसा भाई व प्रीति (20) पुत्र दशरथलाल निवासीगण ग्रम देवघर थाना देवघर जिला पालनपुर गुजरात की रहने वाली हैं। तीनों एक ही गांव की रहने वाली थीं और आपस में सहेलियां थीं।
गुजरात के पालनपुर से बड़ी खबर सामने आई है यहां तीन सहेलियां भगवान भक्ति में इतनी लीन हो गयी कि मथुरा में रहकर उन्होंने साध्वी बनाने का निर्णय लिया। इसलिए वो अपना घर छोड़ ट्रेन पकड़कर तीर्थ धाम आ गयी। समय रहते कंट्रोल की सूचना पर उन्हें पकड़कर उनके घरवालों के सुपुर्द कर दिया गया। घरवालों ने बताया कि राजगौर विधि (21) पुत्री नरेश भाई, जिगना (21) पुत्री मेहसा भाई व प्रीति (20) पुत्र दशरथलाल निवासीगण ग्रम देवघर थाना देवघर जिला पालनपुर गुजरात की रहने वाली हैं। तीनों एक ही गांव की रहने वाली थीं और आपस में सहेलियां थीं।
बता दें कि परिवारवालों ने कहा शुरू से ही उनका मन भगवान कृष्ण की भक्ति में में लगता था । वे अक्सर कान्हा से जुड़े भजन और मथुरा के साधकों के वीडियो देखा करती थीं। उनके गुजरात स्थित द्वारिका के दर्शन की बात भी सामने आई है। उनके मन में अब मथुरा दर्शन की चाह थी। इसी के चलते तीनों युवतियां पालनपुर से करीब 800 किलोमीटर दूर मथुरा साबरमती एक्सप्रेस से पहुंच गईं। इसके बाद तीनों सहेलियों ने पहले वृंदावन जाकर कई मंदिरों में भगवान के दर्शन किए। इसके बाद वे मथुरा जंक्शन पहुंची थीं।
जीआरपी थाना प्रभारी निरीक्षक यादराम सिंह को शुक्रवार सुबह कंट्रोल से सूचना मिली की तीन युवतियां गुजरात से मथुरा आई है। उनकी लोकेशन मथुरा जंक्शन रेलवे स्टेशन पर मिल रही है।
इस पर जीआरपी थाना प्रभारी निरीक्षक क्यूआरटी के साथ युवतियों की तलाश में जुट गए। कुछ ही देर में प्लेटफार्म-1 पर तीनों युवतियां मिल गई। जीआरपी की महिला सिपाही ने उनसे नाम की तस्दीक की। इसके बाद उनके घरवालों को सूचना दी गई तो उनके पिता जीआरपी थाने पहुंच गए। तीनों के उनके पिताओं के सुपुर्द कर दिया गया है। जीआरपी थाना प्रभारी निरीक्षक यादराम सिंह ने बताया कि तीनों युवतियों ने बताया कि वह वृंदावन में साधू बनने के लिए साबरमती एक्सप्रेस में सवार होकर मथुरा पहुंची थीं। ट्रेन से उतरने के बाद वह पहले वृंदावन गई और वहां पहुंचकर कई मंदिरों के दर्शन किए। इसके बाद वह वापस जंक्शन आई थीं। तीनों युवतियों को उनके पिताओं को सौंप दिया गया।