योगी सरकार की सोशल मीडिया देखने वाली एक निजी कंपनी के कर्मचारी पार्थ श्रीवास्तव ने यूपी की राजधानी लखनऊ में बुधवार को पंखे से लटक कर जान दे दी है। इंदिरानगर थाने के इंस्पेक्टर अजय प्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि परिजन ख़ुद पार्थ को फंदे से उतार कर लोहिया अस्पताल ले गए थे, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
लखनऊ। योगी सरकार की सोशल मीडिया देखने वाली एक निजी कंपनी के कर्मचारी पार्थ श्रीवास्तव ने यूपी की राजधानी लखनऊ में बुधवार को पंखे से लटक कर जान दे दी है। इंदिरानगर थाने के इंस्पेक्टर अजय प्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि परिजन ख़ुद पार्थ को फंदे से उतार कर लोहिया अस्पताल ले गए थे, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। इसके बाद परिजनों ने इसकी सूचना थाने को दी। सूचना पर पंचायतनामा भरवाकर शव का पोस्टमार्टम करवाया गया। इंस्पेक्टर के मुताबिक, अभी परिवार की ओर से आत्महत्या को लेकर कोई तहरीर नहीं मिली है।
पार्थ की बहन ने बताया कि उसे पार्थ के एक दोस्त ने बुधवार सुबह उनके आत्महत्या का ट्वीट देखकर फोन किया था। इसके बाद पार्थ का कमरा खोलकर देखा गया तो वह फंदे के सहारे पंखे से लटक रहे थे। सोशल मीडिया में पार्थ का वह ट्वीट भी वायरल हो रहा है, जिसमें उन्होंने अपना सुसाइड नोट पोस्ट कर लिखा है कि मेरी आत्महत्या एक कत्ल है।
पार्थ की बहन ने इस आत्महत्या मामले में बड़ा आरोप लगाया है। उसका कहना है कि पार्थ का फोन पुलिस के पास था, और पुलिस बताए की उसका सुसाइड लेटर किसने ट्विटर से डिलीट किया है? पार्थ की बहन का कहना है कि इस प्रकरण की गम्भीरता से जांच होनी चाहिए, सबूत मिटाने का प्रयास करने वाले सभी आरोपी तत्काल गिरफ़्तार किए जाए। पार्थ की बहन का कहना है कि पुलिस द्वारा पार्थ की बॉडी और फोन ज़ब्त करने के बाद उसका ट्वीट अचानक डिलीट कर दिया गया। ऐसा किसके ऑर्डर पर हुआ? जांच का विषय है।
दावा किया जा रहा है कि मुख्यमंत्री सोशल मीडिया में हुई प्रताड़ना से तंग आकर पार्थ श्रीवास्तव ने आत्महत्या की है। पार्थ ने अपना सुसाइड नोट ट्वीट करते हुए और सूचना निदेशक शिशिर को टैग किया था। पार्थ ने अपनी आत्महत्या का जिम्मेदार अपने सीनियर पुष्पेंद्र को ठहराया है। उन्होंने एक महिला सहकर्मी शैलजा का पक्ष लेने का आरोप पुष्पेंद्र पर लगाया है। हालांकि, कुछ देर बाद ही यह ट्वीट डिलीट कर दिया गया। पार्थ ने इस ट्वीट में सरकार के एक अधिकारी को टैग भी किया था। यह बात अभी भी रहस्य बनी हुई है कि पार्थ का ट्वीट किसने डिलीट किया? मामला सरकार की सोशल मीडिया सेल देखने वाली कंपनी के कर्मचारी की आत्महत्या का था, लिहाज़ा सोशल मीडिया पर सरकार को घेरने का काम शुरू हो गया है। मामले में पूर्व आईएएस एसपी सिंह ने इस आत्महत्या पर सरकार के सूचना विभाग के अधिकारियों पर जमकर निशाना साधा है।
ये अत्यंत गंभीर और सबूतों से छेड़छाड़ करने का मामला है जिस पर लखनऊ पुलिस और उन्हें आदेश देने वालों पर मुकदमा होना चाहिए।
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पार्थ श्रीवास्तव ने अपना सुसाइड नोट ट्वीट किया था जिसे पुलिस ने मोबाइल अपने क़ब्ज़े में लेने के बाद डिलीट कर दिया।
आपकी हिम्मत कैसे हुई? क्या अधिकार है आपको? pic.twitter.com/9Pd6SwgWia
— Surya Pratap Singh IAS Rtd. (@suryapsingh_IAS) May 21, 2021
पूर्व आईएएस एसपी सिंह ने कहा कि ये अत्यंत गंभीर और सबूतों से छेड़छाड़ करने का मामला है जिस पर लखनऊ पुलिस और उन्हें आदेश देने वालों पर मुकदमा होना चाहिए। पार्थ श्रीवास्तव ने अपना सुसाइड नोट ट्वीट किया था जिसे पुलिस ने मोबाइल अपने क़ब्ज़े में लेने के बाद डिलीट कर दिया है। उन्होंने कहा कि आपकी हिम्मत कैसे हुई? क्या अधिकार है आपको?
पार्थ मामले में हाईकोर्ट की देखरेख में सीबीआई से जांच हो
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता आईपी सिंह का कहना है कि पार्थ ने आत्महत्या नहीं की, उसकी हत्या हुई है। सुसाइड नोट में उसने इसका जिक्र किया है। श्री सिंह ने कहा कि जिस दिन गोरखपुर मठ की सीबीआई जांच होगी पार्थ जैसे अनेकों साधुओं की हत्या का दफ्न राज भी खुलेंगे। उन्होंने कहा कि पार्थ मामले में हाईकोर्ट की देखरेख में सीबीआई से जांच हो।
जिस दिन गोरखपुर मठ की सीबीआई जांच होगी पार्थ जैसे अनेकों साधुओं की हत्या का दफ्न राज भी खुलेंगे।
पार्थ मामले में हाईकोर्ट की देखरेख में सीबीआई से जांच हो। https://t.co/Fl9yznnFmF— I.P. Singh (@IPSinghSp) May 21, 2021