देश की बेटियां अब राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) की प्रवेश परीक्षा में शामिल हो सकती हैं। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इस मामले में बुधवार को बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के जस्टिस संजय किशन कौल और हृषिकेश रॉय की खंडपीठ ने बुधवार को कुश कालरा द्वारा दायर रिट याचिका में अंतरिम आदेश पारित (Interim Order Passed) किया है।
नई दिल्ली। देश की बेटियां अब राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) की प्रवेश परीक्षा में शामिल हो सकती हैं। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इस मामले में बुधवार को बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के जस्टिस संजय किशन कौल और हृषिकेश रॉय की खंडपीठ ने बुधवार को कुश कालरा द्वारा दायर रिट याचिका में अंतरिम आदेश पारित (Interim Order Passed) किया है।
इसमें महिला उम्मीदवारों को राष्ट्रीय रक्षा अकादमी की प्रवेश परीक्षा (NDA Exam) में बैठने की अनुमति देने की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया है कि महिलाओं को परीक्षा में न बैठने देना भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 16 और 19 का उल्लंघन है। याचिका में कहा गया है कि अधिकारी 12वीं परीक्षा पास अविवाहित पुरुष उम्मीदवारों को ‘राष्ट्रीय रक्षा अकादमी एवं नौसेना अकादमी (National Defense Academy and Naval Academy) की परीक्षा में बैठने की अनुमति देते हैं, लेकिन योग्य एवं इच्छुक महिला उम्मीदवारों को परीक्षा देने की अनुमति महज लिंग के आधार पर नहीं देते हैं। इसमें संविधान (Constitution) के तहत कोई उचित कारण भी नहीं दिए जाते हैं।
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में याचिकाकर्ता का पक्ष सीनियर एडवोकेट चिन्मय प्रदीप शर्मा ने अधिवक्ता मोहित पॉल, सुनैना और इरफान हसीब के साथ रखा। बता दें कि बीते 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने भी लाल किले से घोषणा कर दी है कि लड़कियों को सैनिक स्कूलों में एडमिशन दिया जाएगा, मगर इंडियन मिलेट्री कॉलेज में अभी लड़कियों को प्रवेश मिलना संभव नहीं हो पा हो रहा है। सेना का कहना है कि लड़के और लड़कियों के लिए ट्रेनिंग अलग अलग हैं। महिलाओं को अभी तक सेना में लड़ाकू बलों में भर्ती नहीं किया गया है। उन्हें केवल 10 गैर-लड़ाकू स्ट्रीम में भर्ती किया जाता है।
RIMC में लड़कियों को एडमिशन न देने का तर्क देते हुुए सीनियर एडवोकेट ऐश्वर्या भाटी ने कोर्ट में कहा, कि फिलहाल हम लड़कियों को RIMC में लेने की स्थिति में नहीं हैं। यह 100 साल पुराना स्कूल है। RIMC के छात्रों के लिए NDA की परीक्षा देना अनिवार्य होता है। उनका अलग बोर्ड है। यह NDA का फीडर कैडर है और NDA में महिलाओं के प्रवेश के मुद्दे से जुड़ा है।
इस पर जस्टिस कौल ने कहा कि आप कहते हैं कि RIMC 100 साल पुराना है, तो आप 100 साल के लैंगिक भेदभाव का समर्थन कर रहे हैं? हमने पहले ही अंतरिम आदेश के जरिए लड़कियों को एनडीए में प्रवेश की अनुमति दे दी है। इस पर जवाब देते हुए भाटी ने कहा कि RIMC के छात्रों को अनिवार्य रूप से NDA में शामिल होना है। वे कक्षा 8 के छात्रों को एडमिशन देते हैं उन्हें विशेष रूप से ट्रेनिंग दी जाती है। यदि लड़कियों को इसमें शामिल होना है। तो उन्हें नियमित स्कूली शिक्षा छोड़नी होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने NDA, सैनिक स्कूलों, RIMC में महिलाओं को प्रवेश नहीं देने के विचार पर सेना को फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि आप इस मामले पर न्यायपालिका को आदेश देने के लिए बाध्य कर रहे हैं। यह बेहतर है कि आप (सेना) खुद इसके लिए दिशा निर्देश तैयार करें। हम उन लड़कियों को NDA की परीक्षा में बैठने की अनुमति दे रहे हैं, जिन्होंने अदालत का दरवाजा खटखटाया है।
सुप्रीम कोर्ट ने लड़कियों को अभी ‘अंतरिम उपाय’ के तौर पर NDA की परीक्षा देने की अनुमति दी है। लड़कियों के NDA में प्रवेश के मुद्दे पर विस्तृत नीति बनाने के लिए आगामी पांच सितंबर को विचार किया जाएगा। सैनिक स्कूल और इंडियन मिलिट्री कॉलेज (RIMC) में दाखिले के लिए परीक्षा 08 सितंबर को आयोजित की जानी है।