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धारा 370 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पहले हाई अलर्ट, घाटी में कड़ी सुरक्षा के साथ सोशल मीडिया पर भी पैनी नजर

Supreme Court's Decision on Article 370 in Jammu and Kashmir: केंद्र की मोदी सरकार ने साल 2019 में एक बड़ा फैसला लेते हुए जम्मू कश्मीर (Jammu and Kashmir) को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 (Article 370) को संविधान संशोधन के साथ हटा दिया था। इस फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की बेंच इस मामले में फैसला सुनाने वाली है। वहीं, देश की सर्वोच्च अदालत के फैसला सुनाने से पहले जम्मू-कश्मीर में अधिकारियों ने जमीनी स्तर पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है। 

By Abhimanyu 
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Supreme Court’s Decision on Article 370 in Jammu and Kashmir: केंद्र की मोदी सरकार ने साल 2019 में एक बड़ा फैसला लेते हुए जम्मू कश्मीर (Jammu and Kashmir) को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 (Article 370) को संविधान संशोधन के साथ हटा दिया था। इस फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की बेंच इस मामले में फैसला सुनाने वाली है। वहीं, देश की सर्वोच्च अदालत के फैसला सुनाने से पहले जम्मू-कश्मीर में अधिकारियों ने जमीनी स्तर पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है।

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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अनुच्छेद 370 (Article 370) जैसे संवेदनशील मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का आने से पहले जम्मू-कश्मीर में जमीनी स्तर पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी करने के साथ-साथ सोशल मीडिया पर भी पैनी नजर रखी जा रही है, ताकि किसी प्रकार का प्रकार भ्रामक संदेश न फैलाया जा सके। इसके अलावा अफवाहों और भड़काऊ पोस्ट करने वाले पांच यूजर्स के खिलाफ केस भी दर्ज किया जा चुका है। जम्मू कश्मीर पुलिस की ओर से बताया गया है कि संवेदनशील इलाकों में अधिक से अधिक पुलिस और अर्धसैनिक बलों को तैनात किए जा रहे हैं और सोशल मीडिया गतिविधि पर नजर रखी जा रही है। पहले ही कुछ जांच चौकियां स्थापित कर दी गयी हैं और वाहनों और यात्रियों की जांच की जा रही है।

दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले जम्मू कश्मीर पुलिस की कार्रवाई से पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती तिलमिलाई हुई हैं। महबूबा ने आरोप लगाया कि पुलिस उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं की सूची मांग रही है। वह सुप्रीम कोर्ट को बताना चाहती हैं कि आपकी जिम्मेदारी भाजपा के एजेंडे को आगे बढ़ाने की नहीं बल्कि देश की अखंडता के प्रति है।

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