इस Operation का मकसद terrorist camps और उनके supporters को target करना, उन्हें नेस्तनाबुत करना था और ये साफ संदेश देना कि भारत आतंकवाद के विरुद्ध zero tolerance रखता है। भारत ने कार्रवाई इसलिए रोकी, क्योंकि conflict के पहले और उसके दौरान जो भी political और military objectives तय किए गए थे, उसे हम पूरी तरह से हासिल कर चुके थे। इसलिए यह कहना या मानना कि यह ऑपरेशन किसी दबाव में रोका गया, बेबुनियाद और सरासर गलत है।
नई दिल्ली। लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर बहस जारी है। इस दौरान रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने आतंकवाद के खिलाफ भारत की सख्ती की बात पर जोर दिया। उन्होंने कहा, सबसे पहले मैं इस सदन के माध्यम से, देश के उन वीर सपूतों को, उन बहादुर सैनिकों को नमन करता हूं, जो इस राष्ट्र की सीमाओं की रक्षा के लिए सदैव तैयार और तत्पर रहते हैं। साथ ही, मैं उन सैनिकों की स्मृति को भी नमन करता हूं, जिन्होंने भारत की एकता और अखण्डता सुनिश्चित करने के लिए अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया। मैं पूरे देश की तरफ से सेनाओं के सभी जवानों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करता हूं।
उन्होंने आगे कहा, 6 और 7 मई 2025 को, भारतीय सेनाओं ने ऑपरेशन सिंदूर के नाम से एक ऐतिहासिक सैन्य कार्रवाई को अंजाम दिया। वह केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं थी, बल्कि यह भारत की संप्रभुता, उसकी अस्मिता, देश के नागरिकों के प्रति हमारी जिम्मेदारी और आतंकवाद के खिलाफ हमारी नीति का एक effective और decisive demonstration था। ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम देने से पहले हमारी सेनाओं ने हर पहलू का गहराई से अध्ययन किया। हमारे पास कई विकल्प थे। लेकिन हमने उस विकल्प को चुना जिसमें, आतंकवादियों और उनके ठिकानों को अधिकतम नुकसान पहुंचे और जिसमें पाकिस्तान के आम नागरिकों को कोई क्षति न हो।
हमारी सेनाओं द्वारा की गई, well Co-ordinated strikes ने, 9 terrorist infrastructure targets को precision के साथ hit किया। इस सैन्य कार्रवाई में एक अनुमान के अनुसार करीब सौ से अधिक आतंकवादी, उनके प्रशिक्षक, हैंडलर और सहयोगी मारे गए हैं। इनमें से अधिकांश जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठनों से संबंधित थे। ये वही आतंकी संगठन हैं, जिन्हें पाकिस्तान की सेना और ISI का खुला समर्थन प्राप्त है। साथ ही कहा, मुझे यह कहते हुए गौरव का अनुभव हो रहा है कि हमारे Air Defence system, Counter-Drone system और electronic equipments ने पाकिस्तान के इस हमले को पूरी तरह से नाकाम कर दिया। पाकिस्तान हमारे किसी भी target को हिट नहीं कर पाया और हमारे किसी भी important asset को नुकसान नहीं हुआ। हमारी सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद थी और हर हमले को रोका गया। मैं इसके लिए भारतीय सेना के बहादुर सैनिकों की जम कर सराहना करता हूं, जिन्होंने दुश्मन के हर मंसूबे पर पानी फेर दिया।
रक्षामंत्री ने आगे कहा, पाकिस्तान के इस हमले के जवाब में हमारी कार्रवाई साहसिक, ठोस और प्रभावी रही। भारतीय वायुसेना ने वेस्टर्न फ्रंट पर पाकिस्तान के हवाई अड्डों, Command and Control centers, Military infrastructures और Air Defence Systems को निशाना बनाया। और इस मिशन को हमारी सेनाओं ने सफलतापूर्वक अंजाम दिया। ऑपरेशन सिंदूर Tri services coordination का शानदार उदाहरण बना। जब भारतीय वायुसेना ने आसमान से हमले किए, हमारी थल सेना ने जमीन पर मोर्चा संभाले रखा। हमारे जवान नियंत्रण रेखा पर पूरी ताकत से डटे रहे और पाकिस्तान की हर हरकत का करारा जवाब दिया।
उन्होंने आगे कहा, इस Operation का मकसद terrorist camps और उनके supporters को target करना, उन्हें नेस्तनाबुत करना था और ये साफ संदेश देना कि भारत आतंकवाद के विरुद्ध zero tolerance रखता है। भारत ने कार्रवाई इसलिए रोकी, क्योंकि conflict के पहले और उसके दौरान जो भी political और military objectives तय किए गए थे, उसे हम पूरी तरह से हासिल कर चुके थे। इसलिए यह कहना या मानना कि यह ऑपरेशन किसी दबाव में रोका गया, बेबुनियाद और सरासर गलत है। साथ ही कहा, सदन को यह भी अवगत कराना चाहूंगा कि सीमा पार करना या वहां की Territory capture करना इस Operation का उद्देश्य नहीं था। Operation Sindoor शुरू करने का मकसद था, उन terror nurseries को खत्म करना, जिन्हें पाकिस्तान ने बरसों से पाला पोसा हुआ था।
रक्षामंत्री ने आगे कहा, 10 May की सुबह, जब भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तान की multiple airfields पर करारा प्रहार किया तो पाकिस्तान ने हार मान ली और hostilities रोकने की पेशकश की। यह पेशकश इस caveat के साथ स्वीकार की गई कि यह Operation केवल pause किया गया है। अगर Pakistan की ओर से भविष्य में कोई भी misadventure हुआ, तो यह Operation दोबारा शुरू किया जाएगा। साथ ही आगे कहा, भारतीय वायुसेना के जबरदस्त हमलों, नियंत्रण रेखा पर थल सेना की मजबूत जवाबी कार्रवाई और नौसेना के हमलों के डर ने पाकिस्तान को झुकने पर मजबूर कर दिया। और पाकिस्तान की यह हार उनकी एक सामान्य विफलता नहीं थी, बल्कि यह उसके सैन्य बल और मनोबल दोनों की हार थी।