उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान और महाराष्ट्र समेत देश के कई राज्यों में ब्लैक फंगस (म्यूकोर्मिकोसिस) का कहर बढ़ता जा रहा है। इन राज्यों में ब्लैक फंगस के केस काफी तेजी से बढ़ रहे है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसे महामारी रोग अधिनियम 1897 के तहत म्यूकोर्मिकोसिस को महामारी घोषित करने की अपील की है।
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान और महाराष्ट्र समेत देश के कई राज्यों में ब्लैक फंगस (म्यूकोर्मिकोसिस) का कहर बढ़ता जा रहा है। इन राज्यों में ब्लैक फंगस के केस काफी तेजी से बढ़ रहे है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसे महामारी रोग अधिनियम 1897 के तहत म्यूकोर्मिकोसिस को महामारी घोषित करने की अपील की है। साथ ही इससे निपटने के लिए सरकारी और निजी अस्पतालों में सभी सुविधाएं मजबूत करने की अपील की है। तेलंगाना और राजस्थान ने तो इसे महामारी घोषित कर दिया है।
बता दें कि तेलंगाना सरकार ने मुख्यत: कोविड-19 से उबरे मरीजों को निशाना बना रहे ब्लैक फंगस (म्यूकरमाइकोसिस) को महामारी रोग कानून 1897 के तहत एक अधिसूच्य रोग घोषित किया है। एक आधिकारिक अधिसूचना में गुरुवार को कहा गया कि सभी सरकारी और निजी स्वास्थ्य केंद्र, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय तथा भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद द्वारा ब्लैक फंगस की जांच, निदान तथा प्रबंधन के लिए तय दिशा निर्देशों का पालन करें।
तुरंत करें डॉक्टर से संपर्क
आसानी से नहीं मिल रहे इंजेक्शन
ब्लैक फंगस संक्रमण होने पर एंटी फंगल इंजेक्शन एंफोटेरेसिन-बी लगाया जाता है। एक दिन में चार से पांच इंजेक्शन लगते हैं। ये इंजेक्शन करीब 10 से 15 दिन मरीज को लगाने पड़ते हैं। मरीजों की संख्या बढ़ने के कारण यह इंजेक्शन आसानी से बाजार में नहीं मिल रहा है। यह इंजेक्शन तीन से सात हजार रुपए में मिलता है। ऐसे में 15 दिन तक हर दिन चार से पांच इंजेक्शन मरीज को लगने पर करीब ढाई से तीन लाख रुपए खर्च हो जाते हैं। अब इस इंजेक्शन की भी कालाबाजारी भी शुरू हो गई है। एक ड्रग हाउस के संचालक मकरंद शर्मा के मुताबिक, पहले जहां सालभर में दो हजार एंटी फंगल इंजेक्शन की मांग रहती थी, वहीं अब एक दिन में इससे भी अधिक इंजेक्शन की मांग आ रही है। इस वजह से बाजार में आसानी से इंजेक्शन उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं।
कोरोना संक्रमण से ठीक हो रहे कई मरीजों में अब ब्लैक फंगस संक्रमण दिखाई दे रहा है। पिछले एक-डेढ़ माह में कोविड-19 संक्रमितों में यह समस्या तेजी से बढ़ी है। इस संक्रमण के कारण न सिर्फ लोगों की आंखों की रोशनी जा रही है, बल्कि इससे संक्रमितों की मौत भी हो रही है। ब्लैक फंगस यानी म्यूकरमायकोसिस नई बीमारी नहीं है। यह वायरस कई सालों से वातावरण में मौजूद है। घरों में रोटी, ब्रेड या प्याज पर दिखने वाली फफूंद भी ब्लैक फंगस का ही एक प्रकार है। आम दिनों में यह संक्रमित नहीं करता, लेकिन इन दिनों जिन लोगों की शुगर बढ़ी हुई है और इम्युनिटी कमजोर है, वे इससे प्रभावित हो रहे हैं। हालांकि ब्लैक फंगस कोरोना की तरह संक्रमण से फैलने वाली बीमारी नहीं है।