समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने बुधवार को एक्स पर एक लंबा, भावनात्मक और बेबाक संदेश जारी किया है। इसके माध्यम से न सिर्फ राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों पर प्रहार किया बल्कि कुछ मीडिया हाउसों पर भी “पारिवारिक आक्षेपों के नाम पर पौराणिक महाकाव्यों का अपमान” करने का गंभीर आरोप लगाया है।
लखनऊ। समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने बुधवार को एक्स पर एक लंबा, भावनात्मक और बेबाक संदेश जारी किया है। इसके माध्यम से न सिर्फ राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों पर प्रहार किया बल्कि कुछ मीडिया हाउसों पर भी “पारिवारिक आक्षेपों के नाम पर पौराणिक महाकाव्यों का अपमान” करने का गंभीर आरोप लगाया है। अखिलेश का यह बयान उन लगातार हो रहे राजनीतिक हमलों के संदर्भ में आया है जिनमें विपक्षी दलों और विशेष रूप से यादव समुदाय को “परिवारवाद” के नाम पर निशाना बनाया जा रहा है।
अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने कहा कि राजनीतिक एजेंडे के नाम पर कुछ मीडिया समूह हमारे रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों की मूल भावना को विकृत कर रहे हैं। उन्होंने बेबाकी से लिखा कि रामायण (Ramayana) और महाभारत (Mahabharata) दोनों परिवारों की कहानी हैं। इन महाकाव्यों की आत्मा ही परिवार, संबंध, संघर्ष और कर्तव्य है। ‘परिवारवाद’ कहकर इन्हीं पवित्र कथाओं का अपमान किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि राजनीतिक निष्ठा में अंधे कुछ चैनल और अखबार “अपरिवारवादी एजेंडा” चला रहे हैं, जबकि सच यह है कि भारतीय समाज की पहली इकाई ही परिवार है।
कुछ स्वार्थी मीडिया हाउस भी चाहते हैं कि परिवार टूट जाएं और लोग अकेले पड़ जाएं जिससे अकेले लोग अलग-अलग घरों में रहें और उपभोक्तावाद को बढ़ावा मिले, हर किसी का अपना टीवी, फ्रिज और बाक़ी सामान हो जिसकी बिक्री बढ़ाने के लिए कंपनियाँ अपना विज्ञापन करें और इनको विज्ञापन के लिए पैसे…
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) November 19, 2025
अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने तीखे अंदाज़ में चुनौती देते हुए कहा कि अगर परिवारवाद इतना बुरा है तो भाजपा और उसके साथी यह घोषणा करें कि किसी ऐसे व्यक्ति को पद नहीं मिलेगा जिसके परिवार का कोई सदस्य राजनीति में रहा हो। जिन नेताओं की सत्ता का आधार ही पारिवारिक रिश्ते हैं। क्या उन्हें बर्खास्त किया जाएगा? क्या नेता लोग अपने नाम के पीछे लगने वाला सरनेम हटाने को तैयार हैं? क्या राजनीति, मीडिया, डॉक्टर, वकील, जज, कारोबारी—सब अपने-अपने बच्चों को अपने पेशों से बाहर कर देंगे? उन्होंने पूछा कि जब मीडिया मालिक अपने बच्चों को अपने चैनलों और कंपनियों में जगह देने में गौरव महसूस करते हैं, तो वह किसानों, मजदूरों, पिछड़ों और दलितों के परिवारों को राजनीतिक हिस्सेदारी क्यों नहीं बर्दाश्त कर पाते?
कुछ चैनल और राजनीतिक दल जानबूझकर यादव समुदाय को ‘परिवारवाद’ के नाम पर निशाना बनाते हैं
अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने बिना नाम लिए कहा कि कुछ चैनल और राजनीतिक दल जानबूझकर यादव समुदाय को ‘परिवारवाद’ के नाम पर निशाना बनाते हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि “क्या इसलिए कि यादव समाज मेहनतकश है, संघर्षशील है और वोट देकर अपनी राजनीतिक हिस्सेदारी खुद बनाता है? क्या उनकी उन्नति देखकर कुछ लोगों को समस्या है? उन्होंने कहा कि “परिवारवाद” का आरोप उन पर इसलिए लगाया जाता है क्योंकि वे शोषित-वंचित वर्ग से आते हैं, जबकि सत्ता पक्ष के कई नेता अपने परिवारों को राजनीति, कारोबार और संस्थानों में स्थापित करने के बावजूद इस बहस से बच जाते हैं।
भारतीय संस्कृति में दिवंगतों का सम्मान एक परंपरा है, लेकिन कुछ स्वार्थी मीडिया हाउस TRP और विज्ञापन के लिए मृत व्यक्तियों तक को अपमानित करने लगे हैं
अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने कहा कि भारतीय संस्कृति में दिवंगतों का सम्मान एक परंपरा है, लेकिन कुछ स्वार्थी मीडिया हाउस TRP और विज्ञापन के लिए मृत व्यक्तियों तक को अपमानित करने लगे हैं। उन्होंने लिखा,कि परिवार को तोड़कर ये लोग समाज को कमजोर करना चाहते हैं। अकेला व्यक्ति डरता है, बंटा हुआ समाज शोषित होता है। इसी डर पर इनका कारोबार और राजनीति टिकी है।
“परिवारवाद नहीं, यह बलिदानवाद है”
अखिलेश ने कहा कि राजनीति में परिवार की भागीदारी को “वंशवाद” कहने वाले भूल जाते हैं कि उनके परिवार के लोग भी संघर्ष, जेल, हमले, मुकदमों और सत्ता की प्रताड़ना झेलते हैं। यह परिवारवाद नहीं, बलिदानवाद है। उन्होंने तंज किया कि कुछ लोग राजनीति को बिजनेस समझते हैं, इसलिए अपने परिवार को सामने नहीं लाते—उन्हें डर होता है कि कहीं उनकी कमाई और धंधे उजागर न हो जाएं। अखिलेश ने कहा कि समाजवादी गठबंधन (PDA) अब चुप नहीं रहेगा। हर परिवार के दुख-दर्द को अपनी लड़ाई मानने वाला—अब अन्याय के हर हमले का जवाब देगा। पीडीए न अपमान सहेगा, न चुप रहेगा। अंत में अखिलेश यादव ने झांसी की रानी के संघर्ष को नमन करते हुए यह पोस्ट करके अपनी लड़ाई का एलान किया है।
खूब लड़ी मर्दानी वो तो, झांसी वाली रानी थी
अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) का यह बयान केवल राजनीतिक प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक विमर्श का हिस्सा भी है—जहां परिवारवाद के नाम पर हमला, पौराणिक प्रतीकों के साथ खिलवाड़ और खास समुदायों को निशाना बनाने जैसे कई गंभीर सवाल खड़े किए गए हैं। उनका संदेश सीधा है, परिवार भारतीय समाज की शक्ति है, न कि कमजोरी और इसे निशाना बनाना सिर्फ राजनीतिक स्वार्थ है।