क्योडो न्यूज़ की रिपोर्ट के मुताबिक जापान की एक कोर्ट ने देश में सेम-सेक्स मैरिज पर बैन को संवैधानिक माना है। इससे टोक्यो हाई कोर्ट अब तक अकेला ऐसा हाई कोर्ट बन गया है, जिसने देश भर में फाइल किए गए छह ऐसे ही केस में सरकार के रुख का सपोर्ट किया है। कोर्ट ने फैसला सुनाया कि सेम-सेक्स कपल्स को शादी करने से रोकने वाले मौजूदा सिविल लॉ के नियम मौजूदा हालात में भी सही हैं।
नई दिल्ली। क्योडो न्यूज़ की रिपोर्ट के मुताबिक जापान की एक कोर्ट ने देश में सेम-सेक्स मैरिज (Same-sex marriage) पर बैन को संवैधानिक माना है। इससे टोक्यो हाई कोर्ट (Tokyo High Court) अब तक अकेला ऐसा हाई कोर्ट बन गया है, जिसने देश भर में फाइल किए गए छह ऐसे ही केस में सरकार के रुख का सपोर्ट किया है। कोर्ट ने फैसला सुनाया कि सेम-सेक्स कपल्स को शादी करने से रोकने वाले मौजूदा सिविल लॉ के नियम मौजूदा हालात में भी सही हैं। यह साप्पोरो, टोक्यो, नागोया, ओसाका और फुकुओका (Sapporo, Tokyo, Nagoya, Osaka and Fukuoka) में पहले के हाई कोर्ट के फैसलों से अलग है, जिनमें सेम-सेक्स मैरिज को कानूनी पहचान न मिलना गैर-संवैधानिक पाया गया था, हालांकि उन सभी फैसलों में हर्जाने की मांग (demand for damages) खारिज कर दी गई थी।
छह केस में आखिरी फैसला सुनाते हुए जज अयूमी हिगाशी (Judge Ayumi Higashi) ने कहा कि सेम-सेक्स मैरिज से जुड़े मामलों पर पहले पार्लियामेंट में अच्छी तरह से चर्चा होनी चाहिए। क्योडो न्यूज़ ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) अगले साल किसी समय एक साथ फ़ैसला सुना सकता है। नए केस में, 40 से 60 साल के बीच के आठ केस करने वालों ने हर एक के लिए एक मिलियन येन का हर्जाना मांगा है और कहा है कि सेम-सेक्स मैरिज पर सिविल लॉ (civil law) का बैन बराबरी और शादी की आज़ादी की कानूनी गारंटी का उल्लंघन करता है। क्योडो न्यूज़ की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार ने इस दावे को खारिज कर दिया और कहा कि संविधान शादी को एक आदमी और एक औरत के बीच बताता है। ग्रुप ने मार्च 2024 के टोक्यो डिस्ट्रिक्ट कोर्ट (Tokyo District Court) के फैसले के खिलाफ अपील की थी, जिसमें स्थिति को गैर-संवैधानिक बताया गया था, लेकिन उनके मुआवज़े की रिक्वेस्ट को खारिज कर दिया गया था। अब तक जारी किए गए 12 हाई और लोअर कोर्ट के फैसलों में, ओसाका डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ही एकमात्र दूसरा कोर्ट है जिसने सेम-सेक्स मैरिज को कानूनी मान्यता न देने की संवैधानिकता को बरकरार रखा है। संविधान के आर्टिकल 24 में कहा गया कि शादी सिर्फ़ दोनों जेंडर की आपसी सहमति से होगी। LGBT कम्युनिटी (LGBT community) और उसके सपोर्टर्स के बढ़ते दबाव के बावजूद, जापान ग्रुप ऑफ़ सेवन का एकमात्र देश है जिसने अभी तक सेम-सेक्स मैरिज या सिविल यूनियन को कानूनी मान्यता नहीं दी है।