ग्रह मंडल के गुरु बृहस्पति सौभाग्य के कारक है। नौ ग्रहों में गुरु बृहस्पति को सबसे अधिक भाग्यशाली और शक्तिशाली माना जाता है। गुरु लगभग एक वर्ष एक ही राशि में विराजते हैं।
Dev Guru Brihaspati Vrishabh Rashi Mein Vakri : ग्रह मंडल के गुरु बृहस्पति सौभाग्य के कारक है। नौ ग्रहों में गुरु बृहस्पति को सबसे अधिक भाग्यशाली और शक्तिशाली माना जाता है। गुरु लगभग एक वर्ष एक ही राशि में विराजते हैं। गुरु को सभी राशियों का च्रक पूरा करने में 12 वर्ष का समय लगता है। बृहस्पति की धीमी चाल का प्रभाव सभी राशियों पर पड़ता है। जातकों पर नका गहरा प्रभाव पड़ता है।
ऐसे में अक्टूबर में बृहस्पति के व्रकी (Brihaspati Vakri) होने का प्रभाव सभी राशियों पर पड़ने वाला है। इस समय बृहस्पति शुक्र की राशि वृषभ में विराजमान हैं और वर्ष 2025 तक वहीं रहने वाले हैं और समय-समय पर उदय, अस्त और वक्री होने वाले हैं। आइए जानते हैं बृहस्पति कब होंगे वक्री और इससे किन राशियों को मिल सकता है लाभ।
गुरु वक्री का राशियों पर प्रभाव
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बृहस्पति ग्रह 9 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 1 मिनट पर वृषभ राशि में वक्री हो जाएंगे और अगले वर्ष 4 फरवरी को फिर दोपहर 1 बजकर 46 मिनट पर मार्गी होंगे।
मिथुन राशि
बृहस्पति मिथुन राशि के बारहवें भाव में वक्री होने वाले हैं। इससे मिथुन राशि के जातकों के जीवन में बहुत अच्छा समय आ सकता है। इस राशि के जातकों का समाज और परिवार में मान-सम्मान बढ़ने वाला है। आय के नए स्त्रोत शुरू हो सकते हैं।
वृश्चिक राशि
बृहस्पति वृश्चिक राशि के जातकों दूसरे और पंचम भाव के स्वामी हैं और इस राशि (Zodiac Sign) के सातवें भाव में वक्री होंगे। यह इस राशि के जातकों के लिए बहुत अनुकूल समय होने वाला है। विद्यार्थियों को नौकरी से संबंधित सफलता प्राप्त होने के योग हैं. करियर में आगे बढ़ने के अवसर प्राप्त हो सकते हैं।
तुला राशि
तुला राशि में बृहस्पति अष्टम भाव में व्रकी होने वाले हैं। इसका प्रभाव बहुत शुभ होगा और करियर में आ रही समस्याएं समाप्त हो जाएंगी। कार्य और व्यापार में विस्तार कर सकते हैं। पहले किए गए निवेश से लाभ अर्जित कर सकते हैं।