उत्तर प्रदेश की 9 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव की तारीखों में बदलाव हुआ है। इसको लेकर अब सियासत शुरू हो गयी है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने चुनाव की तारीखों में हुए बदलाव पर भाजपा सरकार पर निशाना साधा है। वहीं, अब डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने अखिलेश यादव पर पलटवार किया है।
UP By-Elections 2024: उत्तर प्रदेश की 9 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव की तारीखों में बदलाव हुआ है। इसको लेकर अब सियासत शुरू हो गयी है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने चुनाव की तारीखों में हुए बदलाव पर भाजपा सरकार पर निशाना साधा है। वहीं, अब डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने अखिलेश यादव पर पलटवार किया है।
केशव मौर्य ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, कार्तिक पूर्णिमा के पावन पर्व पर चुनाव आयोग ने मतदान की तिथि 20 नवंबर तय कर जनता की भावनाओं का आदर किया है। लेकिन सपा मुखिया अखिलेश यादव का तिथि परिवर्तन पर “दुखी” होना… वाह! यह वही दुख है जो साइकिल पंचर होने पर होता है…23 नवंबर परिणाम आने के बाद फिर होगा। यूपी की जनता ने मन बना लिया है–साइकिल को पंचर कर सैफई गैराज भेजने का, हर बूथ पर कमल खिलेगा और सपा की “बचकानी राजनीति” की दुकान बंद होगी।
कार्तिक पूर्णिमा के पावन पर्व पर चुनाव आयोग ने मतदान की तिथि 20 नवंबर तय कर जनता की भावनाओं का आदर किया है। लेकिन सपा मुखिया श्री अखिलेश यादव का तिथि परिवर्तन पर “दुखी” होना… वाह! यह वही दुख है जो साइकिल पंचर होने पर होता है,
23 नवंबर परिणाम आने के बाद फिर होगा।यूपी की जनता ने…
— Keshav Prasad Maurya (@kpmaurya1) November 4, 2024
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बता दें कि, चुनाव आयोग ने सोमवार को चुनाव आयोग की तारीखों के बदलाव की जानकारी दी है। अब 13 नवंबर की जगह अब 20 नवंबर को मतदान होगा। हालांकि, चुनाव के नतीजे 23 नवंबर को ही आयेंगे।
इससे पहले अखिलेश यादव ने चुनाव की तारीखों में बदलाव पर भाजपा सरकार को घेरा था। उनहोंने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा था कि, टालेंगे तो और भी बुरा हारेंगे! पहले मिल्कीपुर का उपचुनाव टाला, अब बाक़ी सीटों के उपचुनाव की तारीख़, भाजपा इतनी कमजोर कभी न थी। दरअसल बात ये है कि उप्र में ‘महा-बेरोज़गारी’ की वजह से जो लोग पूरे देश में काम-रोज़गार के लिए जाते हैं, वो दिवाली और छठ की छुट्टी लेकर उप्र आए हुए हैं, और उपचुनाव में भाजपा को हराने के लिए वोट डालनेवाले थे। जैसे ही भाजपा को इसकी भनक लगी, उसने उपचुनावों को आगे खिसका दिया, जिससे लोगों की छुट्टी ख़त्म हो जाए और वो बिना वोट डाले ही वापस चले जाएं। ये भाजपा की पुरानी चाल है: हारेंगे तो टालेंगे