HBE Ads
  1. हिन्दी समाचार
  2. उत्तर प्रदेश
  3. पीआरडी जवानों को मिलने वाला प्रतिमाह भत्ता पुलिसकर्मी को मिलने वाले न्यूनतम वेतन के समान हो : इलाहाबाद हाईकोर्ट 

पीआरडी जवानों को मिलने वाला प्रतिमाह भत्ता पुलिसकर्मी को मिलने वाले न्यूनतम वेतन के समान हो : इलाहाबाद हाईकोर्ट 

यूपी में प्रांतीय रक्षक दल के जवानों के लिए राहत वाली खबर है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उन्हें दिए जा रहे भत्ते को विसंगति वाला मानते हुए उसमें सुधार की जरूरत बताई है। कोर्ट ने यूपी की योगी सरकार से कहा  कि वह प्रांतीय रक्षक दल के तहत नियुक्ति होमगार्डों को दिया जाने वाला प्रतिमाह भत्ता पुलिसकर्मी को मिलने वाले 30 दिन के न्यूनतम वेतमान के समान हो।

By संतोष सिंह 
Updated Date

लखनऊ : यूपी में प्रांतीय रक्षक दल के जवानों के लिए राहत वाली खबर है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उन्हें दिए जा रहे भत्ते को विसंगति वाला मानते हुए उसमें सुधार की जरूरत बताई है। कोर्ट ने यूपी की योगी सरकार से कहा  कि वह प्रांतीय रक्षक दल के तहत नियुक्ति होमगार्डों को दिया जाने वाला प्रतिमाह भत्ता पुलिसकर्मी को मिलने वाले 30 दिन के न्यूनतम वेतमान के समान हो। इसके साथ ही उन्हें होमगार्डों की तरह ही अन्य भत्ते व अन्य लाभ भी प्रदान किए जाएं। कोर्ट ने इसके लिए यूपी सरकार को तीन महीने का समय दिया है।

पढ़ें :- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 22 जिला जज व दो एडीजे रैंक के न्यायिक अधिकारियों का किया तबादला, देखें लिस्ट

कोर्ट ने कहा कि प्रांतीय रक्षक दल के जवान सुप्रीम कोर्ट द्वारागृह रक्षक, होम गाड्र्स वेलफेयर एसोसिएशन के मामले में दिए गए निर्देर्शों के अनुसार लाभ पाने के हकदार हैं।यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने राजवीर सिंह व 62 अन्य सहित प्रांतीय रक्षकदल के जवानों की ओर दाखिल अन्य याचिकाओं पर एक साथ स्वीकार करते हुए दिया है। कोर्ट ने कहा कि पीआरडी जवानों को दिया जा रहा पारिश्रमिक चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के लिए निर्धारित न्यूनतम वेतन से कम है। राज्य सरकार की यह कार्रवाई स्पष्ट रूप से मनमानी है और भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है।

याचियों की ओर से कहा गया कि वह चयनित हैं और कई जिलों में प्रांतीय रक्षक दल में तैनात हैं। उन्हें भी उत्तर प्रदेश होम गाड्र्स अधिनियम 1963 के तहत चयनित होमगार्डों के समान भुगतान किए जाने वाले लाभों को प्रदान किया जाना चाहिए। याचियों की ओर से कहा गया कि उनका चयन संयुक्त प्रांत रक्षक दल अधिनियमए 1948 के आदेश के अनुसार हुआ है। वह सार्वजनिक शांति के संरक्षण के लिए पुरुषों को हथियारों के इस्तेमाल का प्रशिक्षण देकर आत्मसहायता और अनुशासन पैदा करने और प्रदेश के भीतर समुदाय और संपत्ति के जीवन की सुरक्षा के लिए तत्पर रहते हैं। वे आपातकाल और भूमि एवं व्यवस्था के रखरखाव के लिए पुलिस के सहायक के रूप में कार्य करते हैं।

यह तर्क दिया गया है कि उत्तर प्रदेश होम गार्ड अधिनियम के साथ-साथ प्रांतीय रक्षक दल के तहत नियुक्त होम गार्ड को 2009 तक 126 रुपये प्रति दिन की दर से दैनिक ड्यूटी भत्ता का भुगतान किया जा रहा था। वर्ष 2010 में बढक़ार 140 रुपये और वर्ष 2013 में इसे और बढ़ाकर 210 रुपये कर दिया गया और बाद में इसे और भी बढ़ाया गया लेकिन उन्हें वर्ष 2013 तक 126 रुपये मिलते रहे। याचियों ने यूपी सरकार से दैनिक भत्ता बढ़ाने की मांग की गई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। जबकि, 2018 में होमगार्डों का भत्ता बढ़ाकर पांच सौ रुपये कर दिया गया। याचियों ने उसे चुनौती दी। कोर्ट ने याचिका को स्वीकार करते हुए यह आदेश पारित किया।

पढ़ें :- सुप्रीम कोर्ट ने UP मदरसा एक्ट को बताया संवैधानिक, इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को पलटा, 17 लाख छात्रों को राहत
इन टॉपिक्स पर और पढ़ें:
Hindi News से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक, यूट्यूब और ट्विटर पर फॉलो करे...