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उत्तराखंड के नए सीएम पुष्कर सिंह धामी के सामने होंगी ये बड़ी चुनौतियां, शपथ के बाद शुरू करेंगे काम

उत्तराखंड के नए सीएम के नाम पर मुहर लग गई है। आज शाम पांच बजे पुष्कर सिंह धामी मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। हालांकि, शपथ के बाद पुष्कर सिंह धामी के सामने कई बड़ी चुनौतियां हैं। धामी को प्रदेश के मुखिया के रूप में काम करने के लिए बामुश्किल पांच महीने का वक्त मिलेगा। इन्हीं पांच महीनों में उनको नए सीएम के रूप में सरकार और संगठन के बीच तालमेल बैठाना होगा। बता दें कि, उत्तराखंड में भी ​2022 में विधानसभा के चुनाव होने हैं। बताया जा रहा है कि फरवरी और मार्च के बीच कभी भी वहां पर चुनाव हो सकता है।

By शिव मौर्या 
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देहरादून। उत्तराखंड के नए सीएम के नाम पर मुहर लग गई है। आज शाम पांच बजे पुष्कर सिंह धामी मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। हालांकि, शपथ के बाद पुष्कर सिंह धामी के सामने कई बड़ी चुनौतियां हैं। धामी को प्रदेश के मुखिया के रूप में काम करने के लिए बामुश्किल पांच महीने का वक्त मिलेगा। इन्हीं पांच महीनों में उनको नए सीएम के रूप में सरकार और संगठन के बीच तालमेल बैठाना होगा। बता दें कि, उत्तराखंड में भी ​2022 में विधानसभा के चुनाव होने हैं। बताया जा रहा है कि फरवरी और मार्च के बीच कभी भी वहां पर चुनाव हो सकता है।

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वहीं, इस चुनाव में पार्टी को फिर से सत्ता में लाना पुष्कर सिंह धामी के लिए बड़ी चुनौती रहेगी। इसके साथ ही सरकार और संगठन के बीच तालमेल बैठाना उनके लिए बड़ी चुनौती बनेगी। कई बार सार्वजनिक रूप से मंत्रियों के परस्पर मनभेद, विधायकों की नाराजगी और संगठन की के साथ रिश्तों की तल्खियां सामने आती रहीं है। सीएम को न केवल सरकार में सभी मंत्रियों को साथ लेकर चलना है, बल्कि उनमें अपने नेत़त्व के प्रति विश्वास भी कायम करना है। यही बात संगठन पर भी लागू होगी।

इसके साथ ही नौकरशाही पर कड़ा नियंत्रण रखना उनकी बड़ी जिम्मेदारी होगी। इसके साथ ही कोरोना वायरस को लेकर नई रणनीति के साथ काम करना होगा। वहीं, कोविड 19 महामारी के कारण राज्य की अर्थव्यवस्था पटरी से उतरी हुई है। राज्य के पास कोविड से लडाई, नए विकास कार्यों के लिए धन की किल्लत है। नए सीएम को कोविड से प्रभावित लोगों को राहत भी देनी है और विकास की गाड़ी को भी तेजी से आगे बढ़ाना है।

राज्य के राजस्व के स्रोतों को मजबूत करना है बल्कि केंद्र से भी ज्यादा से ज्यादा इमदाद लानी होगी। इसके साथ ही भ्रष्टाचार के खिलाफ भाजपा अपनी नीति को जीरो टालरेंस की नीति बताई रही है। लेकिन एनएच मुआवजा घोटाला चावल घोटाला, कोरोना फर्जी जांच घोटाला, कर्मकार बोर्ड विवाद समेत कई मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें शुरूआती कार्रवाई के बाद सरकार के तेवर नरम पड़ते दिखाई दिए हैं।

जनता को पारदर्शी शासन और भ्रष्टाचार मुक्त उत्तराखंड देन सीएम के लिए बड़ा टास्क रहेगा। इसके साथ ही बेरोजगारी राज्य का बड़ा मुद्दा है। निवर्तमान सीएम 22 हजार से ज्यादा पदों पर भर्ती के आदेश कर चुके हैं। इस भर्ती को समय पर कराना होगा।

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