ओन्कोसेरसियासिस, जिसे आमतौर पर रिवर ब्लाइंडनेस के नाम से जाना जाता है, फाइलेरिया कृमि ओन्कोसेरका वॉल्वुलस के कारण होने वाला एक परजीवी रोग है। नाइजर इस बीमारी को खत्म करने वाला अफ्रीका का पहला देश बन गया है।
ओन्कोसेरसियासिस, जिसे आमतौर पर रिवर ब्लाइंडनेस के नाम से जाना जाता है, फाइलेरिया कृमि ओन्कोसेरका वॉल्वुलस के कारण होने वाला एक परजीवी रोग है। नाइजर इस बीमारी को खत्म करने वाला अफ्रीका का पहला देश बन गया है।
ओन्कोसेरसियासिस मुख्य रूप से संक्रमित ब्लैकफ्लाई (सिमुलियम प्रजाति) के काटने से फैलता है, जो तेज बहने वाली नदियों और नालों के पास पनपते हैं। जब एक संक्रमित ब्लैकफ्लाई किसी इंसान को काटती है, तो यह लार्वा जमा करती है जो चमड़े के नीचे के ऊतकों में वयस्क कृमियों में परिपक्व हो जाते हैं। वयस्क कृमि माइक्रोफाइलेरिया उत्पन्न करते हैं, जो त्वचा, आंखों और अन्य ऊतकों में चले जाते हैं, जिससे रोग के विशिष्ट लक्षण उत्पन्न होते हैं।
नाइजर के पब्लिक हेल्थ, पॉपुलेशन और सोशल अफेयर्स के मंत्री गरबा हकीमी ने देश के ऑन्कोसेरसियासिस मुक्त होने की घोषणा की है। समाचार एजेंसी के अनुसार नाइजर ने ऐतिहासिक अचीवमेंट हासिल किया है। यह देश ऑन्कोसेरसियासिस बीमारी को खत्म करने वाला अफ्रीका का पहला देश बन गया है, जिसने खासतौर पर कुछ वाटरवेज के पास रहने वाली पॉपुलेशन पर असर डाला था।
डब्लू एच ओ ने गुरुवार को ऑन्कोसेरसियासिस को खत्म करने के लिए जरूरी कदम उठाने पर नाइजर को बधाई दी। नाइजर को दुनिया का पांचवां देश और अफ्रीका का पहला देश माना जाता है, जिसने परजीवी ऑन्कोसेरका वॉल्वुलस के संचरण को सफलतापूर्वक रोका है। इस मील के पत्थर तक पहुंचने वाले अन्य चार देश अमेरिका के हैं।इनमें कोलंबिया (2013), इक्वाडोर (2014), ग्वाटेमाला (2016), और मैक्सिको (2015) का नाम शामिल है। हकीमी ने गुरुवार को पिछले 15 सालों में किए गए कोशिशों के लिए शुक्रिया अदा किया, जिसने देश में इस बीमारी को खत्म करने के लिए जरूरी साइंटिफिक एविडेंस दिए।
ऑन्कोसेरसियासिस, जिसे आमतौर पर रिवर ब्लाइंडनेस के नाम से जाना जाता है, एक परजीवी रोग है और यह ट्रेकोमा के बाद दुनिया भर में अंधेपन का दूसरा सबसे बड़ा संक्रामक कारण है। यह मुख्य रूप से नदी के किनारे के इलाकों में पाए जाने वाले संक्रामक काली मक्खियों के काटने से मनुष्यों में फैलता है।