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Aachman : पूजा पाठ में आचमन करने का ये है महत्व, इन मंत्रों के द्वारा होता है संपन्न

पूजा पाठ में आचमन करने की क्रिया की जाती है। सभी प्रकार की पूजा के लिए शुद्ध होना आवश्यक है। वह स्थल जहां पूजा के लिए देवताओं का आवाहन किया जाता है उसे भी मंत्रों के द्वारा शुद्ध किया जाता  है।

By अनूप कुमार 
Updated Date

Aachman: पूजा पाठ में आचमन करने की क्रिया की जाती है। सभी प्रकार की पूजा के लिए शुद्ध होना आवश्यक है। वह स्थल जहां पूजा के लिए देवताओं का आवाहन किया जाता है उसे भी मंत्रों के द्वारा शुद्ध किया जाता  है। इसी प्रकार वह व्यक्ति जो पूजा के लिए मुख्य यजमान बनता है उसे मंत्रों के द्वारा शुद्ध किया जाता है।आचमन का अर्थ है- ‘जल पीना’। लेकिन आचमन से पूर्व, शरीर के समस्त छिद्रों को जल से स्वच्छ किया जाता है। आचमन करने के लिए, उतना ही जल लिया या पिया जाता है जितना ह्रदय तक पहुंच सके तथा इस जल को थोड़ी-थोड़ी देर के अंतराल पर तीन बार पिया जाता है।

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 आचमनी
तांबे के छोटे से बर्तन और चम्मच को आचमनी कहा जाता है। तांबे के छोटे बर्तन में जल भरकर और उसमें तुलसी दल डालकर हमेशा पूजा स्थान पर रखा जाता है। इस जल को आचमन का जल या पवित्र जल कहा जाता है।

आचमन का लाभ
1.  हृदय की शुद्धि।
२.  यह मन को शुद्ध करता है।
3.  पूजा से प्राप्त होने वाले परिणाम दुगने हो जाते हैं।
4.  इस विधि का पालन करने वाले व्यक्ति  शुद्ध होकर, सभी पापों से मुक्त हो जाते हैं।
5.  आचमन करने वाले व्यक्ति अच्छे कर्मों के अधिकारी होते हैं,।

दिशा
आचमन  उत्तर, उत्तर पूर्व या पूर्व दिशा की ओर मुख करके किया जाता है।

इन मंत्रों का तीन बार जाप करते हुए आचमन किया जाता है
ॐ केशवाय नमः ।
ॐ नारायणाय नमः ।
ॐ माधवाय नमः ।
ॐ ह्रषीकेशाय नमः ।

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