जिन लोगों ने आजादी की लड़ाई में हिस्सा नहीं लिया, वे आज देशभक्ति का पाठ पढ़ा रहे हैं। वंदे मातरम् को आजादी का नारा बनाने का काम कांग्रेस पार्टी ने ही किया है। पूर्व पीएम जवाहर लाल नेहरू के सदन में जिक्र को लेकर खरगे ने कहा कि, ये पूर्व प्रधानमंत्री को बदनाम करने की सभी कोशिशें व्यर्थ जाएंगी और इसमें भाजपा कामयाब नहीं हो पाएगी।
नई दिल्ली। राज्यसभा में वंदे मातरम् पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए कांग्रेस आध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि, जिन लोगों ने आजादी की लड़ाई में हिस्सा नहीं लिया, वे आज देशभक्ति का पाठ पढ़ा रहे हैं। वंदे मातरम् को आजादी का नारा बनाने का काम कांग्रेस पार्टी ने ही किया है। पूर्व पीएम जवाहर लाल नेहरू के सदन में जिक्र को लेकर खरगे ने कहा कि, ये पूर्व प्रधानमंत्री को बदनाम करने की सभी कोशिशें व्यर्थ जाएंगी और इसमें भाजपा कामयाब नहीं हो पाएगी।
उन्होंने आगे कहा, महात्मा गांधी जी ने जब 1921 में ‘असहयोग आंदोलन’ छेड़ा, तब लाखों कांग्रेस के कार्यकर्ता, स्वतंत्रता सेनानी- भारत माता की जय, महात्मा गांधी जी की जय का नारा लगाते हुए जेल जा रहे थे। जबकि उसी समय आपके (RSS-BJP) के लोग अंग्रेजों की नौकरी कर रहे थे। आज आप हमें देशभक्ति सिखा रहे हैं। साथ ही कहा, मैंने प्रधानमंत्री मोदी का भाषण सुना, उन्होंने नेहरू जी पर आरोप लगाते हुए कहा-1937 में नेहरू जी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी ने मूल ‘वंदे मातरम्’ गीत से महत्वपूर्ण पद हटा दिए थे। आज BJP के लोग ऐसी बातें कर रहे हैं। लेकिन जब BJP के पुरखे श्यामा प्रसाद मुखर्जी, मुस्लिम लीग के साथ बंगाल में सरकार चला रहे थे, तब आपकी देशभक्ति कहां थी?
BJP को अपना इतिहास पढ़ना चाहिए।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने सुभाष चंद्र बोस जी को लेकर नेहरू जी की चिट्ठी का जिक्र किया। हमेशा की तरह उन्होंने सदन को गुमराह किया। नरेंद्र मोदी जी के आरोप तथ्य से परे हैं और लोगों को भ्रमित करने वाले हैं। सच्चाई यह है कि 16 अक्टूबर 1937 को नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी ने गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर जी को पत्र लिखा और उनसे पूछा कि कांग्रेस को ‘वंदे मातरम्’ के प्रति क्या रुख अपनाना है?
इसके अगले दिन नेताजी ने नेहरू जी को पत्र लिखा और सुझाव दिया कि नेहरू जी को इस विषय पर गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर जी से व्यक्तिगत रूप से मिलना चाहिए। 25 अक्टूबर 1937 को नेहरू जी, गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर जी से मिले और 26 अक्टूबर 1937 को पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने कहा- “In offering my own opinion about it, I’m reminded that the privilege of originally setting its first stanza to the tune was mine. To me, the spirit of tenderness and devotion expressed in its first portion, the emphasis it gave to the beautiful and beneficial aspects of our motherland, made a special appeal, so much so that I found no difficulty in disassociating it with the rest of the poem.
The first two stanzas are such that it is impossible for anyone to take objection to. Remember we are thinking in terms of National Song for all India.” ये रवींद्रनाथ टैगोर जी के शब्द हैं। क्या BJP इसके खिलाफ है, क्या BJP इसकी निंदा करेगी? सच्चाई यह है कि कांग्रेस वर्किंग कमेटी ने 28 अक्टूबर 1937 को गुरुदेव के इन्हीं शब्दों को सर्वसम्मति से पारित किया।
इस प्रस्ताव पर सहमति व्यक्त करने वाले प्रमुख नेताओं में महात्मा गांधी जी, मौलाना आजाद जी, पंडित नेहरू जी, नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी, डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद जी, सरदार पटेल जी, जेपी कृपलानी जी, गोविंद वल्लभ पंत जी शामिल थे। इस प्रस्ताव में कहा गया है कि “The Committee which has to point out that the modern evolution of the use of this song as part of national life is of infinitely greater importance. Therefore, the Committee recommends that wherever Vande Mataram is sung at national gatherings, only the first two stanzas should be sung, with perfect freedom to organise, to sing any other song of unobjectionable character can be sung.”
यह प्रस्ताव वर्किंग कमेटी में मंजूर किया गया था। इस कमेटी में सभी प्रमुख नेता मौजूद थे, ऐसे में उन सभी का अपमान क्यों किया जा रहा है? सवाल यह भी है कि क्यों प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह, नेहरू जी को टारगेट कर रहे हैं? उन्होंने आगे कहा, ‘वंदे मातरम्’ पर एक नया विवाद खड़ाकर, नरेंद्र मोदी जी ने राष्ट्र नायकों के साथ ही गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर जी का भी अपमान किया है। यह नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी का अपमान है, जिन्होंने ‘वंदे मातरम्’ को स्वतंत्रता संग्राम की धड़कन बना दिया। इसके साथ ही नरेंद्र मोदी जी ने उस पूरी पीढ़ी का अपमान किया है, जिन्होंने आजादी के लिए जेल की यातनाएं सहन की और इस गीत को अपने हृदय में संजोकर कुर्बान हो गए। इसलिए नरेंद्र मोदी जी को देश से माफी मांगनी चाहिए।