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Umesh Pal Murder Case : यूपी पुलिस का खुफिया तंत्र फेल, पिन प्वाइंट लोकेशन के बाद भी हाथ से फिसले शूटर, शह-मात खेल में शूटर पड़ रहे भारी

Umesh Pal Murder Case :  प्रयागराज के उमेश पाल हत्याकांड (Umesh Pal Murder Case) का पुलिस ने अपनी तरफ से मोटे तौर पर मामले का खुलासा भी कर दिया है। कत्ल के मास्टरमाइंड से लेकर उसे अंजाम देने वाले गुर्गों यानी शूटर्स की पहचान भी बता दी, लेकिन लाख कोशिशों के बावजूद पुलिस अब तक शूटरों तक नहीं पहुंच पा रही है।

By संतोष सिंह 
Updated Date

Umesh Pal Murder Case :  प्रयागराज के उमेश पाल हत्याकांड (Umesh Pal Murder Case) का पुलिस ने अपनी तरफ से मोटे तौर पर मामले का खुलासा भी कर दिया है। कत्ल के मास्टरमाइंड से लेकर उसे अंजाम देने वाले गुर्गों यानी शूटर्स की पहचान भी बता दी, लेकिन लाख कोशिशों के बावजूद पुलिस अब तक शूटरों तक नहीं पहुंच पा रही है। बल्कि अगर ये कहें कि इस केस के शूटर पुलिस की पकड़ से हाथ आई मछली की तरह लगातार फिसलते जा रहे हैं, तो भी ये गलत नहीं होगा, क्योंकि इन 26 दिनों में ऐसा कई बार हो चुका है जब पुलिस को इन शूटर्स के अलग-अलग जगहों पर छुपे होने की इत्तिला मिली, दबिश दी गई, लेकिन ठीक दबिश से पहले ही शूटर वहां से फरार हो गए।

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आपको जानकर हैरानी होगी कि ऐसा एक नहीं बल्कि उन सभी के सभी शूटर्स के साथ हुआ, जो पुलिस के बही-खातों में फिलहाल फरार चल रहे हैं और जिनकी धर पकड़ के लिए पुलिस लगातार उन पर इनाम बढ़ाती जा रही है। मगर ये शातिर बदमाश पुलिस को लगातार चकमा दिए जा रहे हैं। तो आइए सबसे पहले शुरुआत शूटआउट के वक्त क्रेटा से उतर कर राइफल से ताबड़तोड़ गोलियां चलाने वाले अतीक अहमद के पुराने वफादार साबिर से।

चकमा नंबर- 1

पुलिस सूत्रों की मानें तो उन्हें शूटआउट के ठीक दो दिन बाद ही प्रयागराज के पड़ोसी जिले कौशांबी में साबिर के छुपे होने की खबर मिली। तारीख थी 26 फरवरी और तो और पुलिस को साबिर के हाइड आउट यानी खुफिया ठिकाने की पिन प्वाइंट लोकेशन भी मिल गई थी, लेकिन इससे पहले कि पुलिस उस ठिकाने पर दबिश डालती, साबिर वहां से फरार हो चुका था।

चकमा नंबर- 2

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इसके अगले ही दिन यानी 27 फरवरी को बारी आई बमबाज गुड्डू मुस्लिम की। वही गुड्डू मुस्लिम जिसने उमेश पाल शूटआउट (Umesh Pal Murder Case)  के दौरान बम मार कर पूरे इलाके को धुआं-धुआं कर दिया था। पुलिस को पता चला कि तीन दिनों तक प्रयागराज में ही छुपे रहने के बाद अब गुड्डू मुस्लिम गोरखपुर के लिए निकल चुका है। पुलिस ने ख़बर मिलते ही उसे बीच रास्ते से पकड़ने के लिए जाल बिछाया, लेकिन इसे पुलिस के सूचना तंत्र की नाकामी कहें या फिर शूटरों के मददगारों की चौकसी, पुलिस इंतजार करती रह गई और रास्ते से ही गुड्डू मुस्लिम ऐसा गायब हुआ कि फिर पुलिस को उसका नामो-निशान नहीं मिला।

चकमा नंबर- 3

तीसरे नंबर पर उमेश पाल हत्याकांड (Umesh Pal Murder Case) के सबसे लो-प्रोफाइल शूटर अरमान की बारी आई। जब पुलिस को पता चला कि अरमान बिहार के सासाराम कोर्ट में सरेंडर करने वाला है। तारीख थी 3 मार्च 2023 अरमान के बिहार में होने की ख़बर मिलते ही प्रयागराज पुलिस और एसटीएफ (STF) की तीन टीमों ने बिहार का रुख किया,लोकल पुलिस की मदद से पूरे इलाके की घेराबंदी की गई, लेकिन इस बार भी पुलिस की सारी कोशिशें धरी की धरी रह गई और अरमान निकल गया।

चकमा नंबर- 4

उमेश पाल हत्याकांड (Umesh Pal Murder Case) के सबसे लो प्रोफाइल शूटर के बाद पुलिस को सबसे हाई प्रोफाइल शूटर यानी अतीक अहमद के बेटे असद के बारे में जानकारी मिली। तारीख थी 15 मार्च 2023। पता चला कि असद भारत से निकल कर नेपाल में जा छुपा है। नेपाल में कपिलवस्तु जिले में अतीक अहमद के खास आदमी कय्यूम अंसारी के खुफिया ठिकाने पर मौजूद है। ख़बर मिलते ही यूपी पुलिस की कई टीमों ने कय्यूम के ठिकानों पर छापेमारी की। कय्यूम कपिलवस्तु के ही चंद्रौटा इलाके में अपने पेट्रोल पंप अंसारी डीज़ल्स से गिरफ्तार भी कर लिया गया, लेकिन असद का कुछ पता नहीं चला। फिलहाल पुलिस कय्यूम से असद समेत बाकी शूटरों के राज उगलवाने की कोशिश कर रही है।

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चकमा नंबर- 5

अब जब एक-एक कर सारे शूटर्स पुलिस को चकमा दे रहे थे तो भला इस शूटआउट का सबसे शातिर किरदार गुलाम मोहम्मद कैसे पीछे रह जाता? तो यूपी पुलिस को गुलाम मोहम्मद के बारे में भी जानकारी मिली। 18 मार्च को पता चला कि वो आगरा के फतेहपुर सीकरी इलाके में अपने किसी जानकार के खुफिया ठिकाने पर छुपा है। पुलिस ने भारी अमले के साथ उसकी घेराबंदी करने की कोशिश की,लेकिन बाकी के शूटरों की तरह ही गुलाम मोहम्मद भी पुलिस की छापेमारी से पहले वहां से फरार हो चुका था।

पुलिस के खुफिया तंत्र की नाकामी

जाहिर है शूटरों का यूं लगातार पुलिस के आने से पहले ही गायब हो जाना इस बात को साबित करता है कि लुकाछिपी के इस खेल में ये शूटर इस वक्त पुलिस पर बीस साबित हो रहे हैं। इसे पुलिस के खुफिया तंत्र की नाकामी भी कह सकते हैं और इनफॉरमेशन के लीक होने का नतीजा भी,लेकिन शूटरों की फरारी यूपी पुलिस के लिए अब बड़ी किरकिरी साबित हो रही है।

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