योगी सरकार (Yogi Government) प्रदेश की राजधानी लखनऊ में स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक नई पहल शुरू करने जा रही है। सरकार सचिवालय समेत समस्त सरकारी भवनों, माॅल आदि जगहों पर ऑटोमेटेड एक्सटर्नल डिफाइब्रिलेटर (AED) या शॉक मशीन (Shock Machine) स्थापित करेगी। इसके लिए मुख्य सचिव ने अंतिम मुहर लगा दी है।
लखनऊ। योगी सरकार (Yogi Government) प्रदेश की राजधानी लखनऊ में स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक नई पहल शुरू करने जा रही है। सरकार सचिवालय समेत समस्त सरकारी भवनों, माॅल आदि जगहों पर ऑटोमेटेड एक्सटर्नल डिफाइब्रिलेटर (AED) या शॉक मशीन (Shock Machine) स्थापित करेगी। इसके लिए मुख्य सचिव ने अंतिम मुहर लगा दी है। आगामी 1 अगस्त से लोकभवन, इंद्राभवन, शक्तिभवन और एनेक्सी में ऑटोमेटेड एक्सटर्नल डिफाइब्रिलेटर (AED) लगाने का कार्य शुरू हो जाएगा। इस मशीन के लगने से कार्डियक अरेस्ट की स्थिति में सरकारी भवनों में ही मरीज को जरूरी कार्डियक फर्स्ट एड (Cardiac First Aid) प्रदान किया जा सकेगा।
सीपीआर से अधिक कारगर है मशीन
बता दें कि ऑटोमेटेड एक्सटर्नल डिफाइब्रिलेटर (AED) या शॉक मशीन के माध्यम से मरीज के हृदय के समीप मशीन को लगाकर तात्कलिक रूप से रोगी व्यक्ति को एक शॉक दिया जाता है, जिससे व्यक्ति का हृदय अपनी गति से कार्य करने लगता है और रोगों को समीपवर्ती अस्पताल में चिकित्सा हेतु भेजे जाने का समय मिल जाता है। मशीन द्वारा रोगी के हृदय के समीप दो स्थानों पर दिए जाने वाले इलेक्ट्रिक शॉक (Electric Shock)से उसे प्राथमिक चिकित्सा प्राप्त हो जाती है। यह चिकित्सा हृदयघात के समय हाथ में दी जाने वाली सीपीआर प्राथमिक चिकित्सा से अधिक कारगर है।
दिया गया है विशेष प्रशिक्षण
मशीन के संचालन एवं प्रयोग के लिए सचिवालय के अंदर सभी चिकित्सालयों (Allopathic, Homeopathic and Ayurvedic) के चिकित्सकों एवं सभी भवनों के व्यवस्थापकों को प्रशिक्षित किया जा चुका है, क्योंकि यह मशीन इन्ही के संरक्षण में रखी जाएगी। मशीन से सचिवालय के सभी अधिकारियों/कर्मचारियों को हृदयघात से प्राथमिक चिकित्सा प्रत्येक भवन में प्राप्त होगी और सचिवालय में हृदयघात से बचाव से संबंधित सकारात्मकता का माहौल रहेगा।
क्या है सडन कार्डिएक अरेस्ट?
दरअसल सडन कार्डियक अरेस्ट (Sudden Cardiac Arrest) का मतलब है कि दिल अचानक धड़कना बंद कर देता है। देश में हर साल कार्डियक अरेस्ट (Cardiac Arrest) से होने वाली मौतों का आंकड़ा लगभग 07 लाख है। इमरजेंसी की स्थिति में लोग मरीज की तुरंत मदद नहीं कर पाते और जब तक मरीज को चिकित्सीय सहायता मिलती है, तब तक देर हो जाती है।इसके लिए तत्काल सहायता अनिवार्य है। पहले 3-5 मिनट में मदद के बिना पीड़ित के बचने की संभावना लगभग शून्य होती है।