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उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल (पूर्व माध्यमिक) शिक्षक संघ ने ज्ञापन सौंपकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का किया विरोध

उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल (पूर्व माध्यमिक) शिक्षक संघ उत्तर प्रदेश ने आज पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार बड़ी संख्या में शिक्षक शिक्षिकाओं ने डीएम कार्यालय पर उपस्थित होकर प्रधानमंत्री तथा मुख्यमंत्री को संबोधित अपना ज्ञापन जिलाधिकारी को प्रस्तुत किया। ज्ञापन के माध्यम से सभी ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के आदेश का विरोध व्यक्त किया जिसके कारण शिक्षक साथियों ने भविष्य पर प्रश्न चिन्ह लग गया है।

By संतोष सिंह 
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लखनऊ। उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल (पूर्व माध्यमिक) शिक्षक संघ उत्तर प्रदेश ने आज पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार बड़ी संख्या में शिक्षक शिक्षिकाओं ने डीएम कार्यालय पर उपस्थित होकर प्रधानमंत्री तथा मुख्यमंत्री को संबोधित अपना ज्ञापन जिलाधिकारी को प्रस्तुत किया। ज्ञापन के माध्यम से सभी ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के आदेश का विरोध व्यक्त किया जिसके कारण शिक्षक साथियों ने भविष्य पर प्रश्न चिन्ह लग गया है। उक्त आदेश के क्रियान्वयन में आने वाली तकनीकी समस्याओं से जिलाधिकारी को अवगत कराया गया।

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शिक्षकों का कहना है कि ए​क सितम्बर 2025 को  सर्वोच्च न्यायालय द्वारा ऐसे सेवारत शिक्षक जिनकी सेवा 5 वर्ष से अधिक शेष है,के लिए TET अनिवार्य कर दिया गया है अर्थात उनको सेवा में बने रहने के लिए अधिकतम दो वर्षों में TET करना अनिवार्य होगा जबकि RTE Act 2009 में लाया गया तथा 23 अगस्त 2010 में इसकी गाइड लाइन जारी की गयी। 29 जुलाई 2011से उत्तर प्रदेश में RTE Act लागू हुआ जिसके द्वारा यह कहा गया था कि 29 जुलाई 2011 से पूर्व नियुक्त शिक्षकों को इस व्यवस्था अर्थात RTE Act से मुक्त रखा जायेगा परन्तु 03 अगस्त 2017 में RTE Act 23(2) में Proviso लाकर समस्त शिक्षकों के लिए TET अनिवार्य कर दिया गया,  लेकिन इसके दायरे में आने वाले प्रभावित पक्ष अर्थात शिक्षकों को किसी प्रकार की नोटिस या सूचना प्रदान नही की गयी।

इस संबंध में यह भी महत्वपूर्ण है कि उपरोक्त मुकदमे में केवल महाराष्ट्र एवं तमिलनाडु सरकार ही पक्षकार थी जबकि उत्तर प्रदेश सहित अन्य प्रदेश पार्टी ही नहीं थे। तत्क्रम में न्यायाधीशों की पीठ द्वारा धारा 142 की विशिष्ट शक्तियों का प्रयोग करते हुए देशव्यापी निर्णय दिया गया जिसके कारण देश के लाखों लाख शिक्षकों सहित उत्तर प्रदेश के लगभग 2,50000 शिक्षक परिवारों के सामने आजीविका का संकट उत्पन्न हो गया है। 01 सितम्बर 2025 से दो वर्ष की अवधि तक TET की निर्धारित अहर्ता पूर्ण न होने पर 29 जुलाई 2011 से पूर्व नियुक्त उत्तर प्रदेश के लाखों लाख शिक्षक परिवार भुखमरी की कगार पर होंगे जबकि इनकी नियुक्ति RTE Act लागू होने से पूर्व होने के कारण इनको TET से मुक्त रखा जाना चाहिये था जैसा कि भारत सरकार /NCTE द्वारा निर्गत आदेश (भारत का राजपत्र संख्या – 215 दिनांक 23 अगस्त 2010 के पैरा 4) में इस आधार को स्पष्ट रूप से स्थापित किया गया है।

उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल (पूर्व माध्यमिक) शिक्षक संघ उत्तर प्रदेश के अनुसार विभाग में शिक्षकों की भर्तियां अलग-अलग समय पर अलग-अलग मानक पर की गई हैं। भर्ती के मानक पूरा करने वाले शिक्षकों को वरीयता के आधार पर सेवा में लिया गया। कुछ भर्ती में नियुक्त शिक्षक T.ET परीक्षा देने के लिए आवश्यक योग्यता नहीं रखते। न्यायालय के निर्णय से शिक्षक साथी मानसिक तनाव का सामना कर रहे हैं जिससे शिक्षण व्यवस्था भी प्रभावित हो रही है। टीईटी को सेवारत शिक्षकों पर लागू किए जाने पर प्रदेश के लाखों शिक्षकों के कार्य शैली पर प्रश्न उठ रहा है जिससे बेसिक शिक्षा विभाग की छवि प्रभावित हो रही है।

जूनियर हाइ स्कूल शिक्षक संघ ने  प्रधानमंत्री, केंद्रीय शिक्षा मंत्री तरह  मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश को प्रेषित ज्ञापन में मांग की कि न्यायालय का उपरोक्त निर्णय नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत के भी प्रतिकूल होने के कारण प्रदेश के लाखों लाख सेवारत शिक्षकों को सेवा व पदोन्नति में टीईटी से मुक्त रखने हेतु उच्चतम न्यायालय में शिक्षकों का पक्ष रखने एवं आवश्यकता अनुरूप अधिनियम व नियम में संशोधन करने की आवश्यकता है जिससे उन शिक्षकों को मानसिक तनाव से बचाया जा सके और शिक्षक एवं शिक्षार्थी हित पूर्ण हो सके।

इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाई स्कूल शिक्षक संघ के जिला अध्यक्ष सुरेश जायसवाल,मंत्री विनोद कुमार राय, कोषाध्यक्ष प्रणय कुमार,वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रकाश चंद्र तिवारी, जनपदीय कार्यकारिणी के सदस्य  प्रभात कुमार, मनोज तिवारी,ब्लॉक इकाइयों से कुनेन्द्र पाल सिंह, प्रमोद कुमार , राज कुमार,मोहम्मद अली, मोहिंदर पाण्डेय, प्राथमिक शिक्षक संघ के जनपदीय मंत्री बृजेश मौर्य व सैकड़ों की संख्या में शिक्षक शिक्षिकाएं उपस्थित थीं।

 

 

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