मध्य प्रदेश के रतलाम जिले में मानवता को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है। यहां एक गर्भवती महिला को अस्पताल ने दो बार यह कहकर लौटा दिया कि डिलीवरी में समय है। जब तीसरी बार उसका पति उसे ठेले पर अस्पताल लेकर भागा, तो रास्ते में ही महिला की डिलीवरी हो गई और नवजात की मौत हो गई।
रतलाम: मध्य प्रदेश के रतलाम जिले में मानवता को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है। यहां एक गर्भवती महिला को अस्पताल ने दो बार यह कहकर लौटा दिया कि डिलीवरी में समय है। जब तीसरी बार उसका पति उसे ठेले पर अस्पताल लेकर भागा, तो रास्ते में ही महिला की डिलीवरी हो गई और नवजात की मौत हो गई। घटना का सीसीटीवी फुटेज सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें पति अपनी गर्भवती पत्नी को ठेले पर अस्पताल ले जाते दिख रहा है।
जानकारी के अनुसार, रतलाम जिले के सैलाना इलाके में रहने वाले कृष्णा ग्वाला अपनी गर्भवती पत्नी नीतू को 23 मार्च को सुबह 9 बजे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुंचे थे।
रास्ते में हुई डिलीवरी
वहां मौजूद नर्स चेतना चारेल ने उन्हें यह कहकर वापस भेज दिया कि डिलीवरी में अभी दो-तीन दिन का समय है। इसके बाद रात में करीब 1 बजे जब महिला को फिर से तेज दर्द हुआ, तो पति दोबारा उसे लेकर अस्पताल पहुंचा। इस बार नर्स गायत्री पाटीदार ने जांच के बाद कह दिया कि प्रसव में अभी 15 घंटे बाकी हैं और भर्ती करने से इनकार कर दिया।मजबूरी में दंपत्ति घर लौट आए।
सुबह करीब 3 बजे महिला को असहनीय दर्द हुआ, तो कृष्णा ग्वाला ने उसे ठेले में लिटाया और अस्पताल की ओर दौड़ा। लेकिन रास्ते में ही डिलीवरी हो गई। अस्पताल पहुंचने के बाद डॉक्टरों ने नवजात को मृत घोषित कर दिया।
जानें क्या हुई कार्रवाई?
इस घटना से इलाके में गुस्सा फैल गया। पीड़ित पति ने अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए एसडीएम मनीष जैन से शिकायत की। जांच के बाद प्रशासन ने दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की है। नर्स चेतना चारेल को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया। संविदा नर्स गायत्री पाटीदार की सेवाएं भी समाप्त कर दी गईं।
ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर (BMO) डॉ. पीसी कोली को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर शैलेश डांगे के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की गई। फिलहाल, जिला कलेक्टर राजेश बाथम ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं।