Waqf Bill in Lok Sabha: केंद्र सरकार के तरफ से वक्फ संशोधन बिल 2024 (Waqf Amendment Bill 2024) को बुधवार 2 अप्रैल को लोकसभा में पेश किया जाएगा। इसे पेश करने की तैयारी पूरी कर ली है। इस महत्वपूर्ण विधेयक पर विचार और पारित करने के लिए भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अपने सभी लोकसभा सांसदों को संसद में मौजूद रहने का निर्देश दिया है।
Waqf Bill in Lok Sabha: केंद्र सरकार के तरफ से वक्फ संशोधन बिल 2024 (Waqf Amendment Bill 2024) को बुधवार 2 अप्रैल को लोकसभा में पेश किया जाएगा। इसे पेश करने की तैयारी पूरी कर ली है। इस महत्वपूर्ण विधेयक पर विचार और पारित करने के लिए भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अपने सभी लोकसभा सांसदों को संसद में मौजूद रहने का निर्देश दिया है। पार्टी ने इसके लिए एक तीन पंक्ति का व्हिप जारी किया है, जिसमें सांसदों से पूरे दिन उपस्थित रहकर सरकार के रुख का समर्थन करने को कहा गया है।
विधेयक का महत्व और उद्देश्य
वक्फ संशोधन बिल 2024, वक्फ अधिनियम 1995 में संशोधन के लिए लाया जा रहा है। इसका उद्देश्य वक्फ बोर्डों के कामकाज में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना है। सरकार का दावा है कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग को रोकने और इनके प्रबंधन को बेहतर बनाने में मदद करेगा। बीजेपी सांसद बृज लाल ने कहा कि ‘यह एक महत्वपूर्ण विधेयक है जो वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग से परेशान लोगों के लिए राहत लेकर आएगा। यह समय की मांग है।
लोकसभा में होगी आठ घंटे की चर्चा
केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने बताया कि लोकसभा की बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (BAC) की बैठक में इस विधेयक पर चर्चा के लिए आठ घंटे का समय निर्धारित किया गया है जिसे आवश्यकता पड़ने पर बढ़ाया भी जा सकता है। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि इस पर विस्तृत चर्चा हो। हर राजनीतिक दल को अपनी राय रखने का अधिकार है और देश जानना चाहता है कि इस संशोधन पर किसका क्या रुख है। हालांकि कांग्रेस ने 12 घंटे की चर्चा की मांग की थी। जिसके बाद बैठक में सरकार और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक भी हुई।
विपक्ष का विरोध और सरकार का जवाब
वक्फ संशोधन बिल को लेकर विपक्षी दलों ने पहले ही इसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। कांग्रेस, सपा, तृणमूल कांग्रेस और अन्य दलों ने इसे असंवैधानिक और मुस्लिम समुदाय के अधिकारों पर हमला करार दिया था। अगस्त 2024 में जब यह बिल पहली बार लोकसभा में पेश किया गया था, तब विपक्ष ने इसे संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजने की मांग की थी. जिसे सरकार ने मान लिया था। अब जेपीसी की रिपोर्ट के आधार पर यह बिल दोबारा पेश किया जा रहा है। रिजिजू ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह बिल मस्जिदों के कामकाज में हस्तक्षेप के लिए नहीं है बल्कि वक्फ बोर्डों में पारदर्शिता लाने के लिए है।