तकनीकी युग (Technological Era) में आजकल बच्चों से लेकर बढ़े सभी स्मार्टफोन (Smartphone) का इस्तेमाल हमारी जिंदगी का एक अहम हिस्सा बन चुका है। जहां स्मार्टफोन (Smartphone) ने हमारी जिंदगी के जुड़े कुछ कामों को काफी हद तक आसान बनाया है। वहीं इसके कारण समाज में बहुत दुष्प्रभाव भी दिखाई देते हैं। इसने न सिर्फ सेहत ही नहीं बल्कि हमारे रिश्तों पर भी गहरा प्रभाव डाला है।
लखनऊ। तकनीकी युग (Technological Era) में आजकल बच्चों से लेकर बढ़े सभी स्मार्टफोन (Smartphone) का इस्तेमाल हमारी जिंदगी का एक अहम हिस्सा बन चुका है। जहां स्मार्टफोन (Smartphone) ने हमारी जिंदगी के जुड़े कुछ कामों को काफी हद तक आसान बनाया है। वहीं इसके कारण समाज में बहुत दुष्प्रभाव भी दिखाई देते हैं। इसने न सिर्फ सेहत ही नहीं बल्कि हमारे रिश्तों पर भी गहरा प्रभाव डाला है।
पहले के दौर में जब मोबाइल नहीं था, तो लोगों का आपस में काफी मिलना-जुलना होता था। संवाद (Communication) का सिलसिला चलता रहता था। लोग एक-दूसरे के दर्द और भावना को समझते थे। साथ ही समस्याओं के निपटारे के लिए प्रयास करते थे। अब मोबाइल के आगमन के बाद बातें तो काफी हो रही हैं, लेकिन दिलों के बीच की दूरियां काफी बढ़ गई हैं। लोगों के बीच उचित संवाद नहीं हो पा रहा है। व्यक्तिगत समस्याओं का जाल बढ़ रहा है और रिश्तों की बुनियाद कमजोर पड़ती जा रही है। आज के समय में एक ही घर में रह रहे लोग एक-दूसरे से बातचीत करने के लिए भी स्मार्टफोन का इस्तेमाल करने लग गए हैं।
स्मार्टफोन में लोगों की व्यस्तता का असर हमारे रिश्तों पर देखा जा रहा है
स्मार्टफोन में लोगों की व्यस्तता इतनी बढ़ गई कि हम अपनों को समय नहीं दे पाते हैं, जिसका असर हमारे रिश्तों पर देखा जा रहा है। यहां तक कि बाहर घूमने या डिनर पर जाते समय भी हम अपने-अपने फोन का इस्तेमाल करते रहते हैं। खासतौर पर जब आप अपने पार्टनर और बच्चों को समय देने की बजाय अपने स्मार्टफोन पर समय बिताते हैं। चलिए जानते हैं इससे रिश्तों पर असर कैसे पड़ता है?
आजकल के दौर में प्राइवेसी नाम की कोई चीज नहीं रह गई है, सिर्फ स्मार्टफोन को छोड़कर
आज के दौर में हम सबकुछ शेयर करने को तैयार हो जाते हैं, लेकिन स्मार्टफोन को नहीं। आजकल के दौर में प्राइवेसी नाम की कोई चीज नहीं रह गई है, सिर्फ स्मार्टफोन को छोड़कर। स्मार्टफोन में लॉक लगाना एक आमबात हो चुकी है। इसकी वजह यह है कि हमारे फोन कोई कुछ चेक कर पाए इसके लॉक लगाने की हर तरकीब लगाई जाती है। अगर एक पिता अपने बेटे फोन मांग ले उसको बेटा लॉक खोलकर देने को तैयार नहीं होता। यही चीज पति—पत्नी की रिश्तों में भी अक्सर देखने को मिलती है। मां को बेटी अपना फोन देने को तैयार नहीं होती है। आखिर कौन सा ऐसा सीक्रेट है? जो हम अपनो से शेयर करने में अपने आपको खतरा महसूस करते हैं। यही अविश्वास हमारे रिश्तों में दूरी पैदा कर रहा और समाज को एक खतरनाक मोड़ पर लेकर जाकर खड़ा कर रहा है और रिश्ते के बीच दरार की वजह बन रहा है।
डिजिटल दुनिया में हमेशा होता है भरोसा का खतरा
यह शिकायत आजकल किसी एक परिवार की नहीं बल्कि अधिकतर परिवारों की बनती जा रही है। इसके चलते पति-पत्नी एक-दूसरे को शक की निगाह से देखते हैं। मोबाइल ने पति-पत्नी के रिश्तों में शक की दरार डाल दी है। अपने स्मार्टफोन का उपयोग करके, आप सोशल मीडिया के माध्यम से आसानी से अधिक लोगों से जुड़ सकते हैं, लेकिन यहां हमेशा भरोसा का खतरा होता है। आपके पास सोशल मीडिया पर हजारों दोस्त हो सकते हैं, लेकिन उन लोगों पर आपका विश्वास या उनका आप पर विश्वास उन दोस्तों से कम होगा जो हमेशा आपके साथ रहते हैं। एक ओर स्मार्टफोन आपको दुनिया के किसी कोने में बैठे व्यक्ति से जुड़ने का अवसर देता है, दूसरी ओर इसका अत्यधिक उपयोग आपको आपके आस-पास के लोगों से अलग कर रहा है।
स्मार्टफोन के इस्तेमाल का समय कम करने और लोगों से सीधे कनेक्ट होने की कोशिश ज्यादा करें
एक्सपर्ट्स के मुताबिक एक डिजिटल डिटॉक्स (Digital Detox) से आपके रिश्ते और सेहत दोनों सुधर सकते हैं। इस समस्या से बचने के लिए आपको जरूरी बातचीत, घर या परिवार के सदस्यों के साथ बैठने या व्यक्तिगत बातचीत के दौरान फोन का इस्तेमाल कम से कम करना चाहिए। अपने लोगों के साथ क्वालिटी टाइम बिताने में भी फोन बाधा नही बनना चाहिए। स्मार्टफोन के इस्तेमाल का समय निर्धारित करें और अपने वर्तमान पर ज्यादा ध्यान देने की कोशिश करें। आपके आसपास क्या घट रहा है इसकी जानकारी फोन के माध्यम से होने के बजाय आपको सीधे होनी चाहिए। स्मार्टफोन के इस्तेमाल का समय कम करने और लोगों से सीधे कनेक्ट होने की कोशिश ज्यादा करें। ऐसा करने से आप दोनों चीजों को मैनेज कर पाएंगे। स्मार्टफोन या सोशल मीडिया पर बने दोस्तों और आपके आसपास के दोस्तों के लिए समय निकालने में संतुलन रखें।
समय और रिश्तों की कीमत पर उसके व्यर्थ इस्तेमाल से बचें ताकि हाथ से फिसलती खुशियों को थाम सकें
लोगों को यह विश्वास दिलाने की कोशिश जरूर करें की आप उन पर कितना भरोसा करते हैं। स्मार्टफोन और सोशल मीडिया (Social Media) के इस्तेमाल के साथ आपको यह समझने की जरूरत है की आपके रिश्ते इससे कहीं ज्यादा जरूरी और ज्यादा मायने रखते हैं। रिश्तों में तनाव या दूरी बनने से आपकी जिंदगी पर गहरा असर पड़ सकता है। आजकल मोबाइल फोन सड़क पर मौत की पहली वजह भी बनते जा रहे हैं। साथ ही रिश्तों को बिगाड़ने की एक प्रमुख वजह भी। एक-दूसरे के साथ अच्छा समय बिताने की जगह लोग अपने वर्चुअल फ्रेंड्स (Virtual Friends) को मैसेज देने में व्यस्त रहते हैं। बतौर समाज हम इस उपकरण की उपयोगिता को समझें और समय और रिश्तों की कीमत पर उसके व्यर्थ इस्तेमाल से बचें ताकि हम अनजाने में हमारे हाथ से फिसलती खुशियों को थाम सकें।