राजस्थान के जयपुर में एसएमएस अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर के न्यूरो आईसीयू में लगी आग में आठ लोगों की मौत हो गयी। इस घटना के बाद कई सवाल उठने लगे हैं। उधर, अभी भी वहां पर अफरा-तफरी जैसी स्थिति बनी हुई है। मरीजों के परिजन इस घटना को लेकर आक्रोशित हैं और सरकार पर निशाना साधते हुए सवाल खड़े कर रहे हैं। अब सरकार इस मामले की जांच की बात कह रही है लेकिन सवाल ये उठता है कि, इतनी बड़ी घटना के बाद क्या किसी की जिम्मेदारी तय की जाएगी या फिर जांच के नाम पर फाइलों को दबा दिया जाएगा।
जयपुर। राजस्थान के जयपुर में एसएमएस अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर के न्यूरो आईसीयू में लगी आग में आठ लोगों की मौत हो गयी। इस घटना के बाद कई सवाल उठने लगे हैं। उधर, अभी भी वहां पर अफरा-तफरी जैसी स्थिति बनी हुई है। मरीजों के परिजन इस घटना को लेकर आक्रोशित हैं और सरकार पर निशाना साधते हुए सवाल खड़े कर रहे हैं। अब सरकार इस मामले की जांच की बात कह रही है लेकिन सवाल ये उठता है कि, इतनी बड़ी घटना के बाद क्या किसी की जिम्मेदारी तय की जाएगी या फिर जांच के नाम पर फाइलों को दबा दिया जाएगा।
दरअसल, बीते रात करीब 11:30 बजे सवाई मान सिंह अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में आईसीयू वार्ड में शॉर्ट सर्किट से भीषण आग लग गई। इस हादसे में आठ मरीजों की मौत हो गई, जबकि कई गंभीर मरीजों को सुरक्षित बाहर निकाला गया। आग लगने की सूचना के बाद फायर बिग्रेड की कई गाड़ियां मौके पर पहुंची और आग पर काफी मशक्कत के बाद काबू पाया। बताया जा रहा है कि, शॉर्ट सर्किट के कारण आग लगी है। आईसीयू में भर्ती ज्यादातर मरीज पहले से ही बहुत गंभीर स्थिति में थे और कई कोमा में थे। उनके सर्वाइवल रिफ्लेक्स कमजोर थे, इसलिए उन्हें तुरंत शिफ्ट करना मुश्किल हो रहा था।
जांच के लिए उच्च स्तरीय कमेटी गठित की गई
वहीं, इस अग्निकांड के बाद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा सरकार के अन्य मंत्रियों के साथ देर रात अस्पताल पहुंचे और स्थिति का जायजा लिए। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को मरीजों को हर संभव सहायता उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। साथ ही मामले की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी भी गठित की गई है।
इतनी बड़ी घटना की आखिरी किसकी है जिम्मेदारी?
अब सवाल ये उठता है कि, आखिर इतनी बड़ी घटना की जिम्मेदारी किसकी है? क्या इस घटना की जांच भी सिर्फ फाइलों में दबकर रह जाएगी या फिर कोई बड़ी कार्रवाई होगी, जो नजीर बनेगी। दरअसल, पिछले कुछ वर्षों में बड़ी घटनाओं की जिम्मेदारी लेने की बजाए लोग जांच के बाद कार्रवाई का हवाला देते हैं लेकिन कुछ दिनों बाद ये जांच फाइलों में दब जाती है।