बांग्लादेश में साल 2026 के फरवरी में चुनाव होने वाला है । उससे पहले बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस हर कीमत पर बांग्लादेश चुनाव का रुख भारत विरोधी करके सियासी बाजी मारने के चक्कर में लगे हैं। लेकिन मोहम्मद यूनुस को हर बार 'मुंह की खानी' पड़ रही है। बांग्लादेश में हो रहे हिंदुओं के ऊपर अत्याचार को अनदेखा करने वाले मोहम्मद यूनुस ने बांग्लादेश में हिंदू विरोधी लहर बनाने का एक नया तरीका निकालने की कोशिश की, लेकिन उसमें भी फेल हो गए है।
बांग्लादेश में साल 2026 के फरवरी में चुनाव होने वाला है । उससे पहले बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस हर कीमत पर बांग्लादेश चुनाव का रुख भारत विरोधी करके सियासी बाजी मारने के चक्कर में लगे हैं। लेकिन मोहम्मद यूनुस को हर बार ‘मुंह की खानी’ पड़ रही है। बांग्लादेश में हो रहे हिंदुओं के ऊपर अत्याचार को अनदेखा करने वाले मोहम्मद यूनुस ने बांग्लादेश में हिंदू विरोधी लहर बनाने का एक नया तरीका निकालने की कोशिश की, लेकिन उसमें भी फेल हो गए है।
बता दें कि बांग्लादेश ने दावा किया है कि उनके कट्टरपंथी नेता उस्मान हादी की हत्या के दो मुख्य संदिग्ध पड़ोसी भारत के मेघालय में शरण लिए हुए हैं। इस दावे पर भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए इसे ‘मनगढ़ंत और दुर्भावनापूर्ण’ बताया है। बांग्लादेश पुलिस का कहना है कि ये संदिग्ध स्थानीय लोगों की मदद से भारत में घुसे हैं, जबकि भारतीय एजेंसियां सीमा पर कड़ी निगरानी का दावा कर रही हैं। यह घटनाक्रम बांग्लादेश में आगामी चुनावों और वहां की राजनीतिक अस्थिरता के बीच सामने आया है।
बांग्लादेश के दावों को भारत ने किया खारिज
मेघालय फ्रंटियर, बीएसएफ (BSF) इंस्पेक्टर जनरल ओम प्रकाश उपाध्याय ने बांग्लादेश के दावों का खंडन किया है। उन्होने ने बताया कि यहाँ उनके रहने का कोई सबूत नहीं मिला है । बांग्लादेश के मयमनसिंह से मेघालय में अंतरराष्ट्रीय सीमा पार कर आया हो। उपाध्याय ने बताया कि बीएसएफ (BSF) को ऐसी किसी घटना का पता नहीं चला है और न ही ऐसी कोई रिपोर्ट मिली है।
अवैध घुसपैठ पर सख्त निगरानी
उन्होंने जोर देकर कहा कि अंतरराष्ट्रीय सीमा पर लगातार निगरानी रखी जाती है और अवैध घुसपैठ के किसी भी प्रयास का तुरंत पता लगाकर उससे निपटा जाएगा।मेघालय की डीजीपी इदाशिशा नोंगरांग ने कहा कि बांग्लादेश से 32 वर्षीय हादी की हत्या के बारे में जो रिपोर्टें सामने आ रही हैं, वे बेबुनियाद हैं।
क्यों टेंशन में मोहम्मद यूनुस?
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के बेटे तारिक रहमान 17 साल बाद देश लौट आए हैं। रहमान की वापसी बांग्लादेश की राजनीति में एक नयी मोड लेकर आई है । रहमान की वापसी ऐसे समय में हो रही है जब देश में राजनीतिक अस्थिरता और विरोध-प्रदर्शन की एक नई लहर है। उधर खालिदा जिया के बेटे की वतन वापसी ने मोहम्मद यूनुस और कट्टरपंथी गुटों की हालत खराब कर दी है। दरअसल मोहम्मद यूनुस को अच्छे मालूम है कि खालिदा जिया के भारत और पीएम मोदी से अच्छे संबंध हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में बेगम खालिदा जिया के स्वास्थ्य को लेकर चिंता व्यक्त की थी। उन्होंने भारत की ओर से हर संभव मदद का आश्वासन भी दिया था।
तारिक रहमान एक सही विकल्प
भारत सरकार की नजरें बांग्लादेशी नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के तारिक रहमान पर टिकी हैं। वे बांग्लादेश में एक ऐसी सरकार के गठन में अहम भूमिका निभा सकते हैं जिसे जनता ने चुना हो। यह भारत के लिए भी एक महत्वपूर्ण समीकरण है। तारिक रहमान की मौजूदगी से क्षेत्रीय संतुलन बना रहेगा।
बांग्लादेश में भारी तनाव
बांग्लादेश में भारत विरोधी छात्र नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद से पूरे बांग्लादेश में तनाव का माहौल है। अब तक हादी के हत्यारों की गिरफ्तारी नहीं हो पाई है। हादी की मौत के बाद बांग्लादेश की राजधानी ढाका और अन्य शहरों में हिंसा भड़क उठी और भीड़ ने कई इलाकों में भारी आगजनी हुई। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार को कोशिश है कि इस मामले को भारत पर डालकर जनता की सहानुभूती बटोरी जाए। यही कारण है कि अब बांग्लादेश झूठे दावे कर रहा है कि हादी के हत्यारे भारत में हैं।
खुद कटघरे में यूनुस सरकार
हाल में भारत के पूर्व रॉ एजेंट लकी बिष्ट ने चौंकाने वाला दावा किया था। उन्होंने कहा था कि जमात-ए-इस्लामी यूनुस खान और आईएसआई किसी भी हद तक जा सकते हैं। चुनाव जीतने के लिए अपने ही नेता को मरवा देते हैं और नफरत आवामी लीग और भारत के खिलाफ फैला रहे हैं। उन्होंने कहा कि हादी की मौत तो मौके पर ही हो गई थी लेकिन बांग्लादेश सरकार ने दिखावे के लिए डेडबॉडी को सिंगापुर भेजा। उन्होंने बांग्लादेश के एक अधिकारी का वीडियो भी सुनाया, जिसमें वो अधिकारी कह रहा था कि इसे बच्चे को बलि का बकरा बनाया गया है।