आगरा के दहतोरा निवासी मुकेश कुमार ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर बताया कि, उनकी करीब साढ़े तेरह बीघा जमीन है, जिससे उनके परिवार का भारण पोषण चलता है। इसी जमीन पर उनके पूर्वजों की समाधि और देवस्थान भी बना हुआ था। उनका कहना है कि, 1989 में उनके पूर्वजों की जमीन को शास्त्रीपुरम योजना के तहत अधिग्रहण किया गया था, जिसकी आपत्ति उनके पूर्वजों ने उच्च न्यायालय में लगा दी थी और स्थगन आदेश ले आए।
आगरा। उत्तर प्रदेश के आगरा में भू माफियाओं का आतंक बढ़ता जा रहा है। आए दिन यहां पर कई ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, जहां बेसकीमती जमीनों पर कब्जा कर लिया जा रहा है या फिर फर्जी दस्तावेजों के जरिए बेच दिया जा रहा है। अफसरों की मिलीभगत के कारण बिल्डरों और भूमाफियाओं का मनोबल बढ़ता जा रहा है। हैरानी की बात ये है कि सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ भू माफियाओं की नाक में नकेल डालने की बात कहते हैं। मगर सरकारी मशीनरी बेबस, लाचार नजर आती है।
ताजा मामला आगरा के सिकंदरा के दहतोरा व मोहम्मदपुर का है, जहां एक बिल्डर ने आगरा विकास प्राधिकरण के अफसरों के साथ मिलकर किसान की जमीन पर कब्जा कर लिया। अब पीड़ित इसको लेकर अफसरों के चक्कर काट रहा है लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हो रही। ये मामला उत्तर प्रदेश के विधान परिषद की संसदीय एवं सामाजिक सद्भाव समिति के पास भी पहुंची, जहां समिति ने एक कमेटी बनाकर जांच के निर्देश दिए थे। साथ ही इसकी रिपोर्ट समिति को देने की बात कही थी।
आगरा के दहतोरा निवासी मुकेश कुमार ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर बताया कि, उनकी करीब साढ़े तेरह बीघा जमीन है, जिससे उनके परिवार का भारण पोषण चलता है। इसी जमीन पर उनके पूर्वजों की समाधि और देवस्थान भी बना हुआ था। उनका कहना है कि, 1989 में उनके पूर्वजों की जमीन को शास्त्रीपुरम योजना के तहत अधिग्रहण किया गया था, जिसकी आपत्ति उनके पूर्वजों ने उच्च न्यायालय में लगा दी थी और स्थगन आदेश ले आए।
पीड़ित मुकेश कुमार का कहना है कि, तभी आगरा निवासी बिल्डर सुबोध सागर ने उसकी मदद करने की बात कहकर नजदीकी बढ़ा ली। सुबोध ने हमारी जमीन को आगरा विकास प्राधिकरण से मुक्त कराने की बात कर धोखाधड़ी की और पांच बीघा जमीन का सौदा एस०जी०पी०के०ए० इन्फ्राटेक के डायरेक्टर गुड्डू गौतम और प्रभात माहेश्वरी से कर दिया। इसके बाद सुबोध ने प्रभात महेश्वरी और गुड्डू गौतम के साथ मिलकर पूरी जमीन पर कब्जा कर लिया।
उन्होंने आगे कहा, मार्च 2014 में जब आगरा प्लानर एवं एस०जी०पी०के०ए० इन्फ्राटेक प्रा०लि० के कर्मचारी हमारी विक्रय की गयी जमीन से अधिक जमीन पर कब्जा करने लगे तो हमने इसका विरोध किया। इस पर कम्पनी के निदेशकों ने कहा कि अब यह सारी जमीन हमारी है। हमने आपकी शेष, जमीन आगरा विकास प्राधिकरण एवं सुबोध कुमार से खरीदी है।
पीड़ित का आरोप है की इसी बीच सुबोध सागर के बहनोई आगरा विकास प्राधिकरण में सचिव बनकर आ थे। उनका फायदा उठाकर बिल्डर प्रभात माहेश्वरी, कंपनी के डायरेक्टर गुड्डू गौतम सहित सुबोध सागर ने बेशकीमती जमीन को अपने नाम करवा लिया जबकि पीड़ित जमीन शासन द्वारा मुक्त कर दी गई थी। पीड़ित का कहना है, मामले में एसआईटी गठित कर पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराकर आरोपियों पर कार्रवाई की जाए। साथ ही अवैध कब्जे व निर्माण कार्य को बन्द कराया जाए।