विश्व जनसंख्या दिवस(World Population Day) पर सोमवार को आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि एक ही वर्ग की आबादी बढ़ने से अराजकता होगी। योगी ने कहा कि जनसंख्या का असंतुलन नहीं होना चाहिए। सीएम योगी(CM Yogi) ने कहा कि जिन देशों की जनसंख्या ज्यादा होती है। वहां जनसांख्यकीय असंतुलन चिंता का विषय बनता है।
लखनऊ। विश्व जनसंख्या दिवस(World Population Day) पर सोमवार को आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि एक ही वर्ग की आबादी बढ़ने से अराजकता होगी। योगी ने कहा कि जनसंख्या का असंतुलन नहीं होना चाहिए। सीएम योगी(CM Yogi) ने कहा कि जिन देशों की जनसंख्या ज्यादा होती है। वहां जनसांख्यकीय असंतुलन चिंता का विषय बनता है। क्योंकि रिलिजियस डेमोग्राफी पर विपरीत असर पड़ता है तो एक समय के बाद वहां अव्यवस्था, अराजकता जन्म लेने लगती है। इसलिए जनसंख्या स्थिरीकरण के प्रयासों से सभी मत मजहब, वर्ग, सम्प्रदाय पर एक समान रूप से जोड़ा जाना चाहिए।
… जनसंख्या स्थिरीकरण की बात करें तो जाति, मत-मजहब, क्षेत्र, भाषा से ऊपर उठकर समाज में समान रूप से जागरूकता के व्यापक कार्यक्रम के साथ जुड़ने की आवश्यकता है। pic.twitter.com/vq65v52u03
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) July 11, 2022
लखनऊ में सीएम आवास पर आयोजित इस कार्यक्रम से पहले मुख्यमंत्री योगी ने जनसंख्या स्थिरीकरण पखवाड़ा की शुरुआत करते हुए एक जागरूकता रैली को हरी झंडी दिखाई। सीएम योगी ने कहा कि जब बात परिवार नियोजन की हो। जनसंख्या स्थिरीकरण की हो तो हमें यह भी ध्यान रखना होगा कि जनसंख्या नियंत्रण के प्रयास सफलतापूर्वक जरूर हों, लेकिन कहीं भी जनसांख्यकीय असंतुलन की स्थिति न पैदा होने पाए। सीएम योगी ने कहा कि ऐसा न हो कि किसी एक वर्ग की आबादी बढ़ने की स्पीड ज्यादा हो और जो मूल निवासी हों, उन पर जनसंख्या स्थिरीकरण की कोशिशों से, इंफोर्समेंट से और जागरुकता प्रयासों से उनकी आबादी को नियंत्रित कर दिया जाए।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि उत्तर प्रदेश ने बीते 05 वर्ष में बेहतरीन परिणाम दिए हैं। मैटरनल एनीमिया में आज यह 51.1 फीसदी से घटकर 45.9 फीसदी रह गया है। 05 वर्ष में फुल इम्यूनाइजेशन 51.1फीसदी से बढकर लगभग 70 फीसदी तक पहुंच गया है। संस्थागत प्रसव की दर जो पहले 67-68 फीसदी थी, वह आज 84 फीसदी की ओर जा रहा है। मातृ-शिशु मृत्यु दर को नियन्त्रित करने की कोशिशों के अच्छे परिणाम मिले हैं। अंतर विभागीय समन्वय और जागरूकता की कोशिशों से प्रदेश अपने लक्ष्यों में निश्चित ही सफल होगा।।