यूपी की योगी सरकार (Yogi Government) ने बीते शुक्रवार को छत्रपति शाहूजी महाराज कानपुर विश्वविद्यालय (CSJMU) के कमीशनखोर कुलपति विनय पाठक (Vinay Pathak) के खिलाफ सीबीआई जांच (CBI Investigation) की सिफारिश करते केंद्र सरकार प्रस्ताव भेजा है। इस पर विपक्ष आग बबूला नजर आ रहा है।
लखनऊ। यूपी की योगी सरकार (Yogi Government) ने बीते शुक्रवार को छत्रपति शाहूजी महाराज कानपुर विश्वविद्यालय
(CSJMU) के कमीशनखोर कुलपति विनय पाठक (Vinay Pathak) के खिलाफ सीबीआई जांच (CBI Investigation) की सिफारिश करते केंद्र सरकार प्रस्ताव भेजा है। इस पर विपक्ष आग बबूला नजर आ रहा है। योगी सरकार (Yogi Government) के इस फैसले के सवाल उठना लाजिमी है कि कहीं सीबीआई जांच (CBI Investigation) की सिफारिश कर कमीशनखोर पाठक को कानूनी दांव पेंच खेलने के लिए प्रदेश सरकार और मोहलत तो नहीं देना चाह रही है।
समाजवादी पार्टी मीडिया सेल (Samajwadi Party Media Cell) ने अपने ट्वीटर हैंडल से सरकार से इस मामले में तीखे सवाल पूछने नहीं चूक रही है। विपक्ष सवाल पूछ रहा है कि विनय पाठक (Vinay Pathak) का फर्जी एनकाउंटर कब होगा ? इनकी घर संपत्ति की कुर्की कब होगी और घर व प्रतिष्ठान पर बुलडोजर कब चलेगा ?
समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) अपने ट्वीट के माध्यम कह रही है कि ये सारे सवाल भाजपा शासित योगी सरकार से हैं और सीएम योगी जी इन सवालों का जवाब देने से बच क्यों रहे ? इसके साथ ही सलाह देते हुए कहा कि योगी जी पक्षपातपूर्ण रवैया त्यागें!
समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) ने कहा कि आज तक भ्रष्ट ,अपराधी भाजपा संरक्षित विनय पाठक (Vinay Pathak) गिरफ्तार नहीं हुआ है? उन्होंने ट्वीट के माध्यम से सीएम कार्यालय की घेरा बंदी करते हुए कहा कि यह बताए कि STF आज तक पाठक को गिरफ्तार क्यों नहीं कर पाई ? किस-किस भाजपा नेता व महामहिम की इस अपराधी पाठक के साथ साझेदारी व संरक्षण है ? क्या इतनी छूट किसी विपक्षी या सामाजिक व्यक्ति को मिली है ?
अखिलेश यादव के आरोपों को सही साबित करता नजर आ रहा है योगी का फैसला
इसके अलावा यूपी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) इस मामले को लेकर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (UP Chief Minister Yogi Adityanath) पर बड़ा हमला बोला था। इसके साथ सीएम योगी (CM Yogi) विनय पाठक को बचाने का आरोप उन्हीं पर मढ़ दिया था। इसके बाद सीबीआई जांच की सिफारिश करना विपक्ष के नेता अखिलेश यादव के आरोपों को सही साबित करता नजर आ रहा है।
सीबीआई जांच की सिफारिश होना मतलब मामला लंबा खिंचेगा और आखिरकार आप दोष मुक्त ही साबित होंगे
सीबीआई के बीते 15 सालों के जांच रिकॉर्ड को यदि खंगाले जांच एजेंसी किसी भी व्यक्ति को दोष स़िद्ध करने में असफल ही साबित हुई है। ऐसे में सीबीआई जांच की सिफारिश होना यह तय हो जाता है कि यह मामला लंबा खिंचेगा और आखिरकार आप दोष मुक्त ही साबित होंगे।