सनातन धर्म में अक्षय तृतीया का दिन बहुत शुभ माना जाता है। अक्षय तृतीया हर साल वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाते हैं।
Akshaya Tritiya 2025 : सनातन धर्म में अक्षय तृतीया का दिन बहुत शुभ माना जाता है। अक्षय तृतीया हर साल वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाते हैं। इसे अखा तीज और युगादि तिथि के नाम से भी जाना जाता है। अक्षय तृतीया पर खरीदारी और दान पुण्य का बड़ा ही महत्व है। इस दिन सोना (Gold) और सोने से बने आभूषण खरीदने भी बेहद शुभ होते हैं। इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा-उपासना की जाती है। इस साल यह 30 अप्रैल को है। जैन धर्म की मान्यताओं के अनुसार इस दिन प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव जी ने 1 साल की तपस्या के उपरांत गन्ने का रस पीकर तप समापन किया था।
अक्षय तृतीया
पंचांग के अनुसार, इस साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 29 अप्रैल की शाम 5 बजकर 31 मिनट से शुरू हो रही है और इस तिथि का समापन अगले दिन 30 अप्रैल की दोपहर 2 बजकर 12 मिनट पर हो जाएगा। उदया तिथि के अनुसार 30 अप्रैल, रविवार के दिन ही अक्षय तृतीया मनाई जाएगी।
माता लक्ष्मी को खीर का भोग अवश्य लगाएं
अक्षय तृतीया के दिन सुबह चौखट पर हल्दी का पानी डालें। इसके बाद केसर व हल्दी से माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना कर खीर का भोग अवश्य लगाएं। ऐसा करने से आर्थिक परेशानियां धीरे धीरे दूर हो जाती हैं और माता लक्ष्मी की कृपा से नौकरी व कारोबार में अच्छी वृद्धि भी होती है।
दान
अक्षय तृतीया के दिन जौ, सत्तू, जल, घड़ा, मिष्ठान, अन्न, स्वर्ण, छाता, जूता, वस्त्र, फल का दान विशेष रूप से फलदायी होता है।
पौराणिक मान्यता है कि जो दान, धर्म, स्नान, जप, हवन किया जाता है उसका पुण्य कभी समाप्त नहीं होता है और मनुष्य को लोक परलोक में इसके पुण्य का शुभ फल प्राप्त होता है।