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ऑल इंडिया मीटिंग फॉर गंगा एंड जोशीमठ कंजर्वेशन : प्रकृति को पुत्र व माता मान कार्य करें युवा,तभी होगा पर्यावरण और समाज का सतत विकास

भारतीय विधि संस्थान नई दिल्ली (Indian Law Institute New Delhi) में ऑल इंडिया मीटिंग फॉर गंगा एंड जोशीमठ कंजर्वेशन (All India Meeting for Ganga and Joshimath Conservation) का आयोजन बीते दिनों हुआ। इसमें जल जंगल पर्वत एवं प्रकृति के लिए कार्य करने हेतु देश की युवा शक्ति के लिए प्रेरणा स्रोत बने। कार्यक्रम में देश के लगभग 80 संस्थानों ने प्रतिभाग किया।

By संतोष सिंह 
Updated Date

लखनऊ। भारतीय विधि संस्थान नई दिल्ली (Indian Law Institute New Delhi) में ऑल इंडिया मीटिंग फॉर गंगा एंड जोशीमठ कंजर्वेशन (All India Meeting for Ganga and Joshimath Conservation) का आयोजन बीते दिनों हुआ। इसमें जल जंगल पर्वत एवं प्रकृति के लिए कार्य करने हेतु देश की युवा शक्ति के लिए प्रेरणा स्रोत बने। कार्यक्रम में देश के लगभग 80 संस्थानों ने प्रतिभाग किया। राजधानी लखनऊ के नेशनल पीजी कॉलेज (National PG College) से भूगोल एवं रिमोट सेंसिंग जीआईएस (Geography & Remote Sensing GIS) के 5 छात्र छात्राओं ने डॉ. ऋतु जैन व इंजीनियर राजेश कुमार के मार्गदर्शन में प्रतिभाग किया।

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इस अवसर पर सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने कहा कि हमें नदी में बहता कूड़ा तो दिखाई देता है पर नदी एवं जमीन में घुला जहर दिखाई नहीं देता। अतः आवश्यकता है कि प्राकृतिक कृषि को बढ़ाएं, वेस्ट मैनेजमेंट के स्थान पर वेस्ट निस्तारण को कम करें टिशू पेपर को वर्जित करें संसाधनों का पूर्ण उपयोग ऐसे करें। ताकि पर्यावरण एवं समाज का सतत विकास हो सके, समय है जब हमें जाति धर्म लिंग भेद आदि के भ्रम से दूर होकर स्वयं को प्रकृति का पुत्र मानकर एवं प्रकृति को माता मानकर कार्य करें

डॉ. ऋतु जैन ने जोशीमठ जैसी आपदाओं के निवारण एवं आगामी पर्यावरण समस्याओं हेतु सुझाव दिए। ताकि सरकार द्वारा लागू एनी पी के तहत प्रत्येक बच्चे को पर्यावरण उत्थान संबंधी इंटर्नशिप एवं शोध कार्य को शिक्षा में अनिवार्य कर देना चाहिए जिसके बिना रोजगार की योग्यता की अर्हता को पूर्ण ना माना जाए।

जीआईएस मैपिंग के तहत नदी एवं पर्यावरण के परिवर्तन की लगातार मॉनिटरिंग की जाए, समाज के सभी वर्गों से पर्यावरण उत्थान हेतु सुझाव प्राप्त करने के लिए एनवायरनमेंट फोरम जैसे वेबसाइट एवं एपस का निर्माण करें जिससे लोगों को पर्यावरण क्षेत्र में कार्य करने वाले व्यक्तियों एवं उनके कार्यों के विषय में जानकारी प्राप्त हो सके तथा लोग उस पर अपना सुझाव साझा कर सकें इसके अलावा सरकार विद्यालय एवं महाविद्यालयों को पर्यावरण हेतु कार्य करने वाले युवा वर्गों को निरंतर पुरस्कृत एवं प्रोत्साहित करना चाहिए

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उत्तराखंड से आई तिवारी ने कहा की कोर्ट में हो रही बैठकों में जनता को अधिक से अधिक सम्मिलित होना चाहिए जिससे सरकार एवं जनता पर विजुअल इंपैक्ट पड़े। पर्यावरण विद भरत झुनझुनवाला कहा कि ने सभी राज्यों में प्लास्टिक को निषेध करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इससे डॉल्फिन एवं अन्य मछलियों की श्वास नली अवरोधित हो जाती है।

बंगाल से आए तापस दास ने बताया कि हमें छोटी नदियों को स्वच्छ करने का प्रयास त्वरित गति से करना चाहिए अन्यथा यह नदियां विलुप्त हो जाएंगी। यह कार्य कोई संस्था नहीं वरन जन समाज को करना होगा। इस दौरान एक दूसरे के सहयोग द्वारा किस प्रकार पर्यावरण का उत्थान करना है। उसके लिए विभिन्न कमेटियों का निर्माण करने का प्रस्ताव रखा गया। जिनमें प्रमुख 4 गंगा लीगल सेल हाई कोर्ट उत्तराखंड दिल्ली प्रयागराज एवं एक लीगल सेल सुप्रीम कोर्ट में खोलने का संकल्प लिया गया। इसके अलावा कैंपेन कमेटी, मास मूमेंट कमेटी, सेमिनार कमेटी, कल्चरल कमेटी एवं गंगा दायिनी यूथ सेल का गठन करने का निर्णय लिया गया। गंगा दायिनी यूथ सेल के प्रतिनिधित्व का दायित्व नेशनल पीजी कॉलेज को दिया गया।

कार्यक्रम में वरिष्ठ अधिवक्ता पी एस शारदा, सचिव गंगा मिशन प्रहलाद गोयनका इलाहाबाद हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अरुण गुप्ता, गंगोत्रीधाम प्रेसिडेंट हरीश रावल, लोक भारती के नीरज सिंह ,राजीव हर्ष, स्निग्धा तिवारी, अभिजय नेगी, अनशनकारी आत्मानंद एवं भूगोल विभाग के छात्र-छात्राएं श्वेता विश्वकर्मा अमृताश गुप्ता, निधि बाजपेई सुष्मिता मिश्रा एवं भूमि त्रिपाठी ने प्रतिभाग किया।

 

 

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