Mahakumbh 2025। प्रयागराज महाकुंभ में मौनी अमावस्या पर ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद, श्रृंगेरीपीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी विधुशेखर भारती महाराज और द्वारकाशारदापीठाधीश्वर जगद्गुरु शङ्कराचार्य स्वामी सदानन्द सरस्वती महाराज ने एक साथ संगम में डुबकी लगाई।
Mahakumbh 2025। प्रयागराज महाकुंभ में मौनी अमावस्या पर ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद, श्रृंगेरीपीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी विधुशेखर भारती महाराज और द्वारकाशारदापीठाधीश्वर जगद्गुरु शङ्कराचार्य स्वामी सदानन्द सरस्वती महाराज ने एक साथ संगम में डुबकी लगाई।
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— 1008.Guru (@jyotirmathah) January 29, 2025
बता दें कि त्रिवेणी संगम में स्नान के दौरान तीनों शंकराचार्य ने कहा कि भारतीय संस्कृति का आज सर्वश्रेष्ठ पर्व है। हम लोगों को त्रिवेणी संगम में स्नान कर आध्यात्मिक आनंद की अनुभूति हो रही है। साथ ही शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि तीन पीठ के शंकराचार्यों ने आज यहां पवित्र स्नान किया। वहीं भगदड़ (Mahakumbh stampede) को लेकर उन्होंने कहा कि कल देर रात हुई घटना दुर्भाग्यपूर्ण है और सभी दुखी हैं। हमें सतर्क रहना चाहिए कि भविष्य में ऐसी कोई घटना न हो।
महाकुंभ का आज 17वां दिन है। जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज रथ पर निकले। नागा साधुओं ने तलवार लहराईं। जयकारे लगाते हुए संगम घाट पहुंचे। निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि महाराज ने संगम में डुबकी लगाई। हेलिकॉप्टर से संतों और श्रद्धालुओं पर फूलों की बारिश की गई।
इससे पहले तड़के अखाड़ों के साधु-संत अमृत स्नान के लिए निकले थे। इस बीच, भगदड़ के बाद संगम पर हालात बेकाबू हो गए। प्रशासन ने तुरंत अखाड़ों से अपील की- स्नान के लिए न जाएं। साधु-संतों ने बैठक की। पहले तय हुआ कि अखाड़ों के साधु-संत मौनी अमावस्या पर स्नान नहीं करेंगे।
हालात पर 3 घंटे में काबू पा लिया गया। सीएम ने अखाड़ों से बात की। संत अमृत स्नान के लिए राजी हो गए। दैनिक भास्कर से अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने बताया, ‘हम अपने देवता के साथ सांकेतिक अमृत स्नान करेंगे। कोई बड़ा जुलूस नहीं निकालेंगे।’ अब तक 5.71 करोड़ लोगों ने संगम में डुबकी लगाई है। वहीं, 28 जनवरी तक 20 करोड़ लोग महाकुंभ में स्नान कर चुके हैं। प्रशासन की कोशिश है कि आसपास के घाटों पर स्नान करने के बाद श्रद्धालुओं को वापस किया जाए।