पश्चिम बंगाल विधानसभा (West Bengal Assembly) में ममता बनर्जी सरकार (Mamata Banerjee Government) ने मंगलवार को एंटी रेप बिल पास (West Bengal Anti Rape Bill) कराया लिया है। इस बिल का नाम अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून एवं संशोधन) विधेयक 2024 (Aparajita Women and Child Bill (West Bengal Criminal Law and Amendment) Bill 2024) है।
कोलकाता। पश्चिम बंगाल विधानसभा (West Bengal Assembly) में ममता बनर्जी सरकार (Mamata Banerjee Government) ने मंगलवार को एंटी रेप बिल पास (West Bengal Anti Rape Bill) कराया लिया है। इस बिल का नाम अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून एवं संशोधन) विधेयक 2024 (Aparajita Women and Child Bill (West Bengal Criminal Law and Amendment) Bill 2024) है। इस प्रस्तावित कानून का मकसद बलात्कार और यौन अपराधों से संबंधित नए प्रावधानों के जरिए महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा मजबूत करना है। ममता सरकार (Mamta Government) ने इस विधेयक को कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर की रेप के बाद हुई हत्या के बाद विधानसभा में पेश किया। इसके लिए विधानसभा का स्पेशल सत्र बुलाया गया था। विधानसभा में पारित होने के बाद कानून बनने के लिए बिल को राज्यपाल और राष्ट्रपति की मंजूरी जरूरी होगी।
इस बिल में रेप और हत्या के दोषी के लिए फांसी की सजा का प्रावधान।
चार्जशीट दायर करने के 36 दिनों के भीतर सजा सुनाने का प्रावधान।
पुलिस को 21 दिन में जांच पूरी करनी होगी।
अपराधी की मदद करने पर 5 साल की कैद की सजा का प्रावधान।
हर जिले में स्पेशल अपराजिता टास्क फोर्स बनाने का प्रावधान।
रेप, एसिड, अटैक और छेड़छाड़ जैसे मामलों में ये टास्क फोर्स लेगी एक्शन।
रेप के साथ ही एसिड अटैक भी उतना ही गंभीर, इसके लिए आजीवन कारावास का प्रावधान।
पीड़िता की पहचान उजागर करने वालों के खिलाफ 3-5 साल तक की सजा का प्रावधान।
विधेयक में रेप की जांच और सुनवाई में तेजी लाने के लिए बीएनएस के प्रावधानों में संशोधन शामिल है।
जानें अपराजिता बिल कैसे बनेगा कानून?
अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून एवं संशोधन) विधेयक 2024 (Aparajita Women and Child Bill (West Bengal Criminal Law and Amendment) Bill 2024) विधानसभा से पारित होने के बाद मंजूरी के लिए पहले राज्यपाल और बाद में राष्ट्रपति को भेजा जाएगा। राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद यह विधेयक कानून का रूप लेगा।
इससे पहले 2019 में आंध्र प्रदेश दिशा विधेयक और 2020 में महाराष्ट्र शक्ति विधेयक विधानसभा से पारित हुआ था। इन दोनों विधेयकों में बलात्कार और सामूहिक बलात्कार के सभी तरह के मामलों में अनिवार्य फांसी का प्रावधान किया गया था। इन दोनों विधेयकों को राज्य विधानसभाओं ने सर्वसम्मति से पारित किया था, लेकिन दोनों विधेयकों अभी तक राष्ट्रपति की मंजूरी नहीं मिली है।
एंटी रेप बिल से लगेगी अपराध पर लगाम?
विधेयक में भारतीय न्याय संहिता (BNS) और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के साथ-साथ 2012 के पोक्सो अधिनियम के कुछ हिस्सों में संशोधन करने और पीड़िता की उम्र चाहे जो हो, कई तरह के यौन उत्पीड़न के मामलों में मौत की सजा का प्रावधान है। इस बिल में महिलाओं और बच्चों के साथ होने वाले अपराध के लिए कठोर सजा का प्रावधान किया गया है।
बीते महीने लागू हुए बीएनएस (BNS) की धारा-64 में बलात्कार के लिए 10 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है। वहीं बीएनएस (BNS) की धारा-66 में बलात्कार और हत्या और ऐसे बलात्कार, जिनमें पीड़ित निष्क्रिय हो जाती है, उनमें मौत की सजा का प्रावधान है। इसमें 20 साल की जेल की या उम्र कैद की सजा का भी प्रावधान किया गया है।
अपराजिता विधेयक (Aparajita Bill) में यह प्रावधान है कि इस तरह के अपराधों में केवल मौत की सजा दी जाए। इस विधेयक में सामूहिक बलात्कार के लिए भी मौत की सजा का प्रावधान है। अपराजिता विधेयक (Aparajita Bill) में बलात्कार पीड़िता की पहचान सार्वजनिक करने वालों के लिए तीन से पांच साल की सजा का प्रावधान है। जबकि बीएनएस में इसके लिए केवल दो साल की सजा का प्रावधान है। इसमें अदालती कार्यवाही से संबंधित किसी भी मामले को बिना अनुमति के छापने या प्रकाशित करने पर बीएनएस (BNS) के तहत मिलने वाली अधिकतम दो साल की सजा को बढ़ाकर तीन से पांच साल तक कर दिया गया है।