भारत को कोरोना के खिलाफ लड़ाई में जल्द ही एक और बड़ा हथियार मिलने जा रहा है। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने मंगलवार को सिप्ला को भारत में सीमित इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए मॉडर्ना के कोविड-19 टीके के आयात की इजाजत दे दी है। सूत्रों की मानें तो सिप्ला ने सोमवार को मॉडर्ना वैक्सीन आयात करने के लिए डीसीजीआई से अनुमति मांगी थी।
नई दिल्ली। भारत को कोरोना के खिलाफ लड़ाई में जल्द ही एक और बड़ा हथियार मिलने जा रहा है। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने मंगलवार को सिप्ला को भारत में सीमित इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए मॉडर्ना के कोविड-19 टीके के आयात की इजाजत दे दी है। सूत्रों की मानें तो सिप्ला ने सोमवार को मॉडर्ना वैक्सीन आयात करने के लिए डीसीजीआई से अनुमति मांगी थी।
सिप्ला ने सोमवार को एक आवेदन देकर इस टीके के आयात की अनुमति मांगी थी। उसने 15 अप्रैल और एक जून के डीसीजीआई नोटिस का हवाला दिया है। नोटिस में कहा गया था कि यदि टीके को आपात उपयोग अधिककार (ईयूए) के लिए अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (यूएसएफडीए) द्वारा अनुमति दी जाती है, तो टीके को बिना ब्रिजिंग ट्रायल के मार्केटिंग का अधिकार दिया जा सकता है। इसके अलावा, हर खेप को केंद्रीय औषधि प्रयोगशाला (सीडीएल), कसैली से जांच कराने की जरूरत की छूट मिल सकती है।
इससे पहले सरकार ने रूस के स्पूतनिक वी टीके को इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दी थी। इसके साथ देश में अब तक कुछ चार टीके हो गए हैं जिनके इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मिली चुकी है। जिनमें भारत के दो (कोविशील्ड और कोवैक्सीन) टीके हैं। इस तरह से देखें तो भारत में अब कुल चार टीके हो गए हैं जिनको सरकार की ओर से इमजरेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मिल चुकी है।
डब्ल्यूएचओ की मिल चुकी है मंजूरी
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना की वैक्सीन कोरोना वायरस के खिलाफ 94.1 फीसदी तक असरदार है। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि मॉडर्ना टीके की पहली डोज लेने के 14 दिन बाद कोविड होने का खतरा 94.1 फीसदी तक कम हो जाता है। बता दें कि मॉडर्ना टीके को डब्ल्यूएचओ की ओर से मंजूरी भी मिली हुई है।
मंजूरी के बाद आगे क्या?
सिप्ला को मॉडर्ना टीके के आयात की मंजूरी मिलने का मतलब यह नहीं हुआ है कि यह वैक्सीन तुरंत लोगों को लिए उपलब्ध हो जाएगी। ऐसा इसलिए क्योंकि मॉडर्ना टीके का ट्रायल भारत में नहीं किया गया है। ऐसे में सबसे पहले 100 लोगों पर इस टीके का ट्रायल किया जाएगा। ट्रायल के दौरान वैक्सीन लेने वालों पर नजर रखी जाएगी। अगर सब कुछ ठीक रहा तभी यह टीका आम जनता के लिए उपलब्ध हो पाएगा।