ट्रेन से 12 दिन पहले गायब हुई युकती अर्चना तिवारी अब मिल गयी हैं। अर्चना इंदौर से कटनी जाते समय नर्मदा एक्सप्रेस के बी-3 कोच से रानी कमलापति रेलवे स्टेशन के पास लापता हो गयी थी। इसके बाद लखीमपुर खीरी में मिली। युकती साथ अगस्त को लापता हुई थी जिसके बाद लगभग 13 दिन बाद मिली। वह इन 13 दिनों तक कहां थी, क्या उसका अपहरण हुआ था या वह अपनी मर्जी से गई थी, और उसके साथ कोई अनहोनी तो नहीं हुई- इन सबका खुलासा भोपाल में उसके बयान दर्ज होने के बाद होगा।
ट्रेन से 12 दिन पहले गायब हुई युकती अर्चना तिवारी अब मिल गयी हैं। अर्चना इंदौर से कटनी जाते समय नर्मदा एक्सप्रेस के बी-3 कोच से रानी कमलापति रेलवे स्टेशन के पास लापता हो गयी थी। इसके बाद लखीमपुर खीरी में मिली। युकती साथ अगस्त को लापता हुई थी जिसके बाद लगभग 13 दिन बाद मिली। वह इन 13 दिनों तक कहां थी, क्या उसका अपहरण हुआ था या वह अपनी मर्जी से गई थी, और उसके साथ कोई अनहोनी तो नहीं हुई- इन सबका खुलासा भोपाल में उसके बयान दर्ज होने के बाद होगा।
ग्वालियर कनेक्शन भी आया सामने
अर्चना तिवारी की खोजबीन करने के बाद उसके फोन में एक नंबर मिला। इस नंबर पर युकती अक्सर बात करती थी। उस नंबर को ट्रेस करके जीआरपी ने ग्वालियर के एक थाने में पदस्थ आरक्षक राम तोमर को हिरासत में लेकर पूछताछ की। राम तोमर ने स्वीकार किया कि वह अर्चना तिवारी को जानता है, लेकिन उसका कहना है कि वह सिर्फ केस के सिलसिले में अर्चना से बात करता था। अर्चना के लापता होने में उसका कोई हाथ नहीं है। राम तोमर को हिरासत में लेने के बाद ही अर्चना ने मंगलवार सुबह परिजनों को फोन कर अपनी सकुशलता की सूचना दी थी। इसके बाद उसकी लोकेशन ट्रेस कर जीआरपी की टीम ने उसे लखीमपुर खीरी से बरामद किया। हालांकि, अब तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि अर्चना के लापता होने में राम तोमर या उससे जुड़े किसी अन्य व्यक्ति की कोई भूमिका है या नहीं।

क्या है पूरा मामला?
बता दें कि कटनी निवासी अर्चना तिवारी इंदौर के सत्कार छात्रावास में रहकर सिविल जज की तैयारी कर रही थी। रक्षाबंधन पर वह अपने घर जाने के लिए इंदौर से नर्मदा एक्सप्रेस के एसी कोच की बी-3 सीट पर बैठकर यात्रा कर रही थी। भोपाल के रानी कमलापति रेलवे स्टेशन के पास तक वह अपनी सीट पर देखी गई, इसके बाद वह वहां नहीं मिली और उसका फोन भी बंद हो गया। सहयात्रियो ने पुलिस की पूछताछ में बताया कि युवती वॉशरूम जाने की कहकर सीट से उठी थी। वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि वह रानी कमलापति रेलवे स्टेशन पर उतरी थी, लेकिन वापस ट्रेन में सवार हुई या नहीं, यह स्पष्ट नहीं हो सका। आठ अगस्त की सुबह ट्रेन के कटनी पहुंचने पर जब अर्चना तिवारी नहीं उतरी, तो उसके परिजनों ने उमरिया में रहने वाले उसके मामा को सूचना दी। उसके मामा ट्रेन के अंदर पहुंचे तो अर्चना का पर्स मिला, जिसमें बच्चों के लिए खिलौने, कुछ सामान और राखी रखी हुई थी। एक बैग में उसके कपड़े भी सुरक्षित रखे हुए थे, लेकिन अर्चना अपनी सीट पर नहीं थी। यात्रियों ने मामा को बताया कि रानी कमलापति रेलवे स्टेशन के बाद से ही अर्चना अपनी सीट पर नहीं दिखी थी।