हिमालय में जीवन के लिए उपयोगी कई दुर्लभ पौधे पाये जाते है। आयुर्वेद में इन पौधों के गुणों के बारे में उल्लेख मिलता है। आयुर्वेद में अतीस के गुणों के आधार पर इसका प्रयोग कई बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है।
Atees Plant Benefits : हिमालय में जीवन के लिए उपयोगी कई दुर्लभ पौधे पाये जाते है। आयुर्वेद में इन पौधों के गुणों के बारे में उल्लेख मिलता है। आयुर्वेद में अतीस के गुणों के आधार पर इसका प्रयोग कई बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है। उत्तराखंड के तुंगनाथ, माणा बुग्याल, सुंदर ढुंगा, खतलिंग ग्लेशियर समेत अन्य उच्च हिमालयी इलाकों में अतीस के पौधे काफी पाए जाते हैं।
अतिविषा, जिसे हिंदी में “अतिस” के नाम से जाना जाता है, चरक और सुश्रुत द्वारा प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों में एक जड़ी बूटी है। इस पौधे का लैटिन नाम एकोनिटम हेटरोफिलम है और यह रेननकुलेसी परिवार से संबंधित है।
भारत में अतीस की 30 प्रजातियां मिलती हैं। वहीं, विश्व भर में एकोनिटम की 300 से अधिक प्रजातियां हैं।अतीस पाचन संबंधी रोग, बुखार, कृमि, बालकों के उल्टी, खांसी आदि रोगों में विशेष रूप से उपयोगी होता है। अतीस की जड़ भी पाचन संबंधी समस्या में लाभकारी, शक्तिवर्द्धक, कफ दूर करने वाला, बुखार के रामबाण माना जाता है।