अयोध्या में पले बढ़े और आई टी क्षेत्र में 17 वर्षों का अनुभव रखने वाले तुषार खरे की पहली हिंदी कथा पुस्तक ‘एक्सप्रेस वे’ हाल ही में प्रकाशित हुई है। तुषार खरे कॉर्पोरेट दुनिया में एक जानी-मानी हस्ती हैं, लेकिन साहित्य के प्रति उनका प्रेम उन्हें हमेशा कलम की ओर खींचता रहा। उनकी पुस्तक की कहानी ‘एक्सप्रेसवे’ पाठकों को एक ऐसी यात्रा पर ले जाती है जो छोटे गांव से लेकर बड़े सपनों तक।
लखनऊ। अयोध्या में पले बढ़े और आई टी क्षेत्र में 17 वर्षों का अनुभव रखने वाले तुषार खरे की पहली हिंदी कथा पुस्तक ‘एक्सप्रेस वे’ हाल ही में प्रकाशित हुई है। तुषार खरे कॉर्पोरेट दुनिया में एक जानी-मानी हस्ती हैं, लेकिन साहित्य के प्रति उनका प्रेम उन्हें हमेशा कलम की ओर खींचता रहा। उनकी पुस्तक की कहानी ‘एक्सप्रेसवे’ पाठकों को एक ऐसी यात्रा पर ले जाती है जो छोटे गांव से लेकर बड़े सपनों तक।
यह पुस्तक एक आम इंसान की खास कहानियों का संग्रह है, जिसमें रिश्तों की गर्माहट, समाज की परछाइयां और जिंदगी की छोटी-छोटी खूबसूरत बातें गहराई से बयां की गई हैं। पुस्तक के बारे में बात करते हुए तुषार कहते हैं, “यह सिर्फ कहानियों का संग्रह नहीं है, यह वो एहसास हैं जो हम सबने कभी न कभी महसूस किए हैं। मेरा प्रयास रहा है कि भाषा सरल हो, लेकिन असर गहरा हो।”
इसमें जो किरदार हैं-वो काल्पनिक नहीं लगते। दीपेश, मदन, गौरी-इनमें से हर कोई ऐसा लगता है जैसे आप उन्हें पहले से जानते हों। और सबसे ज़्यादा जो बात की ग्रामीण पात्रों की सच्चाई , उनकी समस्याएं बनावटी नहीं हैं, बल्कि इतनी असली हैं कि आप पढ़ते हुए रुकते हैं, सोचते हैं-“क्या वाकई ये कहानी है, या मेरे आस-पास की ज़िंदगी का हिस्सा?”
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यह पुस्तक ऑनलाइन व प्रमुख बुकस्टोर्स पर उपलब्ध है और पाठकों से इसे शानदार प्रतिक्रिया मिल रही है। आप भी पढ़िए, और खुद देखिए कि कैसे कुछ पन्ने आपको खुद से मिलवा सकते हैं और अगर दिल को छू जाए… तो इसे किसी अपने के साथ ज़रूर बाँटिए। क्योंकि कुछ कहानियाँ सिर्फ़ पढ़ने के लिए नहीं होतीं-वो बाँटने के लिए होती हैं।