Ayodhya Ram Navami LIVE: रामलला के प्राकट्य का महापर्व आज है। अयोध्या के राम मंदिर में आज राम लला का अभिषेक सूर्य किरणों से हुआ। परम पिता के अवतरण के साक्षी बनने और उनकी झलक पाने को आतुर श्रद्धालु अयोध्या में हैं। उधर राम मंदिर से लेकर वैष्णव परम्परा के सभी मंदिरों में प्राकट्योत्सव का उल्लास है।
Ayodhya Ram Navami LIVE: रामलला के प्राकट्य का महापर्व आज है। राम मंदिर में में प्राकट्य आरती हुई। अयोध्या के राम मंदिर में आज राम लला का अभिषेक सूर्य किरणों से हुआ। मुख्य पर्व पर इस सूर्याभिषेक का सजीव प्रसारण दूरदर्शन व अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर किया गया जिसके द्वारा पूरी दुनिया में इसे देखा जा सका।
परम पिता के अवतरण के साक्षी बनने और उनकी झलक पाने को आतुर श्रद्धालु अयोध्या में हैं। उधर राम मंदिर से लेकर वैष्णव परम्परा के सभी मंदिरों में प्राकट्योत्सव का उल्लास है। राम नवमी के पर्व पर मध्याह्न ठीक 12 बजे घंटा-घड़ियाल व नगाड़े की थापों के मध्य रामलला का प्राकट्य हुआ। रामनगरी में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी है। पूरी भव्यता से राम मंदिर सजा है। दर्शनार्थियों के लिए रेड कारपेट बिछाई गई है। धार्मिक अनुष्ठानों के साथ भजन-कीर्तन हो रहे हैं।
सकल सौभाग्यप्रद सर्वतोभद्र-निधि, सर्व, सर्वेश, सर्वाभिरामं।
शर्व-हृदि-कंज-मकरंद-मधुकर रुचिर-रूप, भूपालमणि नौमि रामं॥सूर्यकुलभूषण प्रभु श्री रामलला के भव्य भाल पर अंकित यह स्वर्णिम 'सूर्य तिलक' सनातन राष्ट्र के हृदय में आस्था का अमर दीप प्रज्वलित कर रहा है। समूचे भारत को… pic.twitter.com/1gbJLisWxS
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) April 6, 2025
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इस अलौकिक क्षण में भगवान के प्राकट्य की आरती हुई। राम मंदिर में महाआरती के साथ-साथ सूर्य किरणों से भगवान का अभिषेक किया। राम मंदिर में सूर्य तिलक की तैयारियों के लिए इसरो व सीबीआरआई के वैज्ञानिकों की टीम ने यहां डेरा डाल रखा था। मुख्य पर्व पर इस सूर्याभिषेक का सजीव प्रसारण दूरदर्शन व अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर किया गया जिसके द्वाया पूरी दुनिया में इसे देखा जा सका।
इस तरह हुआ सूर्य तिलक
मंदिर के ऊपरी हिस्से पर लगे दर्पण पर सूर्य की किरणें गिरीं। यहां से परावर्तित होकर पीतल के पाइप में पहुंचीं। पाइप में लगे दर्पण से टकराकर किरणें 90 डिग्री कोण में बदल गई। लंबवत पीतल के पाइप में लगे तीन लेंसों से किरणें आगे बढ़ते हुए गर्भगृह में लगे दर्पण से टकराईं। यहां से 90 डिग्री का कोण बनाकर 75 मिलीमीटर टीके के रूप में रामलला के ललाट को सुशोभित किया।