दुर्गा पूजा भारत के बंगाल राज्य में बहुत धूम धाम से मनाई जाती है। तरह तरह के पंडाल और कलाकृतियां इस त्योंहार की पहचान हैं। इन्हें देखने देश विदेश से तमाम लोग भारत के बंगाल राज्य में आते हैं। अगले महीने दशहरा का त्योहार मनाया जाना है। इस दौरान कोलकाता के ‘कलाकार’ सनातन डिंडा ने अपनी एक पेंटिंग में माँ दुर्गा को हिजाब में दिखाते हुए लिखा कि; 'माँ आसछेन' अर्थात माँ आ रही हैं।
पश्चिम बंगाल। दुर्गा पूजा भारत के बंगाल राज्य में बहुत धूम धाम से मनाई जाती है। तरह तरह के पंडाल और कलाकृतियां इस त्योंहार की पहचान हैं। इन्हें देखने देश विदेश से तमाम लोग भारत के बंगाल राज्य में आते हैं। अगले महीने दशहरा का त्योहार मनाया जाना है। इस दौरान कोलकाता के ‘कलाकार’ सनातन डिंडा ने अपनी एक पेंटिंग में माँ दुर्गा को हिजाब में दिखाते हुए लिखा कि; ‘माँ आसछेन’ अर्थात माँ आ रही हैं। बांगला में इस वाक्य का उपयोग दुर्गा पूजा से पहले किया जाता है, यह बताने के लिए कि माँ दुर्गा अपने परिवार के साथ आ रहीं हैं।
कलाकार, बुद्धिजीवी और उनके समर्थक इस पेंटिंग की कला का हवाला देकर भले ही तारीफ करें, किन्तु वास्तविकता यही है कि आम हिंदू के लिए यह उसकी भक्ति, आस्था और सहिष्णुता का मजाक है और वह इसे ऐसे ही देखने के लिए विवश है, क्योंकि अगर वह विरोध प्रकट करता है, तो सांप्रदायिक कहा जा सकता है। बुद्धिजीवी और कलाकार अपने लिए भगवान से ऐसी आँखें माँग लाए हैं, जो आम हिंदुओं की आँखों से अलग हैं और यही वजह है कि अभिव्यक्ति की आज़ादी और हिंदुओं की सहिष्णुता की सीमाएँ आए दिन एक-दूसरे को आजमाती रहती हैं।