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पाकिस्तान के कराची शहर में जन्में ‘भारत रत्न’, लाल कृष्ण आडवाणी बन गए श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के नायक, पढ़ें अब तक का सफर

‘Bharat Ratna’ Lal Krishna Advani : अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद पूरा देश ही नहीं दुनिया राममय हो गई है। 500 सालों के कड़े संघर्ष के बाद रामलला मंदिर एक बार फिर विराजमान हुए हैं। इसको सफल बनाने में श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन की बड़ी भूमिका रही। जिसके नायक देश के सातवें उप-प्रधानमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी रहे।

By संतोष सिंह 
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‘Bharat Ratna’ Lal Krishna Advani : अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा (Ramlala Pran Pratishtha) के बाद पूरा देश ही नहीं दुनिया राममय हो गई है। 500 सालों के कड़े संघर्ष के बाद रामलला मंदिर एक बार फिर विराजमान हुए हैं। इसको सफल बनाने में श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन (Shri Ram Janmabhoomi Movement) की बड़ी भूमिका रही। जिसके नायक देश के सातवें उप-प्रधानमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani) रहे। देश के विकास में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए अब सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ (Bharat Ratna) देने का ऐलान किया गया है। जिसकी जानकारी स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने सोशल मीडिया के जरिये दी है।

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श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन (Shri Ram Janmabhoomi Movement) के नायक लालकृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani) का जन्म पाकिस्तान के कराची में 8 नवंबर, 1927 को एक हिंदू सिंधी परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम किशनचंद आडवाणी और मां का नाम ज्ञानी देवी है। उनके पिता पेशे से एक उद्यमी थे। शुरुआती शिक्षा उन्होंने कराची के सेंट पैट्रिक हाई स्कूल (St. Patrick’s High School, Karachi) से ग्रहण की थी। इसके बाद वह हैदराबाद, सिंध के डीजी नेशनल स्कूल (DG National School of Hyderabad, Sindh) में दाखिला लिया। विभाजन के समय उनका परिवार पाकिस्तान छोड़कर मुंबई आकर बस गया। यहां उन्होंने लॉ कॉलेज ऑफ द बॉम्बे यूनिवर्सिटी (Law College of the Bombay University) से कानून की पढ़ाई की। उनकी पत्नी का नाम कमला आडवाणी है। उनके बेटे का नाम जयंत आडवाणी और बेटी का नाम प्रतिभा आडवाणी है।

अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में भारत के सातवें उप प्रधानमंत्री का पद संभाला

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आडवाणी 2002 से 2004 के बीच अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) की सरकार में भारत के सातवें उप प्रधानमंत्री का पद संभाल चुके हैं। इससे पहले वह 1998 से 2004 के बीच भाजपा के नेतृत्व वाले नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (NDA) में गृहमंत्री रह चुके हैं। वह उन लोगों में शामिल हैं जिन्होंने भारतीय जनता पार्टी (BJP) की नींव रखी थी। 10वीं और 14वीं लोकसभा के दौरान उन्होंने विपक्ष के नेता की भूमिका बखूबी निभाई है। उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के जरिए अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी। 2015 नें उन्हें भारत के दूसरे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।

प्रधानमंत्री बनने का सपना रह गया अधूरा

लालकृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani)  तीन बार भारतीय जनता पार्टी (BJP)  के अध्यक्ष रहे। लालकृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani)  4 बार राज्यसभा के और 5 बार लोकसभा के सदस्य बने। सन 1977 से 1979 तक इन्हें केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया। सन 1998 से लेकर 2004 तक अटल बिहारी बाजपेई (Atal Bihari Vajpayee)  के प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान उन्होंने भारत के गृह मंत्री का पदभार संभाला, और साल 2002 से 2004 तक प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई (Atal Bihari Vajpayee)  के कार्यकाल के दौरान इन्होंने भारत के उप प्रधानमंत्री का पदभार संभाला, लेकिन इनका भारत का प्रधानमंत्री बनने का सपना पूरा नहीं हुआ। साल 2008 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने लोकसभा चुनाव को आडवाणी के नेतृत्व में लड़ने तथा जीत होने पर उन्हें प्रधानमंत्री बनाने की घोषणा की थी, लेकिन पार्टी यह चुनाव जीतने में सफल नहीं रही। और इनका प्रधानमंत्री बनने का सपना अधूरा ही रह गया। साल 2013 में लालकृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani) ने अपने सभी पदों से इस्तीफा देते हुए अपने राजनीतिक सफर को विराम दे दिया।

जनसंघ के पार्टी सचिव पद से शुरू किया था राजनीतिक सफर

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डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी (Dr. Shyama Prasad Mukherjee) ने सन 1951 में जनसंघ की स्थापना की जिसके पार्टी सचिव का कार्यभार संभाला लालकृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani)  ने। साल 1954 से लेकर 1957 तक जनसंघ पार्टी के सचिव का कार्य संभालने के बाद, सन 1973 से 1977 तक उन्होंने भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष का दायित्व संभाला। साल 1980 में इनके भारतीय जनता पार्टी (BJP) के स्थापना की गई, जिसके महासचिव बनाए गए लालकृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani) । 1986 तक भारतीय जनता पार्टी (BJP) के महासचिव का कार्यभार संभालने के बाद साल 1986 से लेकर 1991 तक यह भारतीय जनता पार्टी (BJP) के अध्यक्ष पद पर कार्यरत रहे।

लालकृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani)  के नेतृत्व में साल 1990 में भाजपा ने गुजरात के सोमनाथ से राम रथयात्रा शुरू की थी। ‘मंदिर वहीं बनाएंगे’ के नारे से लालकृष्ण आडवाणी ने राम मंदिर आंदोलन को आम जनमानस में चर्चित कर दिया था।इसके लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ा, लेकिन इस यात्रा का इनके राजनीतिक जीवन पर गहरा असर पड़ा। रथ यात्रा के बाद लालकृष्ण आडवाणी की लोकप्रियता काफी बढ़ गई।

राजनीति के क्षेत्र में जीते पुरस्कार

लालकृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani)  भारत के एक सफल राजनीतिज्ञ के रूप में जाने जाते हैं। इनका राजनीतिक कद बहुत ही ऊंचा है। भारतीय संसद में एक अच्छे संसद के रूप में आडवाणी अपनी भूमिका के लिए काफी सराहे गए और उन्हें पुरस्कृत भी किया गया। लालकृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani)  को भारतीय संसदीय समूह द्वारा वर्ष 1999 में उत्कृष्ट सांसद पुरस्कार से सम्मानित किया गया। साल 2015 में उन्हें भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।

लालकृष्ण आडवाणी की रचित पुस्तकें

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वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani)  को लेखन में भी रूचि है। उन्होंने कई पुस्तकें लिखी। 19 मार्च 2008 को भारत के पूर्व राष्ट्रपति  वैज्ञानिक एपीजे अब्दुल कलाम (Former President of India, Scientist APJ Abdul Kalam) ने इनके द्वारा लिखी गई पुस्तक ‘माई कंट्री माई लाइफ’ रिलीज की थी। इसके अलावा इन्होंने ‘सुरक्षा और विकास के नए दृष्टिकोण’, ‘एक कैदी का कबाड़’ नामक पुस्तकें भी लिखी।

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