भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani) को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' (Bharat Ratna) से रविवार को नवाजा गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) ने उन्हें घर जाकर सम्मानित किया। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) भी मौजूद रहे।
नई दिल्ली। भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani) को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ (Bharat Ratna) से रविवार को नवाजा गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) ने उन्हें घर जाकर सम्मानित किया। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) , उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, पूर्व उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू भी मौजूद थे।
देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री और भाजपा के वरिष्ठतम नेता आदरणीय लालकृष्ण आडवाणी जी को राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने उनके घर जाकर भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया।
इस मौके पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी, उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ और पूर्व… pic.twitter.com/Sfrfzwgt3c
— BJP (@BJP4India) March 31, 2024
पाकिस्तान के कराची में जन्म
लालकृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani) का जन्म पाकिस्तान के कराची में 8 नवंबर, 1927 को एक हिंदू सिंधी परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम किशनचंद आडवाणी और मां का नाम ज्ञानी देवी है। उनके पिता पेशे से एक उद्यमी थे। शुरुआती शिक्षा उन्होंने कराची के सेंट पैट्रिक हाई स्कूल से ग्रहण की थी। इसके बाद वह हैदराबाद, सिंध के डीजी नेशनल स्कूल में दाखिला लिया।
विभाजन के समय आ गए थे मुंबई
1947 में आडवाणी देश के आजाद होने का जश्न भी नहीं मना सके क्योंकि आजादी के महज कुछ घंटों में ही उन्हें अपने घर को छोड़कर भारत रवाना होना पड़ा। विभाजन के समय उनका परिवार पाकिस्तान छोड़कर मुंबई आकर बस गया। यहां उन्होंने लॉ कॉलेज ऑफ द बॉम्बे यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की। उनकी पत्नी का नाम कमला आडवाणी है। उनके बेटे का नाम जयंत आडवाणी और बेटी का नाम प्रतिभा आडवाणी है।
सबसे ज्यादा समय तक भाजपा में अध्यक्ष रहे
आडवाणी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जरिए अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी। कई वर्षों तक आडवाणी राजस्थान में आरएसएस प्रचारक के काम में लगे रहे। वह उन लोगों में शामिल हैं जिन्होंने भारतीय जनता पार्टी की नींव रखी थी।
1980 से 1990 के बीच आडवाणी ने भाजपा को एक राष्ट्रीय स्तर की पार्टी बनाने के लिए काम किया। लालकृष्ण आडवाणी तीन बार (1986 से 1990, 1993 से 1998 और 2004 से 2005) भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे हैं। 1984 में महज दो सीटें हासिल करने वाली पार्टी को अगले लोकसभा चुनावों में 86 सीटें मिलीं। पार्टी की स्थिति 1992 में 121 सीटों और 1996 में 161 पर पहुंच गई। आजादी के बाद पहली बार कांग्रेस सत्ता से बाहर थी और भाजपा सबसे अधिक संख्या वाली पार्टी बनकर उभरी थी।
अटल सरकार में उप-प्रधानमंत्री
वह 1998 से 2004 के बीच भाजपा (BJP) के नेतृत्व वाले नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (NDA) में गृहमंत्री रह चुके हैं। लालकृष्ण आडवाणी 2002 से 2004 के बीच अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) की सरकार में भारत के सातवें उप प्रधानमंत्री का पद संभाल चुके हैं। 10वीं और 14वीं लोकसभा के दौरान उन्होंने विपक्ष के नेता की भूमिका बखूबी निभाई है। 2015 नें उन्हें भारत के दूसरे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।
राम मंदिर निर्माण के लिए राम रथ यात्रा
1980 की शुरुआत में विश्व हिंदू परिषद (Vishwa Hindu Parishad) ने अयोध्या में राम जन्मभूमि के स्थान पर मंदिर निर्माण के लिए आंदोलन की शुरुआत करने लगी। उधर आडवाणी के नेतृत्व में भाजपा राम मंदिर आंदोलन का चेहरा बन गई। आडवाणी ने 25 सितंबर, 1990 को पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर सोमनाथ से राम रथ यात्रा शुरू की थी।
आडवाणी के बारे में 10 खास बातें :
आडवाणी ने कराची में स्कूल सेंट पैट्रिक हाईस्कूल में पढ़ाई की है।
1947 में वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सचिव बने थे।
1970 में पहली बार आडवाणी राज्यसभा के सांसद बने थे।
आडवाणी एक फिल्म समीक्षक रह चुके हैं। उन्हें चॉकलेट, फिल्मों और क्रिकेट का बहुत शौक है।
1944 में उन्होंने कराची के मॉडल हाईस्कूल में एक अध्यापक के तौर पर नौकरी की थी।
आडवाणी ने एक किताब लिखी है जिसका नाम- माई कंट्री, माई लाइफ है।
सभी को चौंकाते हुए 2013 में उन्होंने अपने सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था।
1980 में भारतीय जनता पार्टी बनने के बाद से उन्होंने सबसे ज्यादा समय तक पार्टी के अध्यक्ष का पद संभाला था।
आडवाणी अभी तक आधा दर्जन से ज्यादा रथ यात्राएं निकाल चुके हैं। जिनमें ‘राम रथ यात्रा’, ‘जनादेश यात्रा’, ‘स्वर्ण जयंती रथ यात्रा’, ‘भारत
उदय यात्रा’ और ‘भारत सुरक्षा यात्रा’ ‘जनचेतना यात्रा’ प्रमुख हैं।