राजस्थान सब इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा 2021 (Rajasthan Sub Inspector Recruitment Exam 2021) को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) ने गुरुवार को अपना बड़ा फैसला सुना दिया है। हाईकोर्ट ने इस मामले में लंबी सुनवाई के बाद भर्ती परीक्षा को आखिरकार रद्द कर दिया है।
जयपुर। राजस्थान सब इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा 2021 (Rajasthan Sub Inspector Recruitment Exam 2021) को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) ने गुरुवार को अपना बड़ा फैसला सुना दिया है। हाईकोर्ट ने इस मामले में लंबी सुनवाई के बाद भर्ती परीक्षा को आखिरकार रद्द कर दिया है। यह परीक्षा लंबे समय से विवादों में बनी हुई थी। इस परीक्षा का पेपर लीक (Paper Leak) होने के मामले की स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम (SIT) जांच कर रही थी।
इस एसआईटी (SIT) की लीडिंग जांच एजेंसी एसओजी (SOG) इस मामले में अब तक 50 से ज्यादा ट्रेनी थानेदारों को गिरफ्तार चुकी है। इनमें से अधिकांश को पुलिस सेवा से बर्खास्त किया जा चुका है। एसआई पेपर लीक केस (SI Paper Leak Case) में अब तक दर्जनों अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है। परीक्षा में चयनित थानेदारों को ट्रेनिंग के बाद फील्ड पोस्टिंग मिल चुकी है। परीक्षा में फर्जीवाड़े का खुलासा होने के बाद से ही इस पर संकट के बादल मंडराने लग गए थे। यह परीक्षा 892 पदों के लिए हुई थी।
यह फैसला राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस समीर जैन की खंडपीठ ने सुनाया है। कोर्ट ने यह निर्णय 14 अगस्त को सुनवाई पूरी होने के बाद सुरक्षित रखे गए फैसले में दिया। करीब एक साल पहले 13 अगस्त को भर्ती में गड़बड़ी के आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट में याचिकाएं दाखिल की गई थीं, जिनमें पूरी प्रक्रिया को रद्द करने की मांग की गई थी। गौरतलब है कि एसआई भर्ती को लेकर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को 3 बार समय दिया गया था कि वह इस पर अपना कोई निर्णय ले, लेकिन सरकार ने कोई निर्णय नहीं लिया। इस परीक्षा में 3 लाख 80 हजार बच्चे बैठे थे। सरकार ने हाईकोर्ट की सख्ती के बाद एसआई भर्ती परीक्षा को लेकर एक कमेटी बनाई थी, जिसने अपनी रिपोर्ट में परीक्षा रद्द नहीं करने की सिफारिश की थी।
सरकार और अभ्यर्थियों ने किया था विरोध
सरकार और चयनित अभ्यर्थियों ने भर्ती रद्द करने का विरोध करते हुए तर्क दिया था कि गड़बड़ी सिर्फ 68 अभ्यर्थियों तक सीमित थी। सरकार की ओर से कोर्ट में बताया गया कि इस भर्ती में 54 ट्रेनी एसआई, 6 चयनित उम्मीदवार और 8 फरार अभ्यर्थियों की मिलीभगत सामने आई है। सरकार ने कहा कि हम पेपर लीक में शामिल लोगों को पकड़ रहे हैं और सही-गलत की पहचान संभव है। इसलिए पूरी भर्ती रद्द करने की जरूरत नहीं। दूसरी ओर चयनित अभ्यर्थियों का कहना था कि उन्होंने ईमानदारी से परीक्षा दी है और कई लोग तो अन्य सरकारी सेवाओं से इस्तीफा देकर इस भर्ती में शामिल हुए हैं। यदि पूरी प्रक्रिया रद्द की जाती है तो यह ईमानदार उम्मीदवारों के साथ अन्याय होगा। अभ्यर्थियों ने यह भी बताया कि मामले की जांच एसओजी कर रही है, जो दोषियों पर कार्रवाई कर रही है। हालांकि कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद यह निर्णय लिया कि संपूर्ण भर्ती प्रक्रिया ही भ्रष्टाचार से प्रभावित रही और उसे रद्द करना न्यायसंगत है।
सरकार के बड़े नेता नहीं चाहते थे भर्ती रद्द हो : बेनीवाल
मामले में लगातार आंदोलन कर रहे नागौर सांसद और आरएलपी चीफ हनुमान बेनीवाल का कहना है कि इस मामले को लेकर हमारा 146 दिन से जयपुर में बड़ा आंदोलन चल रहा था। इसमें हमने डेढ़ लाख लोगों की रैली की, जेल भरो आंदोलन किया, राज्यपाल को ज्ञापन भी दिया। लोकसभा में भी इस मुद्दे को उठाया गया।
ऑल पार्टी मीटिंग में जेपी नड्डा ने कहा था कि पेपर लीक की घटना बहुत शर्मनाक है और हम इस पर चर्चा करवाएंगे। बेनीवाल ने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान में चुनाव के दौरान वादा किया था कि राजस्थान में उनकी सरकार आई तो पेपर लीक माफिया को पाताल से भी ढूंढकर निकालेंगे, लेकिन सरकार अपने कुछ बड़े नेताओं के दबाव में थी।
कैबिनेट मंत्री किरोड़ीलाल मीणा ,बोले -ये सत्य की जीत
सरकार के रुख के उलट भर्ती परीक्षा को रद्द करने की मांग करते आ रहे कैबिनेट मंत्री किरोड़ीलाल मीणा ने भी फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि यह जनभावनाओं के अनुकूल फैसला हुआ है। यह सत्य की जीत है। संघर्ष की जीत है। मैंने इस मुद्दे पर आंदोलन किया था। यदि पूर्ववर्ती सरकार में सीएम रहे अशोक गहलोत इस पर निर्णय कर देते तो बच्चों को 2 साल तक जूझना नहीं पड़ता।