आगामी चुनाव को देखते हुए सभी पार्टियों जमकर रैलियां प्रदर्शन कर रही है। लोकसभा चुनाव की तरफ सभी पार्टियों ने अपनी ताकत झोंक दी हैं। वहीं बिहार के सीएम नीतीश कुमार लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी दलों को एकजुट करने की मुहिम चला रहे हैं।
रांची। आगामी चुनाव को देखते हुए सभी पार्टियों जमकर रैलियां प्रदर्शन कर रही है। लोकसभा चुनाव की तरफ सभी पार्टियों ने अपनी ताकत झोंक दी हैं। वहीं बिहार के सीएम नीतीश कुमार लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी दलों को एकजुट करने की मुहिम चला रहे हैं। लेकिन पड़ोसी राज्य झारखंड में विपक्षी दलों को एकजुट करना उनके लिए आसान नहीं होगा। नीतीश कुमार खुद कुर्मी समुदाय से आते हैं।
बताया जा रहा है कि बिहार में 1932 का खतियान लागू करने की घोषणा के बाद कुर्मी समाज आंदोलन पर उतर आया है। कुर्मी समाज के लोगों ने अनुसूचित जाति में शामिल करने की मांग कर रहे है। बताया जा रहा है कि झारखंड में झामुमो और कांग्रेस गठबंधन की सरकार है। यह सरकार कुर्मी समाज की मांग से इत्तेफाक नहीं रखती है।
इन सब के बिच जदयू पार्टी काफी बुरी तरह से फस गया है। अगर वह कुर्मी आंदोलन को समर्थन देगा तो झामुमो या झारखंड की अन्य स्थानीय पार्टियां उससे दूरी बना लेंगी। हेमंत सरकार 1932 का खतियान को स्थानीयता का आधार मानकर इसे विधानसभा से पारित कराने की तैयारी में है।