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Budget 2021: इन सरकारी कंपनियों का होगा निजीकरण, कर्मचारियों के भविष्य का क्या?

By मुनेंद्र शर्मा 
Updated Date

नई दिल्ली। कभी देश की शान कही जाने वाली सार्वजनिक क्षेत्रों की बड़ी कंपनियां अभी निजी हाथों में चली जायेंगी। आज पेश हुए आम बजट में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने ये घोषणा की है। मोदी सरकार वित्तीय घाटे की भरभाई के लिए ये कदम उठाने का दावा कर रही है लेकिन विपक्ष सरकार के इस कदम की कठोर आलोचना कर रहा है। बीते कुछ दिनों में जिस तरह से हवाई अड्डे, रेलवे, एयरपोर्ट और एयर इंडिया को बेचने की कवायद शुरू हुई है, वह थमने का नाम नहीं ले रही है।

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पहले कार्यकाल से शुरू हुई मोदी सरकार की ये कवायद दूसरे कार्यकाल में भी जारी है, जिससे विपक्ष को सवाल करने का बड़ा मौका मिल गया है। बता दें कि, केंद्र में सरकार बनाने से पहले भाजपा ​सकरारी कंपनियों को बेचने के खिलाफ थी लेकिन आज सरकार वित्तीय घाटे को पूरा करने के लिए ये कदम उठा रही है। सरकार के इस कदम को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं।

दरअसल, सवाल सिर्फ सरकारी उपक्रम का ही नहीं हैं। सवाल वहां काम करने वाले कर्मचारियों का भी है। ऐसे में क्या उनकी नौकरी पहले की तरह सुरक्षित रहेगी या फिर उपक्रम के निजीकरण होते ही उन्हें इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ेगा। एक्सपर्ट की माने तो सरकारी उपक्रम के निजीकरण होते ही वह फायदे में पहुंच जाती हैं लेकिन कुछ समय बाद वह धीरे धीरे एनपीए हो जाती हैं। इसके बाद सरकार बैंकों को इसके लिए दावा पर लगा देती है।

गौरतलब है कि, बजट में केंद्र सरकार ने नए वित्त वर्ष में पौने दो लाख करोड़ रुपये विनिवेश से जुटाने का लक्ष्य रखा है, जो कि पिछले वित्त वर्ष की तुलना में करीब 35 हजार करोड़ कम है। वहीं, इसके लिए राज्यों को भी विनिवेश के लिए योजना तैयार करने को कहा है। सरकार ने बजट में बताया कि कुछ सरकारी कंपनियों में विनिवेश को लेकर फैसले लिए जा चुके हैं। जो अगले वित्त वर्ष में पूरे हो जाएंगे।

किन-किन कंपनियों में होगा विनिवेश
वित्त मंत्री ने बजट में बताया कि सरकार ​कोरोना संकट के बाद भी सरकार अपने विनिवेश लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में काम कर रही है। वित्त मंत्री ने बताया कि सरकार की विनिवेश सूची में बीपीसीएल, एयर इंडिया, शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, आईडीबीआई बैंक, बीईएमएल, पवन हंस, नीलाचल इस्पात निगम ͧलिमिटेड के साथ होने वाले कई लेन-देन 2021-22 में पूरे हो जाएंगे।

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नुकसान से पहले बंद होंगी इकाईयां
वित्त मंत्री ने बताया कि घाटे में चल रही सरकारी कंपनियों को समय पर बंद करने पर सरकार खास नीति ला रही है। उन्होंने बताया कि बीमार पड़ी या घाटे में चलने वाले सीपीएसई को समय से बंद करने के ͧलिए हम एक ऐसे संशोधित तंत्र को लागू करने वाले हैं जिससे इन इकाइयों को समय से बंद ͩकिया जा सकेगा।

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