उत्तर प्रदेश में पुलिस हिरासत में मौत के मामले बढ़ते जा रहे हैं। प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भी शनिवार को पुलिस हिरासत में मोहित पांडेय की मौत हो गयी। इस घटना के बाद परिजन आक्रोशित हैं और पुलिस पर गंभीर आरोप लगाकर उन पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
Lucknow News: उत्तर प्रदेश में पुलिस हिरासत में मौत के मामले बढ़ते जा रहे हैं। प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भी शनिवार को पुलिस हिरासत में मोहित पांडेय की मौत हो गयी। इस घटना के बाद परिजन आक्रोशित हैं और पुलिस पर गंभीर आरोप लगाकर उन पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। रविवार को भी इस मामले में आरोपी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की मांग को लेकर परिजन मंत्री आवास रोड का घेराव करने के लिए निकले थे। पुलिस को इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने उसे रोकने का प्रयास किया। इस पर आक्रोशित भीड़ हंगामा करने लगी। पुलिस ने उन्हें समझाने का प्रयास कर रही है।
परिजनों का आरोप-पुलिस की पिटाई से हुई मौत
इस घटना के बाद परिजनों ने आरोप लगाया कि मोहित कुमार पांडेय (32) की पुलिस पिटाई से जानी गई है। हालांकि, इस घटना के बाद पुलिस के अधिकारी जांच की बात कह रहे हैं। दरअसल, मारपीट की सूचना पर शुक्रवार रात करीब 9:30 बजे चिनहट पुलिस उनको थाने लेकर गई थी। रात भर मोहित को थाने में रखा। शनिवार दोपहर में लोहिया अस्पताल लेकर गए, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
मामूली विवाद के बाद ले गई थी पुलिस
मोहित टाई बेल्ट बनाकर बेचते थे। मोहित के यहां गोंडा निवासी आदेश टाई की सप्लाई का काम करता था। चचेरे भाई ऋषि पांडेय ने बताया कि आदेश आए दिन मोहित के घर से रुपये निकाल लेता था। इसको लेकर पूर्व में कई बार विवाद हुआ था। शुक्रवार को आदेश फिर से मोहित के घर आया था। मोहित ने आदेश को काम से हटाने की बात कही। इस पर दोनों में विवाद हो गया। दोनों में हाथापाई भी हो गई। आदेश ने पुलिस को घटना की सूचना दी। रात 9:30 बजे चिनहट पुलिस मोहित के घर पहुंची और उन्हें उठा ले गई।
भाई को को भी लॉकअप में किया बंद
यही नहीं, मोहित को चिनहट पुलिस थाने लेकर चली गयी थी, जिसके बाद उसके बड़े भाई शोभाराम चिनहट कोतवाली पहुंचे, जहां उन्होंने पुलिसकर्मियों से भाई को छोड़ने की अपील की। मोहित की मां तपेश्वरी ने बताया कि शोभाराम को पुलिस ने यह कहते हुए लॉकअप में डाल दिया कि तुम नेता बन रहे हो। इसके बाद शोभाराम को भी शांति भंग की धारा में हिरासत में ले लिया। ऐसे में अब सवाल उठ रहा है कि, आखिर दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई होगी या फिर जांच के नाम पर मामले को दबा दिया जाएगा।